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संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Bahaav

संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Bahaav
वे दिन अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं, जब किसी अगस्त्य को अपने विचार और वाणी को दिक्दिगंत तक फैलाने के लिए पूरा-का-पूरा समुद्र पी जाना पड़ता था। फाह्यान या अलबरूनी की तरह अब यात्राएँ करने और उन्हें लिपि में सँजोने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ती। आप देख रहे हैं कि यह धरती एक ग्लोबल विलेज में तब्दील होती जा रही है और देशों की दूरियाँ हवाईजहाजों में सिमटकर रह गई हैं। ऐसे बहुत से लोग दिखाई पड़ते हैं, जो सुबह का नाश्ता एक देश में करते हैं और रात का भोजन दूसरे देश में। फिर भी यात्राओं ने अपना रोमांच नहीं खोया है और घुमक्कड़ी की इनसानी प्रवृत्ति कुछ नया देखने के लिए बेताब रहती है। युवा संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के यात्रा-संस्मरणों की यह पुस्तक ‘बहाव’ इसका जीता-जगता उदाहरण है। इस पुस्तक में जापान, थाईलैंड, अमरीका, पाकिस्तान, ग्रीस, दक्षिण कोरिया, पोलैंड, जर्मनी, ब्राजील जैसे देशों की यात्रा के अनुभव हैं। इस पुस्तक की खास बात यह है कि इसमें हिमांशु की आँखों से देखी हुई दुनिया के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के दो राजनेताओं की विदेश यात्राओं के अनुभव भी हैं। राजनेताओं ने जिस तरह अपनी विदेश यात्राओं का जिक्र हिमांशु से किया, उसे उन्होंने अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत किया। इस पुस्तक में ये दोनों अनुभव गुँथे हुए हैं। यह पुस्तक सुधी पाठकों को दुनिया को देखने का एक नया नजरिया, दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के रिश्तों को समझने की समझ तो देगी, साथ ही अपनी जीवंत भाषाशैली के कारण उन्हें उस देश में ही पहुँचा देगी।अनुक्रमणिका भूमिका — Pgs. 7 स्मृतियों के लोक को समृद्ध करती यात्राएँ — Pgs. 9 अपनी बात — Pgs. 13 जापान 1. संकटों में भी चढ़ता हौसलों का सूर्य — Pgs. 23 2. सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा — Pgs. 25 3. आधुनिक एवं प्राचीन सभ्यता का अनूठा संगम — Pgs. 28 4. इमारतें तो फिर बना लीं हमने लेकिन इनसान... 33 5. इनसानियत से बढ़कर तो जहाँ में कुछ भी नहीं — Pgs. 38 थाईलैंड 6. आधुनिकता-परंपराओं की संगम स्थली — Pgs. 45 7. अपने मुल्क से दूर अपनत्व का एहसास — Pgs. 46 8. राजा राम, अयोध्या और श्रीकीर्ति — Pgs. 48 9. थाईलैंड : भारतीय गंध से रची-बसी धरती — Pgs. 51 10. बाजार की रंगीनियाँ पर लहजा बाजारू नहीं — Pgs. 54 11. ऊँची उड़ान से कठिन अंतस की यात्रा — Pgs. 57 12. ‘विलास स्थली को बाय-बाय कर कर्मस्थली की ओर’ — Pgs. 60 13. जहाँ जानवरों का खाना इनसान चट नहीं करते — Pgs. 63 14. बाजारों की चटक से अधिक दमकते बुद्ध — Pgs. 66 अमेरिका 15. विश्व नेतृत्व का गुरूर — Pgs. 71 16. भारत भविष्य में विश्व की बड़ी शक्ति — Pgs. 72 17. भारत पिछलग्गू देश नहीं — Pgs. 74 18. धरती बाँटी, अंबर बाँटा, मत बाँटो इनसान को — Pgs. 76 19. भारत दक्षिण एशिया का बिग ब्रदर — Pgs. 79 20. 16 जून, वाशिंगटन, हर मामले में  अमेरिकी हस्तक्षेप ठीक नहीं : ब्लास — Pgs. 81 21. सद्दाम गलत तो था : मार्क — Pgs. 83 22. अमेरिका में अब भी मौजूद है नस्लभेद — Pgs. 85 23. लेनिन को बेचने की तैयारी, लेकिन... 87 24. अँगूठे से दबाया नहीं जा सकता राज्य — Pgs. 88 25. तो अमेरिकी डस्टबीन होगा भारत : सुसेन डेनेवर — Pgs. 89 पाकिस्तान 26. भारत के इतिहास और संस्कृति का साझीदार — Pgs. 93 27. वह समझ बैठी हमें मौलाना प्रेमप्रकाश — Pgs. 94 28. सिंगल ट्रैक के भरोसे चल रहा पाकिस्तान — Pgs. 96 29. चार घंटे में नाप दिए चार सौ किलोमीटर — Pgs. 98 30. मुशर्रफ लोकतंत्र के आधुनिक गुरु — Pgs. 100 31. पाक में भी किए पुष्कर के दर्शन — Pgs. 102 32. कराची में बदरुद्दीन ने किया प्रेमप्रकाश का स्वागत — Pgs. 105 33. जिन्ना की मजार के नाम पर सिर्फ पिरामिड — Pgs. 107 ग्रीस 34. पर्वतों-द्वीपों का देश — Pgs. 111 35. समय में पीछे लेकिन तरक्की में आगे जर्मनी — Pgs. 113 36. 