Drama Studies Books - Natyashastra Ki Bharatiya Parampara Aur Dashroopak
‘दशरूपक’ के लेखक विष्णु-पुत्र धनंजय हैं जो मुंजराज (974-995 ई.) के सभासद थे। भरत के नाट्यशास्त्र को अति विस्तीर्ण समझकर उन्होंने इस ग्रन्थ में नाट्यशास्त्रीय उपयोगी बातों को संक्षिप्त करके कारिकाओं में यह ग्रन्थ लिखा। कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश कारिकाएँ अनुष्टुप छन्दों में लिखी गई हैं। संक्षेप में लिखने के कारण ये कारिकाएँ दुरूह भी हो गई थीं। इसीलिए उनके भाई धनिक ने कारिकाओं का अर्थ स्पष्ट करने के उद्देश्य से इस ग्रन्थ पर ‘अवलोक’ नामक वृत्ति लिखी। यह वृत्ति न होती तो धनंजय की कारिकाओं को समझना कठिन होता। इसलिए पूरा ग्रन्थ वृत्ति-सहित कारिकाओं को ही समझना चाहिए। धनंजय और धनिक दोनों का ही महत्त्व है।भरतमुनि के नाट्यशास्त्र के बीसवें अध्याय को ‘दशरूप-विकल्पन’ (20.1) या ‘दशरूप-विधान’ कहा गया है। इसी आधार पर धनंजय ने अपने ग्रन्थ का नाम ‘दशरूपक’ दिया है। नाट्यशास्त्र में जिन दस रूपकों का विधान है, उनमें हैं—नाटक, प्रकरण, अंक (उत्सृष्टिकांक), व्यायोग, भाण, समवकार, वीथी, प्रहसन, डिम और ईशामृग। एक ग्यारहवें रूपक ‘नाटिका’ की चर्चा भी भरत के नाट्यशास्त्र और दशरूपक में आई है, परन्तु उसे स्वतंत्र रूपक नहीं माना गया है।धनंजय ने भरत का अनुसरण करते हुए नाटिका का उल्लेख तो कर दिया है, पर उसे स्वतंत्र रूपक नहीं माना। इस पुस्तक में धनंजय कृत कारिकाओं के अलावा धनिक की वृत्ति तथा नाट्यशास्त्र की भारतीय परम्परा का परिचय देने के लिए आचार्य द्विवेदी ने अपना एक निबन्ध भी जोड़ा है।
Drama Studies Books - Natyashastra Ki Bharatiya Parampara Aur Dashroopak
Natyashastra Ki Bharatiya Parampara Aur Dashroopak - by - Rajkamal Prakashan
Natyashastra Ki Bharatiya Parampara Aur Dashroopak - ‘दशरूपक’ के लेखक विष्णु-पुत्र धनंजय हैं जो मुंजराज (974-995 ई.
- Stock: 10
- Model: RKP197
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP197
- ISBN: 0
- Total Pages: 365p
- Edition: 2019, Ed. 7th
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 1963
₹ 995.00
Ex Tax: ₹ 995.00