विज्ञान - Gyan Ka Yug Aur Bharat
वर्तमान युग ज्ञान का युग है। ज्ञान अब एक मूल्यवान् संपदा बन चुका है। भारत सहित विश्व के तमाम देश बौद्धिक संपदा अधिकारों संबंधी अपने राष्ट्रीय ढाँचे को नया व अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देते जा रहे हैं, जो ज्ञान अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता हुआ एक सशक्त कदम है।
ज्ञान आधारित समाज के निर्माण के लिए समाज के हर वर्ग का सहयोग आवश्यक है। आज हमारे पास वह सबकुछ है जो इस युग में भारत को पुनः वह स्थान दिला सकता है जो कभी इसे प्राप्त था।
प्रस्तुत पुस्तक के प्रथम खंड में ज्ञान व ज्ञान-प्रबंधन संबंधी विभिन्न पहलुओं का सूक्ष्मता से विश्लेषण किया गया है। इसमें प्राचीन भारत में ज्ञान की महिमा और ज्ञान आधारित समाज व्यवस्था के अलावा विभिन्न प्रकार के ज्ञान, ज्ञान-प्रबंधन, ज्ञान संगठनों के लक्षणों, ज्ञान के अद्भुत भंडार व संस्कृति पर भी प्रकाश डाला गया है। साथ ही, भविष्य में ज्ञान का आर्थिक लेखा-जोखा कैसे किया जाएगा तथा छोटे व मँझले स्तर के संगठनों में ज्ञान व्यवस्था की स्थापना से जुड़े पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है।
पुस्तक के द्वितीय खंड में भारत को एक ‘ज्ञान महाशक्ति’ बनानेवाली कार्ययोजना के संबंध में विस्तार से समझाया-बताया गया है। इस खंड में भारत की शक्तियों व कमजोरियों तथा भारत के समक्ष वर्तमान में जो चुनौतियाँ हैं उनका विस्तार से वर्णन किया गया है। राष्ट्रीय विकास में ज्ञान की आवश्यकता, उसकी भूमिका एवं स्वरूप पर विस्तृत चर्चा पाठकों के लिए उपयोगी व ज्ञानप्रद है।
विज्ञान - Gyan Ka Yug Aur Bharat
Gyan Ka Yug Aur Bharat - by - Prabhat Prakashan
Gyan Ka Yug Aur Bharat -
- Stock: 10
- Model: PP2444
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2444
- ISBN: 9789386231581
- ISBN: 9789386231581
- Total Pages: 226
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2018
₹ 450.00
Ex Tax: ₹ 450.00