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भक्ति साहित्य

भक्ति साहित्य
हिंदू देवी-देवताओं के नयनाभिराम और सुंदर चित्र भक्‍तों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तथा उनमें आस्था एवं भक्‍त‌िभाव की अजस्र धारा प्रवाहित कर देते हैं। पर कम ही लोग इन चित्रों में प्रदर्शित विभिन्न स्वरूपों के बारे में ज्ञान रखते हैं।प्रस्तुत पुस्तक हिंदू कलेंडर कला के इन चित्रों के रहस्यों को सुलझ..
₹ 200.00
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हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की बहुत मान्यता है। घर-घर में अनेक देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना अपूर्व श्रद्धा, आस्था, प्रेम और विधि-विधान से की जाती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता भी है कि इन देवी-देवताओं की संख्या करोड़ों में है। इनके प्रति असीम भक्ति और मान्यताओं ने ही इनकी अनेक कथाओं को जन्म दिया। रा..
₹ 250.00
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भारतीय  संस्कार,  रीति-रिवाज, परंपराएँ, प्रथाएँ एवं धार्मिक कृत्य शास्त्रीय हैं या ऐसा कहें कि अपना धर्म और शास्त्र एक ही सिक्के के दो बाजू हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अपने ऋषियों और प्राचीन काल के निष्णात गुरुओं ने अपनी अंतरात्मा की अनंत गहराई में उतरकर चेतना का जाग्रत् आनंद लिया था। अपने  अंतर्ज्..
₹ 500.00
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भारतीय  संस्कार,  रीति-रिवाज, परंपराएँ, प्रथाएँ एवं धार्मिक कृत्य शास्त्रीय हैं या ऐसा कहें कि अपना धर्म और शास्त्र एक ही सिक्के के दो बाजू हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अपने ऋषियों और प्राचीन काल के निष्णात गुरुओं ने अपनी अंतरात्मा की अनंत गहराई में उतरकर चेतना का जाग्रत् आनंद लिया था। अपने  अंतर्ज्..
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भारत की आर्ष-परंपरा के बारे में औपनिवेशिक काल से लेकर अब तक एक विशेष विचार का सृजन एवं पोषण किया गया है, जिसके अनुसार भारतीय समाज हजारों सालों से विभिन्न जातियों में बँटा हुआ था और ये जातियाँ एक-दूसरे को घृणा तथा हेयदृष्टि से देखती थीं। इसका कारण यह बताया गया कि ‘मनुस्मृति’ जैसी रचनाओं के कारण ही भा..
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‘ढोलक रानी मोरे नित उठि आयू’ में लोकमंगल भाव का आह‍्वान है, जो भारतीय संस्कृति का प्राणतत्त्व है। भारतीय ऋषियों ने मानव जीवन को संस्कारों के अनुशासन में बाँधकर उसे मनुष्य होने की गरिमा और सार्थकता देने का विधान रचा। शास्‍त्र और लोक, दोनों ने इस अनुशासन का महत्त्व समझा और संस्कारों, अनुष्‍ठानों के ग..
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श्रीमद्भगवद्गीता के अतुलनीय महत्त्व के कारण विश्व की 75 विदेशी भाषाओं सहित लगभग 82 भाषाओं में इसका रूपांतरण हो चुका है तथा सहस्रों टीकाएँ इस पर लिखी जा चुकी हैं। तो फिर इस एक और टीका की आवश्यकता क्यों पड़ी? जिन-जिन विद्वानों के मन में त्रिगुणमयी प्रकृति के गुणों से जन्य जैसा भाव उनके अंतःकरण व बुद्ध..
₹ 900.00
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श्रीमद्भगवद्गीता के अतुलनीय महत्त्व के कारण विश्व की 75 विदेशी भाषाओं सहित लगभग 82 भाषाओं में इसका रूपांतरण हो चुका है तथा सहस्रों टीकाएँ इस पर लिखी जा चुकी हैं। तो फिर इस एक और टीका की आवश्यकता क्यों पड़ी? जिन-जिन विद्वानों के मन में त्रिगुणमयी प्रकृति के गुणों से जन्य जैसा भाव उनके अंतःकरण व बुद्ध..
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"यह पुस्तक महात्मा बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को बहुत ही सरल एवं स्पष्ट तरीके से रेखांकित करती है; बुद्ध की महत्त्वपूर्ण शिक्षाओं का वर्णन करती है; दुःख को सुख और प्रसन्‍नता में बदलने की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है ।यह शिक्षा सिखाती है कि कैसे अपने प्रति दयालुता और अपने एवं दूसरों के दर्द के प्रति करु..
₹ 400.00
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गौतम बुद्ध तथागत नाम से भी जाने गए। गौतम बुद्ध ने अपने सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार में जाति व्यवस्था का भी घोर विरोध किया था। उन्होंने मानव-मानव की समानता पर बल दिया। उन्होंने जन्म को न मानकर बुद्धि तथा चरित्र के आधार को छोटे-बड़े होने का मापदंड माना है। उन्होंने घोषणा भी की थी कि मनुष्य जन्म से नही..
₹ 350.00
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किसी भी रचना की उपयोगिता तभी है, जब वह अधिक-से-अधिक पाठकों/ समीक्षकों तक पहुँचे। जो रचनाएँ पाठकों के दिलों को छू लेती हैं, वे रचनाएँ अमर हो जाती हैं। वरिष्ठ कवियों/शायरों/ साहित्यकारों को सम्मान ज्ञापित करना एवं नई पीढ़ी के कलमकारों को सही दिशा की ओर अग्रसर करने के प्रयासों में आदरणीय दीक्षित दनकौरी..
₹ 175.00
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Geet Govind - PP1908 - भक्ति साहित्य..
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