उपन्यास - Musafir Hoon Yaro
इस पुस्तक के लेखक सरकार के लिए कार्य करनेवाले एक सैंतीस वर्षीय भारतीय हैं। भारत सरकार ने अपने मध्य क्रम के अधिकारियों के शिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत एम.बी.ए कोर्स हेतु उन्हें चुना और प्रायोजित किया था। इस कोर्स के लिए उन्हें एक अल्पज्ञात यूरोपीय देश स्लोवेनिया की राजधानी ल्युब्ल्याना भेजा गया।
बीते हजारों वर्षों से यूरोपीय यात्री भारत की यात्रा करते और अपनी इन यात्राओं के बारे में लिखते रहे हैं। मेगस्थनीज से लेकर मार्को पोलो और निकोलो कॉण्टी से मार्क टली तक बहुत से श्वेत यूरोपियनों ने भारत की यात्रा कर अपने देशवासियों व भावी पीढ़ी के लाभ हेतु अपने अनुभवों को दर्ज किया है। इस अनुपात में, यूरोप की यात्रा करनेवाले भारतीयों की संख्या बहुत कम है और उनमें से भी अपने अनुभवों, दृष्टिकोणों व प्रतिक्रियाओं को दर्ज करनेवालों की संख्या तो और भी कम रही है। लेकिन पिछली शताब्दी में भारत इतना बदल गया है, जितना इतिहास में किसी भी शताब्दी में नहीं बदला था। आज इतिहास में पहली बार यूरोप से आनेवालों के मुकाबले यूरोप जानेवाले भारतीयों की संख्या अधिक हो गई है। इसके बावजूद कुछ अज्ञात कारणों से अपनी यूरोप यात्रा के अनुभवों को दर्ज करनेवाले भारतीयों की संख्या नगण्य ही है। यह पुस्तक इसी असंतुलन को साधने का एक विनीत प्रयास है, जो वहाँ की कला-संस्कृति-समाज का सांगोपांग दर्शन कराती है।अनुक्रमआभारोति — 6लेखकीय — 71. प्यारा सा ल्युल्याना — 132. स्लोवेनिया में घुमकड़ी — 283. अति विशिष्ट वेनिस — 434. शाश्वत रोम — 535. सुंदर सुरम्य प्राग — 776. बुडापेस्ट : मेरी निजी पसंद — 927. पेरिस : यूरोप का रत्न — 1088. अद्वितीय लंदन — 1219. लो-लैंड्स के पार — 14210. जर्मन भूमि पर — 160उपसंहार — 184
उपन्यास - Musafir Hoon Yaro
Musafir Hoon Yaro - by - Prabhat Prakashan
Musafir Hoon Yaro - इस पुस्तक के लेखक सरकार के लिए कार्य करनेवाले एक सैंतीस वर्षीय भारतीय हैं। भारत सरकार ने अपने मध्य क्रम के अधिकारियों के शिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत एम.
- Stock: 10
- Model: PP660
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP660
- ISBN: 9789386300225
- ISBN: 9789386300225
- Total Pages: 184
- Edition: Edition 1
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2018
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00