छात्रोपयोगी - Mere Manasik Upadaan
बाबू गुलाबरायजी के संबंध में कुछ साहित्यकारों के विचार स्मृति ग्रंथ से—
सहज मानव और महान्ï साहित्यि
बाबूजी अधीतमाध्यपित मर्जित यश: के मूर्तिमान् रूप थे। उनके स्नेह, वैदुष्य और सहृदयता ने अनेक कृती व्यक्तित्वों को गौरवशाली बनाया है। उनको गुरु और गुरुतुल्य माननेवालों की संख्या बहुत अधिक है। उन्होंने हिंदी संसार को बहुत दिया है। वे दोनों हाथ लुटानेवालों में थे। कभी उन्होंने प्रतिपादन की आशा नहीं रखी। वे सब प्रकार से महान् थे। —हजारी प्रसाद द्विवेदी
जागरू• साहित्य
आदरणीय भाई गुलाबरायजी हिंदी के उन साधक पुत्रों में थे, जिनके जीवन और साहित्य में कोई अंतर नहीं रहा। तप उनका संबल और सत्य स्वभाव बन गया था। उन जैसे निष्ठावान्, सरल और जागरूक साहित्यकार विरले ही मिलेंगे। उन्होंने अपने जीवन की सारी अग्निपरीक्षाएँ हँसते-हँसते पार की थीं। उनका साहित्य सदैव नई पीढ़ी के लिए प्रेरक बना रहेगा।
—महादेवी वर्मा
अपना प्रमाण
बाबूजी ने हिंदी के क्षेत्र में जो बहुमुखी कार्य किया, वह स्वयं अपना प्रमाण आप है। प्रशंसा नहीं, वस्तुस्थिति है कि उनके चिंतन, मनन और गंभीर अध्ययन के रक्त-निर्मित गारे से हिंद भारती के मंदिर का बहुत सा भाग प्रस्तुत हो सका है।
—उदयशंकर भट्ट
साहित्यानुष्ठा
बाबू गुलाबरायजी आधुनिक हिंदी के विशिष्ट प्राणवान्, निर्माता, साहित्यानुष्ठा हैं। जीवन भर उन्होंने हिंदी को समृद्ध करने के लिए सारस्वत अनुष्ठान किया और ऐसे सृजनशील साहित्य-सेवियों का निर्माण किया जिनका गौरव हिंदी के लिए श्रीवर्द्धक है।
—सुधाकर पांडेय
छात्रोपयोगी - Mere Manasik Upadaan
Mere Manasik Upadaan - by - Prabhat Prakashan
Mere Manasik Upadaan -
- Stock: 10
- Model: PP1019
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1019
- ISBN: 9788173155765
- ISBN: 9788173155765
- Total Pages: 200
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2015
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00