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लेख : निबंध : पत्र - Samaj Aur Rajya Bharatiya Vichar

लेख : निबंध : पत्र - Samaj Aur Rajya Bharatiya Vichar
शोध ग्रंथ ‘समाज और राज्य : भारतीय विचार’ लंबे अंतराल के बाद पुनः प्रकाशित हो रहा है। इस विषय पर यह अकेला ग्रंथ है, जो मूल संस्कृत स्रोतों पर आधारित है। यहाँ लेखक ने अधिकांश आधुनिक विद्वानों की खंडन-मंडन शैली का अनुकरण न करके भारतीय सामाजिक  संस्थाओं और व्यवस्थाओं को प्रत्येक बात के लिए मूल ग्रंथों का संदर्भ देकर प्रस्तुत किया है।समाज-व्यवस्था का वर्णाश्रम-व्यवस्था के साथ गहरा संबंध है। व्यक्तिगत उन्नति ही इसका उद्देश्य था। आदर्श जीवन की रचना ही इसीलिए की गई। इससे बहुत लाभ हुए। इसके द्वारा समाज में अधिकार-विभाजन तथा शक्ति-संतुलन हुआ और संघर्ष-निवारण भी। कर्तव्य, अधिकार, योग्यता, पात्रता पर ध्यान दिया गया और समाज पर कर्म का नियंत्रण रखा गया। वर्णव्यवस्था से एक लाभ यह भी था कि प्रत्येक व्यक्ति को व्यवसाय मिलने में कठिनाई नहीं होती थी।भारतीय संस्कृति के प्रेमियों को इस ग्रंथ पर गर्व होना चाहिए। यह प्राचीन विचारों, सिद्धांतों एवं परंपराओं का एक अद्भुत भंडार है, जिसमें हमें अपनी ज्ञान-वृद्धि के लिए बहुत सी सामग्री मिलती है। लेखक ने अनेक ग्रंथों का पारायण कर हमारी समस्याओं पर गंभीर रूप से विचार किया है। इसके लिए भारतीय, विशेषकर हिंदू समाज उनका कृतज्ञ रहेगा।

लेख : निबंध : पत्र - Samaj Aur Rajya Bharatiya Vichar

Samaj Aur Rajya Bharatiya Vichar - by - Prabhat Prakashan

Samaj Aur Rajya Bharatiya Vichar -

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  • Stock: 10
  • Model: PP2410
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2410
  • ISBN: 9789351864400
  • ISBN: 9789351864400
  • Total Pages: 416
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 700.00
Ex Tax: ₹ 700.00