51 माह में ही बन गया एयरपोर्ट — Pgs. 116 37. प्रकृति की अनुपम भेंट ‘पैनाथेनिक स्टेडियम’ — Pgs. 119 38. एथेंस के इतिहास में भारत की झलक — Pgs. 121 39. बहुत याद आए देवीलाल के आलू बोंडे — Pgs. 123 40. ‘हड़ताल ने छुड़वा दी फ्लाइट’ — Pgs. 126 41. आधी रात को मिला दाल-भात — Pgs. 128 दक्षिण कोरिया 42. शांत सुबह की भूमि — Pgs. 133 43. ‘यू, मी और हम’ में कट गया सफर — Pgs. 135 44. पचपनवीं मंजिल से भी न दिखा आसमान — Pgs. 137 45. छह मंजिली इमारत में सिमटे हजारों साल — Pgs. 139 46. महिलाओं को हासिल 50 फीसदी आरक्षण — Pgs. 141 47. आधी आबादी का नहीं धर्म से सरोकार — Pgs. 144 48. महाराजा बन गया था सुल्तान — Pgs. 146 49. विदेश घूमिए, बसिए नहीं — Pgs. 148 पोलैंड 50. जहाँ खुली थी विश्वयुद्ध की डगर — Pgs. 153 51. ‘फीनिक्स’ से कम नहीं पोलैंड — Pgs. 154 52. जब प्रेमप्रकाश की आँखों में आए आँसू — Pgs. 156 53. ...और याद आ गई कश्मीर की — Pgs. 159 54. दाढ़ी ने बनाया संदिग्ध — Pgs. 161 जर्मनी 55. बड़े विचार, बड़ी मशीनें — Pgs. 165 56. ‘जिज्ञासा’ ले गई सात समुंदर पार — Pgs. 166 57. एक कमरा और पाँच लोग — Pgs. 168 58. जर्मनी की कहानी चंद्रशेखर की जुबानी — Pgs. 170 59. ‘व्लोड्राप’ में छत्तीसगढ़ की खुशबू — Pgs. 172 60. ‘वर्तमान’ में अतीत का ‘हिटलर’ गुम — Pgs. 174 61. अमिट यादों के साथ अलविदा जर्मनी — Pgs. 177 ब्राजील 62. सौंदर्य, विस्मय और रहस्य — Pgs. 181 63. जमीनी शख्स के दो दिन आसमान में — Pgs. 182 64. खौफ में जीता है अमेरिका — Pgs. 185 65. अमेरिका के लिए ब्राजील है दबंग — Pgs. 188 66. रियो में प्रदर्शन कर लगाए नारे — Pgs. 192 67. रियो में छत्तीसगढि़या से मुलाकात — Pgs. 194 68. एक किलो मिट्टी का मोल हजार डॉलर — Pgs. 196 69. सांबा न देख पाने की कसक—अंतिम — Pgs. 198 70. मंदी का शिकार कानपुरिया वाजपेयी — Pgs. 200 71. तोहफे में मिला न्यूयॉर्क — Pgs. 202 72. सलाद के कटोरे जैसा अमेरिका — Pgs. 204 73. न्यूयॉर्क नंबर वन — Pgs. 206 74. सुरसाधक अंबिकापुरिहा — Pgs. 208 75. कोलंबस को समर्पित वाशिंगटन — Pgs. 210 76. अमेरिकी नहीं डाल सकते वोट — Pgs. 212 77. रायसिना से व्हाइट हाउस फीका — Pgs. 214

संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Bahaav

Bahaav - by - Prabhat Prakashan

Bahaav - वे दिन अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं, जब किसी अगस्त्य को अपने विचार और वाणी को दिक्दिगंत तक फैलाने के लिए पूरा-का-पूरा समुद्र पी जाना पड़ता था। फाह्यान या अलबरूनी की तरह अब यात्राएँ करने और उन्हें लिपि में सँजोने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ती। आप देख रहे हैं कि यह धरती एक ग्लोबल विलेज में तब्दील होती जा रही है और देशों की दूरियाँ हवाईजहाजों में सिमटकर रह गई हैं। ऐसे बहुत से लोग दिखाई पड़ते हैं, जो सुबह का नाश्ता एक देश में करते हैं और रात का भोजन दूसरे देश में। फिर भी यात्राओं ने अपना रोमांच नहीं खोया है और घुमक्कड़ी की इनसानी प्रवृत्ति कुछ नया देखने के लिए बेताब रहती है। युवा संपादक डॉ.

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  • Stock: 10
  • Model: PP2857
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2857
  • ISBN: 9789350483930
  • ISBN: 9789350483930
  • Total Pages: 216
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2015
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00