Literary Criticism - Hindi Sahitya : Udbhav Aur Vikas
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने साहित्यिक इतिहास-लेखन को पहली बार ‘पूर्ववर्ती व्यक्तिवादी इतिहास-प्रणाली के स्थान पर सामाजिक अथवा जाती ऐतिहासिक प्रणाली’ का दृढ़ वैज्ञानिक आधार प्रदान किया। उनका प्रस्तुत ग्रन्थ इसी दृष्टि से हिन्दी का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण साहित्येतिहास है। यह कृति मूलतः विद्यार्थियों को दृष्टि में रखकर लिखी गई है। प्रयत्न किया गया है कि यथासम्भव सुबोध भाषा में साहित्य की विभिन्न प्रवृत्तियों और उसके महत्त्वपूर्ण बाह्य रूपों के मूल और वास्तविक स्वरूप का स्पष्ट परिचय दे दिया जाए। परन्तु पुस्तक के संक्षिप्त कलेवर के समय ध्यान रखा गया है कि मुख्य प्रवृत्तियों का विवेचन छूटने न पाए और विद्यार्थी अद्यावधिक शोध-कार्यों के परिणाम से अपरिचित न रह जाएँ। उन अनावश्यक अटकलबाजियों और अप्रासंगिक विवेचनाओं को समझाने का प्रयत्न तो किया गया है, पर बहुत अधिक नाम गिनाने की मनोवृत्ति से बचने का भी प्रयास है। इससे बहुत से लेखकों के नाम छूट गए हैं, पर साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ नहीं छूटी हैं।साहित्य के विद्यार्थियों और जिज्ञासुओं के लिए एक अत्यन्त उपयोगी पुस्तक।
Literary Criticism - Hindi Sahitya : Udbhav Aur Vikas
Hindi Sahitya : Udbhav Aur Vikas - by - Rajkamal Prakashan
Hindi Sahitya : Udbhav Aur Vikas -
- Stock: 10
- Model: RKP661
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP661
- ISBN: 0
- Total Pages: 264p
- Edition: 2022, Ed, 21st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 1952
₹ 895.00
Ex Tax: ₹ 895.00