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शिक्षा - Shabd Shabd Jharte Arth

शिक्षा - Shabd Shabd Jharte Arth
भूमि के पुत्र के रूप में मनुष्य ने अपनी विचारणा का विस्तार किया। उसके चिंतन में भूमि अपनी समग्रता में समा गई। तात्पर्य यह कि चिंतन की सरणियाँ जब दिक् के भौतिक स्वरूप को भेदती हैं तो जड़ वस्तु सजीव बनकर उपस्थित होती है। यह कौतुक नहीं है। सत्य और ऋत् की आनुभूतिक चिंतना की देहरी पर खड़े मनुष्य ने भूमि-जाये, तृण-पर्वत, नदी-सिंधु में एक चैतन्य शक्ति की ज्योति का साक्षात् किया। यह अनुभव भय या विस्मय आधारित नहीं है। यह मनुष्य के भीतर के उल्लास का महोल्लास में रूपांतरण है। एक आभ सब में चमक-रेख बनकर क्रियात्मक शक्ति के रूप में उभरती है। क्रियात्मकता मनुष्य के व्यवहार और निसर्ग की धड़कनों और उसकी सर्जनात्मक-विध्वंसात्मक प्रवृत्ति में अभिव्यक्त होती है। उन्हीं में से सनातन-पुरुष और सनातन प्रकृति उभरती है। राष्ट्रपाद के चैतन्यलोक की यह ‘सनातनता’ नींव है।’’—इसी पुस्तक से

शिक्षा - Shabd Shabd Jharte Arth

Shabd Shabd Jharte Arth - by - Prabhat Prakashan

Shabd Shabd Jharte Arth -

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  • Stock: 10
  • Model: PP2815
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2815
  • ISBN: 9789382901792
  • ISBN: 9789382901792
  • Total Pages: 192
  • Edition: Edition Ist
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2019
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00