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छात्रोपयोगी

छात्रोपयोगी
1000 Arthshastra Prashnottari
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किसी भी समाज अथवा देश का आर्थ‌िक दृष्‍ट‌ि से संपन्न - समर्थ होना अति आवश्यक होता है । यानी किसी भी समाज व देश की आर्थ‌िक सबलता उसके नागरिकों के अर्थ संबंधी ज्ञान से जुड़ी होती है । अर्थशास्त्र से हमें ऐसा ही ज्ञान प्राप्‍त होता है । प्रस्तुत पुस्तक हमें देश की आर्थ‌िक स्थिति व अर्थव्यवस्था के संबंध म..
₹ 350.00
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Hindi Nibandh Saurabh - PP1031 - छात्रोपयोगी..
₹ 300.00
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प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न छटाओं के इंद्रधनुषी डाक टिकट एवं उनके संबंध में ज्ञानप्रद जानकारियाँ दी गई हैं। इन डाक टिकटों पर इतिहास, भूगोल, राजनीति, व्यक्‍ति, संस्कृति-सभ्यता, साहित्य-विज्ञान, जीव-जंतु, खेल-कूद, स्थापत्य-मूर्ति, चित्र-कलाओं आदि के विविध रंग-रूप देखने को मिलते हैं। स्वतंत्र भारत के ..
₹ 150.00
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अनुक्रमणिकालेखकीय —Pgs. 71. बालगीत —Pgs. 112. माँ की लोरी —Pgs. 343. संस्कार गीत —Pgs. 63संदर्भ ग्रंथ-सूची —Pgs. 229..
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जब कभी आप गाँव की ओर निकले होंगे, आपने देखा होगा, किसी बड़ या पीपल के पेड़ के नीचे, चबूतरे पर कुछ मूरतें रखी हैं—माटी की मूरतें! ये मूरतें—न इनमें कोई खूबसूरती है, न रंगीनी। किंतु इन कुरूप, बदशक्ल मूरतों में भी एक चीज है, शायद उस ओर हमारा ध्यान नहीं गया, वह है जिंदगी! ये माटी की ब नी हैं, माटी पर धर..
₹ 250.00
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बाबू गुलाबरायजी के संबंध में कुछ साहित्यकारों के विचार स्मृति ग्रंथ से— सहज मानव और महान्ï साहित्यि बाबूजी अधीतमाध्यपित मर्जित यश: के मूर्तिमान् रूप थे। उनके स्नेह, वैदुष्य और सहृदयता ने अनेक कृती व्यक्तित्वों को गौरवशाली बनाया है। उनको गुरु और गुरुतुल्य माननेवालों की संख्या बहुत अधिक है। उन्होंने..
₹ 250.00
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इस कृति का अपना एक वैशिष्ट्य है। इसमें दिए गए निबंधों के परिशीलन करने के उपरांत यह सत्य उद्घाटित होता है- निबध में लेखक और पाठक का परो क्षत्व समाप्त हो जाता है; दोनों आमने-सामने खड़े होकर कहते-सुनते हैं। इस निबंध संग्रह में जीवन के समस्त क्षेत्रों की वास्तविकता, विषय की जिज्ञासा और संवेदना, विचारों ..
₹ 500.00
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इस कृति का अपना एक वैशिष्ट्य है। इसमें दिए गए निबंधों के परिशीलन करने के उपरांत यह सत्य उद्घाटित होता है- निबध में लेखक और पाठक का परो क्षत्व समाप्त हो जाता है; दोनों आमने-सामने खड़े होकर कहते-सुनते हैं। इस निबंध संग्रह में जीवन के समस्त क्षेत्रों की वास्तविकता, विषय की जिज्ञासा और संवेदना, विचारों ..
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‘सामान्य ज्ञान’ शब्द सुनने में जितना सामान्य है, तजुरबे और प्रयोग में उतना ही असामान्य और असाधारण है। सामान्य से ज्ञान को सीखकर व्यक्ति असामान्य और असाधारण बन सकता है। सामान्य ज्ञान से व्यक्ति का मस्तिष्क परिपक्व होता है, उसका आई.क्यू. बढ़ता है। यही नहीं, सामान्य ज्ञान का एक प्रश्न अनेक प्रश्नों को ..
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विश्‍व के प्रतिष्‍ठित उद्योगपतियों में एक जे.आर.डी. टाटा नागरिक उड्डयन से लेकर परमाणु ऊर्जा तक की भारतीय प्रगति में अग्रणी भूमिका निभानेवाले और भारत को इन दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भर एवं संपन्न बनानेवाले महान् व्यक्‍तित्व थे। वे लगभग चार दशकों तक टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के चेयरमैन रहे और इस्पात..
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शुद्ध उच्चारण का ज्ञान कराने की दृष्टि से संस्कृत के आधार पर प्रारंभ में ही अक्षरों के उच्चारण व प्रयत्न का अध्याय रखा गया है। व्याकरण के सामान्य पद-परिचय के अतिरिक्त शब्द-भंडार वृद्धि के लिए, शब्दों के सूक्ष्म ज्ञान और सही अर्थ में प्रयोग करने के लिए संधि समास, पर्यायवाची व विलोम शब्द आदि के कई उपय..
₹ 100.00
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छात्रों का सामाजिक-सांस्कृतिक विकास हो, वे अपनी संस्कृति एवं जीवन-मूल्यों को जानें, इसलिए विद्यालयों में अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में गीत, नृत्य, नाटक, वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ आदि प्रमुख हैं। प्रायः विद्यालय स्तर पर एक ऐसी उपादेय पुस्तक का अभाव सदैव खटकता रहा है,..
₹ 400.00
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