शिक्षा - Shaikshik Parivartan Ka Yatharth
जीवन की चहुँमुखी और उत्तरोत्तर प्रगति का मार्ग शिक्षा की ज्योति से ही सर्वाधिक प्रकाशित होता है। समाज की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को साकार रूप देने का दायित्व शिक्षा अपने में समयानुकूल परिवर्तन कर निभाती है। जिस प्रकार सामाजिक परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है उसी प्रकार शैक्षिक परिवर्तन भी एक सतत प्रक्रिया है।
एक शैक्षिक प्रक्रिया की आवश्यकता को परे रखकर केवल विचारधारा तथा पूर्वग्रहों के आधार पर उसकी आलोचना करने का बहुत बड़ा कुप्रयास सन् 2000-2004 के बीच किया गया। अनेक भ्रम फैलाए गए, निर्मूल आशंकाएँ व्यक्त की गईं और एक ऐसा चित्र देश के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया, जो शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा संस्थाओं में अनावश्यक तनाव एवं आशंकाएँ पैदा कर दे। किंतु लोगों ने धीरे-धीरे कुछ विशिष्ट पक्षों को समझा। मूल्यों का शिक्षा में समावेश तथा उसकी महती आवश्यकता से सभी सहमत हुए। बच्चों पर बढ़ते बस्ते के बोझ से सभी वर्ग चिंतित थे, मूल्यों के क्षरण से हताश थे तथा जो कुछ नया हो रहा है उसे बच्चों तक पहुँचाया जाए, ऐसा चाहते थे। लोगों का विश्वास शैक्षिक परिवर्तन की आवश्यकता तथा उसकी प्रकृति पर बिना किसी शंका के दृढ़ होता गया। इस संग्रह के लेख शैक्षिक परिवर्तन के इसी यथार्थ का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं।
शैक्षिक परिवर्तन की आवश्यकता क्यों महसूस हुई? शिक्षा में परिवर्तन के कौन-कौन से कारक रहे? क्या है इसका यथार्थ? इस प्रकार के अनेक प्रश्नों के उत्तरों की पड़ताल करती यह पुस्तक शिक्षा की आवश्यकता, परिवर्तनशीलता तथा उसकी गुणवत्ता के लिए सतत प्रयासों की निरंतरता को स्थापित करने में योगदान देगी, ऐसा हमारा विश्वास है।कल का भरोसा
शिक्षा - Shaikshik Parivartan Ka Yatharth
Shaikshik Parivartan Ka Yatharth - by - Prabhat Prakashan
Shaikshik Parivartan Ka Yatharth - जीवन की चहुँमुखी और उत्तरोत्तर प्रगति का मार्ग शिक्षा की ज्योति से ही सर्वाधिक प्रकाशित होता है। समाज की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को साकार रूप देने का दायित्व शिक्षा अपने में समयानुकूल परिवर्तन कर निभाती है। जिस प्रकार सामाजिक परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है उसी प्रकार शैक्षिक परिवर्तन भी एक सतत प्रक्रिया है। एक शैक्षिक प्रक्रिया की आवश्यकता को परे रखकर केवल विचारधारा तथा पूर्वग्रहों के आधार पर उसकी आलोचना करने का बहुत बड़ा कुप्रयास सन् 2000-2004 के बीच किया गया। अनेक भ्रम फैलाए गए, निर्मूल आशंकाएँ व्यक्त की गईं और एक ऐसा चित्र देश के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया, जो शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा संस्थाओं में अनावश्यक तनाव एवं आशंकाएँ पैदा कर दे। किंतु लोगों ने धीरे-धीरे कुछ विशिष्ट पक्षों को समझा। मूल्यों का शिक्षा में समावेश तथा उसकी महती आवश्यकता से सभी सहमत हुए। बच्चों पर बढ़ते बस्ते के बोझ से सभी वर्ग चिंतित थे, मूल्यों के क्षरण से हताश थे तथा जो कुछ नया हो रहा है उसे बच्चों तक पहुँचाया जाए, ऐसा चाहते थे। लोगों का विश्वास शैक्षिक परिवर्तन की आवश्यकता तथा उसकी प्रकृति पर बिना किसी शंका के दृढ़ होता गया। इस संग्रह के लेख शैक्षिक परिवर्तन के इसी यथार्थ का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। शैक्षिक परिवर्तन की आवश्यकता क्यों महसूस हुई?
- Stock: 10
- Model: PP2780
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2780
- ISBN: 9788193433263
- ISBN: 9788193433263
- Total Pages: 216
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2017
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00