कविता - Nartan Karte Shabda
कृष्ण कुमारजी विश्व भर में फैले हुए भारतवंशीय समुदाय के एक अभिन्न अंग हैं, ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। वे हिंदी के प्रति निष्ठावान हैं और इसके प्रचार-प्रसार की अनेक गतिविधियाँ संचालित करते हैं। हिंदी जगत् ने उनके साहित्यकार मन और कवि मन की अनुभूतियों की ध्वनियाँ सुनीं। आश्चर्य भी हुआ कि विज्ञान शास्त्र का यह व्यक्ति इतना 'भावुक-मन’ भी हो सकता है।
गद्य और पद्य के संगम ने इन्हें कवि बना दिया और संवेदनशील मन से कविता का निर्झर बहने लगा। 'नर्तन करते शब्द’ कविता संग्रह एवं अन्य संग्रह इसका प्रमाण हैं।
'नर्तन करते शब्द’ शीर्षक जितना सुंदर है, कविताएँ भी उतनी ही सुंदर, सहज, परत-दर-परत नैतिक मूल्यों को उकेरती हुई, तो कभी गूढ़ अर्थों से ओतप्रोत होकर बहती हुईं।
उन्होंने स्वयं स्वीकारा है कि उनके बंधु-बांधव उन्हें अध्यात्म, दर्शन, जीवन-मरण, पौराणिकता से ओतप्रोत नैतिक मूल्यों के संरक्षक एवं भारतीयता को समॢपत कवि के रूप में देखने लगे हैं।
कविता - Nartan Karte Shabda
Nartan Karte Shabda - by - Prabhat Prakashan
Nartan Karte Shabda -
- Stock: 10
- Model: PP755
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP755
- ISBN: 9789380823607
- ISBN: 9789380823607
- Total Pages: 112
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2012
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00