भारतीय समाज में व्यक्ति का उत्तरोत्तर अमानवीयकरण ही विगत साठ वर्षों के वैचारिक इतिहास का केंद्रीय तत्त्व रहा है। किसी भी समाज में यदि व्यक्ति का निरंतर अमानवीयकरण होता रहे, तो वह समाज कभी भी मजबूत नहीं हो सकता, चाहे कितना भी बड़ा भौतिक ढाँचा क्यों न खड़ा कर ले।
आज के दौर में जब नैतिक मूल्यों का प..
‘हिंदुत्व’ एक ऐसा शब्द है, जो संपूर्ण मानवजाति के लिए आज भी अपूर्व स्फूर्ति तथा चैतन्य का स्रोत बना हुआ है। इस शब्द से संबद्ध विचार, महान् ध्येय, रीति-रिवाज तथा भावनाएँ कितनी विविध तथा श्रेष्ठ हैं। ‘हिंदुत्व’ कोई सामान्य शब्द नहीं है। यह एक परंपरा है। एक इतिहास है। यह इतिहास केवल धार्मिक अथवा आध्यात..
भारत में बहुत से लोगों को हमारे पूर्वजों द्वारा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम आदि में पहली शताब्दी ईसापूर्व से 17वीं शताब्दी तक स्थापित हिंदू साम्राज्यों के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। उनकी राजनीतिक विजय उनके अधीनस्थ क्षेत्रों की..
ईश्वर की आत्मकथा दरअसल एक नजरिया है, जिसे अपनाकर कोई भी इनसान कुदरत और ईश्वर के साथ अपने रिश्ते को सभी प्रकार के पूर्वग्रहों से मुक्त होकर महसूस कर सकता है। यह किताब किसी धर्म के आधार पर नहीं बल्कि जीवन के परिप्रेक्ष्य में ईश्वर की एक संतुलित और साश्चर्यपूर्ण अवधारणा को अभिव्यक्ति देती है।
ईश्वर की..
ऋषि अष्टावक्र और उनके शिष्य, राजा जनक की कहानी बेहद रोचक प्रसंगों में से एक होकर भी ऐसी है जिसे कम ही लोग जानते हैं।
अष्टावक्र नाम का एक बालक राजा जनक के दरबार में राज्य के सबसे विद्वान् ऋषि-मुनियों से शास्त्रार्थ के लिए जाता है लेकिन राजा के दरबारी उसके विकृत शरीर के कारण उसका उपहास करते हैं। वह ब..
रामचरितमानस का दर्शन, इसकी फिलॉसफी, इसके विचार, सिद्धांत, नीति, शब्दों का गठन सबकुछ अद्भुत
है। कहते हैं, जिस समय तुलसीदासजी
ने रामचरितमानस लिखी, उनके दो ही सहारे थे—एक राम और दूसरे हनुमान। हनुमानजी उनका प्रमुख सहारा थे, गुरु
थे उनके।
जब रामचरितमानस लिखना आरंभ किया तो कहते हैं, रामचरितमानस के ..
आप यह पुस्तक उठाकर पढ़ रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आप कहीं-न-कहीं आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक शांति तलाश रहे हैं। बेशक हजारों युगों से मानव का पथ-प्रदर्शन करनेवाली श्रीमद्भगवद्गीता आपके लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी कभी यह महाबली अर्जुन या उन्नत महापुरुषों की प्रतिकूल अवस्थाओं में रही है।‘जी..
आप यह पुस्तक उठाकर पढ़ रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आप कहीं-न-कहीं आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक शांति तलाश रहे हैं। बेशक हजारों युगों से मानव का पथ-प्रदर्शन करनेवाली श्रीमद्भगवद्गीता आपके लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी कभी यह महाबली अर्जुन या उन्नत महापुरुषों की प्रतिकूल अवस्थाओं में रही है। ‘ज..
सामान्य तरीके से जन्म लेकर और एक अति सामान्य परिवार में पलकर कैसे महानता के शीर्ष को छुआ जा सकता है, यह महात्मा कबीर के आचार, व्यवहार, व्यक्तित्व और कृतित्व से सीखा जा सकता है। कबीर ने कोई पंथ नहीं चलाया, कोई मार्ग नहीं बनाया; बस लोगों से इतना कहा कि वे अपने विवेक से अपने अंतर्मन में झाँकें। कबीर..
मनु शर्मा ने साहित्य की हर विधा में लिखा है। उनके समृद्ध रचना-संसार में आठ खंडों में प्रकाशित ‘कृष्ण की आत्मकथा’ भारतीय भाषाओं का विशालतम उपन्यास है। किताबें : ‘तीन प्रश्न’, ‘राणा साँगा’, ‘छत्रपति’, ‘एकलिंग का दीवान’ ऐतिहासिक उपन्यास; ‘मरीचिका’, ‘विवशता’, ‘लक्ष्मणरेखा’, ‘गांधी लौटे’ सामाजिक उपन्यास..
प्रस्तुत कृति संस्कृत के अमर कवि कालिदास के ‘कुमारसंभव’ महाकाव्य के काव्यानुवाद का एक अभिनव प्रयास है।
‘कुमारसंभव’ का शाब्दिक अर्थ
है—‘कुमार का जन्म’। यहाँ ‘कुमार’ से आशय शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से है। इस कृति के पीछे कवि का उद्देश्य है—शिव-पार्वती की तपस्या, प्रेम, विवाह और उनके पुत्र कुम..