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Poetry

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1913 में रवीन्द्रनाथ टैगोर को जब साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया तो वे एशिया और भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता थे। बहुआयामी व्यक्तित्व वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर साहित्यकार, चित्रकार, चिंतक और दार्शनिक थे। उन्होंने छोटी उम्र में ही कविता लिखना शुरू किया और सोलह वर्ष की उम्र में उनका प..
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गौतम राजऋषि...एक नाम जो ग़ज़ल की दुनिया में अपनी नयी, अनूठी और अनछुई इमेजरी को लेकर विगत कुछ सालों में एकदम से उभरकर आया है और जिनकी कही हुई ग़ज़लों के शे’र युवाओं और सोशल मीडिया पर बहुत लोकप्रिय हुए हैं। जब वे कोई मिसरा नहीं बुन रहे होते हैं तो उस वक्त अपने कंधे पर लगे सितारे और सीने पर टँके पदकों ..
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‘नीलाम्बरा’ में संग्रहीत कविताओं के बारे में महादेवीजी ने यह कहा है, ‘‘काव्य में प्रकृति के सहयोग की कथा कालजयी कथा है, जिसे आज का निर्मम बुद्धिवाद अब तक भुला नहीं पाया। कदाचित् भुलाने का प्रयास मनुष्य को एकांगी बनाकर उससे आनन्द-उल्लास के मूल्यवान क्षण छीन लेगा।’’ महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 190..
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‘निशा−निमंत्रण’ बच्चन जी का बहुत ही लोकप्रिय काव्य है। इसका पहला संस्करण 1938 में निकला था। “निशा−निमंत्रण को 100 गीतों का संग्रह न समझें। वास्तव में यह सौ पदों में एक ही कविता है जो संध्या से आरम्भ हो, रात के अन्धकार में विकसित होती हुई प्रात: के वातावरण में समाप्त होती है।’’..
₹ 150.00
Ex Tax:₹ 150.00
‘निशा−निमंत्रण’ बच्चन जी का बहुत ही लोकप्रिय काव्य है। इसका पहला संस्करण 1938 में निकला था। “निशा−निमंत्रण को 100 गीतों का संग्रह न समझें। वास्तव में यह सौ पदों में एक ही कविता है जो संध्या से आरम्भ हो, रात के अन्धकार में विकसित होती हुई प्रात: के वातावरण में समाप्त होती है।’’..
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मेरी कम-ओ-बेश चालीस नज्में और कई ग़ज़लें हिन्दी ज़बान का लिबास पहनकर आपके सामने हैं। इन नज्मांे में आपको मैं मिलूँगी। औरत मिलेगी। ये नज्में एक आईना हैं। इनमें आपको समाज का अक्स भी मिलेगा और इश्क़ का धमाल भी। कहीं पर मैंने अपनी तन्हाई को लिखा है और कहीं पर उस शोर को जो मेरे अंदर ही कहीं मौजूद है और मुझे ..
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पाकिस्तान अपने शायरों और उनकी शायरी पर ठीक ही गर्व करता है। उर्दू उनकी मादरी जुबान है और शायद इसीलिए पाकिस्तान की शायरी और ग़ज़लें अपनी अलग पहचान और खुशबू लिए हैं। यह कहना भी ग़लत नहीं होगा कि पाकिस्तान की शायरी जितनी वहां मकबूल है उतनी ही भारतवर्ष में भी लोकप्रिय है। आज फैज़, अहमद फ़राज़, नदीम कासमी, कती..
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Pankh Ek Bhent - Paperback - RAJPAL113 - General..
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एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार, चित्रकार, चिंतक एवं दार्शनिक गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की यह कृति उनकी चुनी हुई कविताओं का उन्हीं के द्वारा प्रस्तुत गद्य रूपांतरण है। इसके काव्य-माधुर्य को संजोये रखते हुए इन भावभीनी रचनाओं की हिन्दी में प्रस्तुति इस पुस्तक के माध्यम से हो रही है। इन..
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रवीन्द्रनाथ टैगोर एशिया के पहले भारतीय व्यक्ति थे, जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्यधर्मी तथा चितेरा होने के अतिरिक्त वे एक महान दार्शनिक तथा चिंतक भी थे। प्रस्तुत पुस्तक उनके उन दार्शनिक वक्तव्यों का मूल्यवान संकलन है, जिनमें उनके साहित्यकार मन और कलाविद् को भी देखा जा सकता है। ग..
₹ 140.00
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"इक्कीसवीं सदी में पाकिस्तान में कैसी ग़ज़लें कही जा रही हैं, इसका अंदाज़ा आप इस किताब से लगा सकते हैं। यूँ तो पाकिस्तान में बेशुमार शायर हैं और उनमें से कुछेक को ही इस किताब के लिए चुनना एक चुनौती थी। तो चुनाव का पैमाना यह रखा गया कि शायर ऐसे हों जिनकी ग़ज़लों को हिन्दी के पाठक समझ सकें और उनसे हिन..
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‘फ़िराक़’ साहब ने अनगिनत ग़ज़लें, नज़्में, रुबाइयाँ, कत्ए इत्यादि लिखे हैं। समालोचक भी वह उच्चकोटि के थे लेकिन स्मरण वे सदा अपनी ग़ज़लों और ग़ज़लों के उन शे’रों के कारण किए जाएंगे जिनकी संख्या सैकड़ों तक पहुंचती है और जो निस्संदेह क्लासिक का दर्जा रखते हैं, उन्हीं शे’रों के कारण जिनमें तसव्वुफ़ ग़ज़..
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