संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Bharat Mein Europeeya Yatri
यूरोप के ज्ञात इतिहास में भारत उनके लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। भारत की यात्रा और भारत के साथ संबंधों का विस्तार यूरोप के विविध कालांडों के बीच एकसूत्रता का विषय-बिंदु है। यही कारण है कि यूरोप से भारत आनेवाले हर यात्री ने भारत की यात्रा के पश्चात् अपने अनुभव, भारत की अपनी समझ और भारतीय समाज-संस्कृति एवं सभ्यता को अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिश की है। भारत का इतिहास लिखनेवाले आधुनिक इतिहासकारों ने इन यात्रियों के यात्रा- वृतांत को अपने इतिहास-लेखन हेतु महवपूर्ण प्रामाणिक स्रोत स्वीकार करते हुए तथा इसको आधार बनाकर भारत में भारत का एक ऐसा चित्र रचा है, जो भारत नहीं है।
ईसाइयत की विश्वदृष्टि से अलग भारत इनकी समझ से बाहर था, योंकि न इनके पास भारत के यथार्थ का अध्ययन था और न ही भारत को समझने का अवकाश। भारत में आए यूरोपीय यात्रियों के उद्देश्य, उनके वर्णनों के आधार और उनके द्वारा रचे गए मजहबी छलछद्म पर भारत के अध्येताओं के द्वारा गंभीर अध्ययन नहीं हुआ है। यह पुस्तक इस दृष्टि से एक साहसिक प्रयास है। यूरोपीय यात्रियों के वर्णनों के पीछे छिपे मंतव्य, यात्रियों की पूर्व मान्यता और यात्रा के वास्तविक उद्देश्यों की ओर इंगित करती इस पुस्तक में भारतीय दृष्टि से यथार्थ को देने की कोशिश की गई है, साथ ही यूरोप के संगठित यात्रा अभियानों के निहितार्थ को बेबाकी से उकेरा गया है।अनुक्रममनोगत — Pgs. 7पुरोवाक् — Pgs. 9आमुख — Pgs. 13भूमिका — Pgs. 17आभार प्रदर्शन — Pgs. 291. यूरोप-भारत संबंधों का प्रारंभ — Pgs. 332. अन्वेषणों की पृष्ठभूमि — Pgs. 443. अन्वेषणों का प्रारंभ — Pgs. 774. अभियान नहीं, आक्रमण — Pgs. 1075. यूरोपीय वर्णन : सीमाएँ और पक्षपात — Pgs. 1286. उपसंहार — Pgs. 182अंधकार युग से पूर्व यूरोप और भारत के व्यापारिक संबंध — Pgs. 185संदर्भ — Pgs. 190फुटनोट्स — Pgs. 192
संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Bharat Mein Europeeya Yatri
Bharat Mein Europeeya Yatri - by - Prabhat Prakashan
Bharat Mein Europeeya Yatri - यूरोप के ज्ञात इतिहास में भारत उनके लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। भारत की यात्रा और भारत के साथ संबंधों का विस्तार यूरोप के विविध कालांडों के बीच एकसूत्रता का विषय-बिंदु है। यही कारण है कि यूरोप से भारत आनेवाले हर यात्री ने भारत की यात्रा के पश्चात् अपने अनुभव, भारत की अपनी समझ और भारतीय समाज-संस्कृति एवं सभ्यता को अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिश की है। भारत का इतिहास लिखनेवाले आधुनिक इतिहासकारों ने इन यात्रियों के यात्रा- वृतांत को अपने इतिहास-लेखन हेतु महवपूर्ण प्रामाणिक स्रोत स्वीकार करते हुए तथा इसको आधार बनाकर भारत में भारत का एक ऐसा चित्र रचा है, जो भारत नहीं है। ईसाइयत की विश्वदृष्टि से अलग भारत इनकी समझ से बाहर था, योंकि न इनके पास भारत के यथार्थ का अध्ययन था और न ही भारत को समझने का अवकाश। भारत में आए यूरोपीय यात्रियों के उद्देश्य, उनके वर्णनों के आधार और उनके द्वारा रचे गए मजहबी छलछद्म पर भारत के अध्येताओं के द्वारा गंभीर अध्ययन नहीं हुआ है। यह पुस्तक इस दृष्टि से एक साहसिक प्रयास है। यूरोपीय यात्रियों के वर्णनों के पीछे छिपे मंतव्य, यात्रियों की पूर्व मान्यता और यात्रा के वास्तविक उद्देश्यों की ओर इंगित करती इस पुस्तक में भारतीय दृष्टि से यथार्थ को देने की कोशिश की गई है, साथ ही यूरोप के संगठित यात्रा अभियानों के निहितार्थ को बेबाकी से उकेरा गया है।अनुक्रममनोगत — Pgs.
- Stock: 10
- Model: PP2870
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2870
- ISBN: 9789387980013
- ISBN: 9789387980013
- Total Pages: 192
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2018
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00