अहमद फ़राज़ आज के सबसे लोकप्रिय शायर हैं। उन्हें जीते-जी ऐसी शोहरत मिली है कि आज हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में फ़राज़ साहब की ग़ज़लों और नज़्मों को बड़े शौक से पढ़ा और सुना जाता है। ‘ये मेरी ग़ज़लें, ये मेरी नज़्में’ की विशेषता यह है कि इसमें खुद फ़राज़ साहब ने अपनी मनपसन्द बेहतरीन ग़ज़लों और नज़्मों..
‘‘मैं रोज़ यही सोच कर तो सोता हूँ कि कल से वक़्त निकालूँगा ज़िन्दगी के लिए पहले पानी को और हवा को बचाओ ये बचा लो तो फिर ख़ुदा को बचाओ गले मिलते हमें देखे न कोई बहुत मशहूर है झगड़ा हमारा ख़बर कर दी गई है मेज़बाँ को उदासी भी हमारे साथ होगी अगर दुबारा बनी ये दुनिया तो पहले तेरी गली बनेगी’’ -इसी पुस्तक ..