Drama Studies Books - Natakkar Bhartendu Ki Rang-parikalpana
नाटक की परिभाषा...मंच-तंत्र की अपेक्षाओं की दृष्टि से करनी होगी...नए नाट्य-विधान और नई रंगविधियों की अन्वीक्षा करनी होगी। नाट्यालोचन के लिए इस राह पर चलना एक बहुत बड़ी चुनौती है...सत्येन्द्र कुमार तनेजा की पुस्तक ‘नाटककार भारतेन्दु की रंग-परिकल्पना’ इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण क़दम है...इस पुस्तक में शास्त्रीय मान्यताओं की अवहेलना किए बिना भारतेन्दु की रंग-परिकल्पना को पहचानने का प्रयास किया है...आज हिन्दी में इसी प्रकार की रंगचेतना युक्त आलोचनाओं की आवश्यकता है...इस पुस्तक में नाट्यालोचन को नई दिशा देने एवं नए प्रतिमान स्थापित करने की क्षमता है, इसे स्वीकार करना होगा।—वीरेन्द्र मेंहदीरत्ता, समीक्षा सितम्बर-अक्ट्रबर, 1977उन्होंने प्रस्तुत पुस्तक में नाटक का विवेचन-विश्लेषण रंगमंच की दृष्टि से किया है...प्रस्तुत पुस्तक में आलेख, दृश्यबन्ध, रंगसज्जा, वेशभूषा, भाषा और अभिनय-शैली आदि प्रस्तुतीकरण के पक्षों को सभी नाटकों के प्रसंग में विवेचित किया है...हिन्दी में व्यावहारिक विश्लेषण से युक्त नाट्यालोचन की यह लगभग पहली पुस्तक है। इस दृष्टि से और विश्वविद्यालय में नाटक की आत्मा को ‘रंगमंच’ में तलाशने के प्रयास के रूप में इस नाट्यालोचन का स्वागत है।—इन्दुजा अवस्थी, नटरंग, जनवरी-मार्च, 1977
Drama Studies Books - Natakkar Bhartendu Ki Rang-parikalpana
Natakkar Bhartendu Ki Rang-parikalpana - by - Radhakrishna Prakashan
Natakkar Bhartendu Ki Rang-parikalpana - नाटक की परिभाषा.
- Stock: 10
- Model: RKP2763
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP2763
- ISBN: 0
- Total Pages: 111p
- Edition: 2002, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2002
₹ 125.00
Ex Tax: ₹ 125.00