‘दशरूपक’ के लेखक विष्णु-पुत्र धनंजय हैं जो मुंजराज (974-995 ई.) के सभासद थे। भरत के नाट्यशास्त्र को अति विस्तीर्ण समझकर उन्होंने इस ग्रन्थ में नाट्यशास्त्रीय उपयोगी बातों को संक्षिप्त करके कारिकाओं में यह ग्रन्थ लिखा। कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश कारिकाएँ अनुष्टुप छन्दों में लिखी गई हैं। ..
रविन्द्रनाथ ठाकुर, सी. वी रमन, हरगोविन्द खुराना, चन्द्रशेखर सुबह्मण्यम, मदर टेरेसा, अमर्त्य सेन, वी.एस. नायपाल और वेंकटरमण रामाकृष्णन नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय हैं। इन के जीवन तथा कार्य का विस्तृत परिचय इस पुस्तक में दिया गया है।..
भारतीय चिंतन में अर्थ को अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना गया है, परंतु इसे साध्य, सर्वस्व नहीं माना गया है। इसका महत्त्व जीवन के लिए साधन तक ही सीमित रखा गया है। साध्य तो मोक्ष है, जिसकी प्राप्ति धर्म, अर्थ और काम के मर्यादित उपयोग से संभव होती है। अतः यह स्पष्ट है कि भारतीय चिंतन मूल रूप से आध्यात्मिक है,..
शोध ग्रंथ ‘समाज और राज्य : भारतीय विचार’ लंबे अंतराल के बाद पुनः प्रकाशित हो रहा है। इस विषय पर यह अकेला ग्रंथ है, जो मूल संस्कृत स्रोतों पर आधारित है। यहाँ लेखक ने अधिकांश आधुनिक विद्वानों की खंडन-मंडन शैली का अनुकरण न करके भारतीय सामाजिक संस्थाओं और व्यवस्थाओं को प्रत्येक बात के लिए मूल ग्रंथों क..
हमारी प्राचीन संस्कृति में स्त्रियों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। उन्हें शक्ति और गौरव का प्रतिरूप माना गया है। 21वीं शताब्दी में भारत को एक युवा राष्ट्र माना जाता है और युवा भारत की महिलाएँ फैशन डिजाइनर, आंतरिक सज्जाकार, निर्यातक, प्रकाशक, वस्त्र निर्माता के रूप में उल्लेखनीय प्रगति क..