राजनीति : सामाजिक - Bharat Aur Europeeya Sangh : Ek Antrang Drishtikon
एक प्रचलित मान्यता के मुताबिक भारत-यूरोपीय संघ के संबंध को ब्रिटिश प्रिज्म के जरिए बेहतर ढंग से देखा जा सकता है। यह मान्यता भारत में सिकंदर के आगमन और रोमन साम्राज्य के भारत के साथ व्यापार जैसे ऐतिहासिक प्रमाण को नजरअंदाज करती है। हाल के समय में सांस्कृतिक शख्सियत सत्यजित रे कहीं और के बजाय पेरिस में ज्यादा मशहूर हैं। यूरोपीय संघ के साथ भारत का व्यापार, विशेष रूप से रक्षा संबंधी सामानों के मामले में चैनल के इर्द-गिर्द के देशों में ही नहीं, एक हद तक पूरे महादेश में फैला हुआ है।
ब्रेक्सिट अब उस ब्रिटिश प्रिज्म को हटा लेनेवाला है। एक ताजा और कई मायनों में भारत-यूरोपीय संघ का एक नया संबंध उभरकर आने वाला है। भास्वती मुखर्जी की पुस्तक ‘भारत और यूरोपीय संघ : एक अंतरंग दृष्टिकोण’ बहुत ही सामयिक है। यह अतीत की रूपरेखा को पेश करती है, तमाम जटिलताओं के बीच संबंधों की वर्तमान स्थिति की व्याख्या करती है और भविष्यवाणी भी करती है। यह बहुत ही सफल माने जाने वाले पेशेवर द्वारा एक वस्तुपरक आकलन है, जो अतीत के संबंधों की समस्याओं पर नजर डालते हुए भारत-यूरोपीय संघ के अधिक सुदृढ़ भविष्य के मद्देनजर व्यावहारिक कदम भी है।
एक बेहतर धाराप्रवाहिका के साथ लिखा गया ‘भारत और यूरोपीय संघ : एक अंतरंग दृष्टिकोण’ के शब्दचित्र आकर्षित करते हैं, जो इसे अनूठा और निश्चित रूप से पढ़े जानेवाला बनाते हैं।अनुक्रमप्रस्तावना —Pgs. 5आभार —Pgs. 7भारत-यूरोपीय संघ—एक जटिल एवं द्वंद्वात्मक संबंध —Pgs. 13अंतर-देश इकाई के रूप में यूरोपीय संघ —Pgs. 26यूरोपीय संघ के प्रिज्म के माध्यम से भारत-यूरोप संबंध —Pgs. 60एक विशेषाधिकार साझेदारी : शिखर सम्मेलन स्तर के संवाद की स्थापना —Pgs. 78भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी —Pgs. 96वर्तमान चुनौतियाँ और समाधान —Pgs. 111शिखर सम्मेलन के स्तर परिणामों की समीक्षा —Pgs. 160तेरहवाँ शिखर सम्मेलन : निरस्तीकरण और पुनरुद्धार —Pgs. 192भारत यूरोपीय संघ बोर्ड पर आधारित व्यापार व निवेश समझौता : समझौता मंजूर या नामंजूर? —Pgs. 211चौदहवाँ सम्मेलन : भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों में एक मायावी नए प्रतिमान की खोज में —Pgs. 240उपसंहार : आगे की राह —Pgs. 248परिशिष्टपरिशिष्ट-1 : भारत ई.यू. प्रथम सम्मेलन की संयुक्त घोषणा, जून 2000 —Pgs. 267परिशिष्ट-2 : सीसिलिया माल्मस्ट्रॉम का श्री लैंग को पत्र, दिनांक 1 अप्रैल, 2016 —Pgs. 275परिशिष्ट-3 : चौदहवें भारत-ई.यू. सम्मेलन का संयुक्त वक्तव्य, नई दिल्ली, 6 अक्तूबर, 2017 —Pgs. 279परिशिष्ट-4 : आतंकवाद रोधन हेतु सहयोग पर भारत-ई.यू. का संयुक्त वक्तव्य चौदहवाँ सम्मेलन, नई दिल्ली, 6 अक्तूबर, 2017 —Pgs. 293ग्रंथ-सूची —Pgs. 297संदर्भिका —Pgs. 309
राजनीति : सामाजिक - Bharat Aur Europeeya Sangh : Ek Antrang Drishtikon
Bharat Aur Europeeya Sangh : Ek Antrang Drishtikon - by - Prabhat Prakashan
Bharat Aur Europeeya Sangh : Ek Antrang Drishtikon - एक प्रचलित मान्यता के मुताबिक भारत-यूरोपीय संघ के संबंध को ब्रिटिश प्रिज्म के जरिए बेहतर ढंग से देखा जा सकता है। यह मान्यता भारत में सिकंदर के आगमन और रोमन साम्राज्य के भारत के साथ व्यापार जैसे ऐतिहासिक प्रमाण को नजरअंदाज करती है। हाल के समय में सांस्कृतिक शख्सियत सत्यजित रे कहीं और के बजाय पेरिस में ज्यादा मशहूर हैं। यूरोपीय संघ के साथ भारत का व्यापार, विशेष रूप से रक्षा संबंधी सामानों के मामले में चैनल के इर्द-गिर्द के देशों में ही नहीं, एक हद तक पूरे महादेश में फैला हुआ है। ब्रेक्सिट अब उस ब्रिटिश प्रिज्म को हटा लेनेवाला है। एक ताजा और कई मायनों में भारत-यूरोपीय संघ का एक नया संबंध उभरकर आने वाला है। भास्वती मुखर्जी की पुस्तक ‘भारत और यूरोपीय संघ : एक अंतरंग दृष्टिकोण’ बहुत ही सामयिक है। यह अतीत की रूपरेखा को पेश करती है, तमाम जटिलताओं के बीच संबंधों की वर्तमान स्थिति की व्याख्या करती है और भविष्यवाणी भी करती है। यह बहुत ही सफल माने जाने वाले पेशेवर द्वारा एक वस्तुपरक आकलन है, जो अतीत के संबंधों की समस्याओं पर नजर डालते हुए भारत-यूरोपीय संघ के अधिक सुदृढ़ भविष्य के मद्देनजर व्यावहारिक कदम भी है। एक बेहतर धाराप्रवाहिका के साथ लिखा गया ‘भारत और यूरोपीय संघ : एक अंतरंग दृष्टिकोण’ के शब्दचित्र आकर्षित करते हैं, जो इसे अनूठा और निश्चित रूप से पढ़े जानेवाला बनाते हैं।अनुक्रमप्रस्तावना —Pgs.
- Stock: 10
- Model: PP2111
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2111
- ISBN: 9789353226282
- ISBN: 9789353226282
- Total Pages: 312
- Edition: Edition 1
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2019
₹ 800.00
Ex Tax: ₹ 800.00