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Culture

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देखते हम सब हैं, लेकिन देखने की कला सीखने और अभ्यास का विषय है। आज का जीवन कुछ ऐसा है कि वस्तुएँ, रंग और स्थितियाँ एक भागमभाग में हमारी आँखों के सामने आती हैं, और इससे पहले कि हम उन्हें 'देख' सकें, लुप्त भी हो जाती हैं; न तो हम उन चीजों से, उनके फैलाव से, उनकी वास्तविकता से परिचित हो पाते हैं, और न ..
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सैयद हैदर रज़ा को आधुनिक भारतीय चित्रकला का एक मूर्धन्य माना जाता है। आधी सदी से अधिक से पेरिस में रह रहे रज़ा का जन्म मध्य प्रदेश के एक जंगली इलाक़े में साधारण परिवार में हुआ था और वे कठिन संघर्ष और साधना से एक उज्ज्वल-उदात्त और विश्व स्तर के मुक़ाम पर पहुँचे थे। यह गाथा है साधारण की महिमा की, मटमै..
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अहंकार की भक्ति से धन का नाशक्रियाहीन बातों से ज्ञान का नाशदान दिए बिना दानी कहलाना केश बिना शृंगार जैसादृढ़ताहीन भक्ति तलहीन कुंभ में पूजा जल भरने जैसीमारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग को यह न छूनेवाली भक्ति है॥कायक की कमाई समझ भक्त दान की कमाई सेदासोह कर सकते हैं कभी?इक मन से लाकर इक मन से ही..
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'हम भयावह रूप से हिंसक समय में रह रहे हैं। हिंसा, हत्या, आतंक, मारपीट, असहिष्णुता, घृणा आदि भीषण दुर्भाग्य से एक नई नागरिक शैली ही बन गए हैं। असहमति की जगह समाज और सार्वजनिक संवाद में तेज़ी से सिकुड़ रही है। हमारे युग में अहिंसा के सबसे बड़े सार्वजनिक प्रयोक्ता महात्मा गाँधी का 150वाँ वर्ष हमने हाल ..
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भारतीय साहित्य और संस्कृति पर मैक्स मूलर के अगाध ज्ञान को देखते हुए इंग्लैंड की सरकार ने उन्हें 1882 में आई.सी.एस. पास हुए अँग्रेज़ युवकों के प्रशिक्षण के दौरान भारतीय धर्म, साहित्य और संस्कृति पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया, ताकि ये भावी प्रशासक भारत की आत्मा को उचित ढंग से समझ सकें। इस अवस..
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भारतीय संस्कृति और सभ्यता को केन्द्र में रखकर लिखी गई यह पुस्तक मुख्य रूप से चार बातों पर रोशनी डालती है। पहली बात वह है जब आर्य इस देश में आए और द्रविड़ जाति से मिलकर उन्होंने उस संस्कृति की नींव डाली जिसे हम हिन्दू अथवा भारतीय संस्कृति कहते हैं। दूसरी बात वह है जब यह संस्कृति कुछ पुरानी हो गई और उस..
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प्रस्तुत पुस्तक ‘भारतीय चित्रकला का संक्षिप्त इतिहास’ उसके पुराने कलेवर ‘भारतीय चित्रकला का संक्षिप्त परिचय’ का सर्वथा नवीन और मौलिक रूप है। उसमें इस नाममात्र का ही नवीनीकरण नहीं किया गया है, अपितु विषय-सामग्री के आमूल परिवर्तन द्वारा उसको अधिकाधिक ग्राह्य एवं उपादेय बनाने का भी यथासम्भव प्रयत्न किय..
₹ 295.00
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राष्ट्रीय एकता का प्रश्न स्वतंत्रता के बाद भी हमारे सामने ज्वलन्त रूप में था और आज भी वैसा ही बना हुआ है। ऐसे में राष्ट्रकवि दिनकर की यह पुस्तक हमारे लिए एक मार्गदशर्क की भूमिका निभा सकती है।ग़ौरतलब है कि वर्ण, धर्म, रंगभेद, वर्ग आदि के आधार पर युगों से चली आ रही जो असमानता और बिखराव आज पूँजीवादी ..
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लब्धप्रतिष्ठ लेखक प्रोफ़ेसर जाफ़र रज़ा की 'भारतीय इस्लामी संस्कृति' एक महत्त्वपूर्ण विषय पर एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। उसके नौ अध्याय इस्लामी धर्म और व्यवस्था, ज्ञान और विज्ञान, कला और संगीत के विस्तृत आयामों का संक्षिप्त पर विशद वर्णन प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने इस्लामी परम्परा के भारतीय विकास पर व..
₹ 450.00
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जहाँ तक 'हिन्दू संस्कृति' का प्रश्न है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरोधाओं ने जिस रूप में इसकी व्याख्या की, पहले भी लिखा जा चुका है कि वह बहुत ही संकुचित और विकृत व्याख्या है, जो लोगों में इस संस्कृति के प्रति एक भ्रम पैदा करती है। जिन विद्वानों ने वास्तविकता पर आधारित तथ्यपरक व्याख्या की, उनको यह ..
₹ 125.00
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प्रस्तुत पुस्तक में भारतीय संस्कृति के प्रवाह का संक्षिप्त विवेचन प्रस्तुत किया गया है।इस पुस्तक में भारतीय संस्कृति के विकास का विवेचन उसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में किया गया है।संस्कृति अपरिवर्तनशील नहीं होती, वरन् उत्पादन प्रणाली के विकसित होने के साथ संस्कृति भी रूपान्तरित होती रहती है। मनुष..
₹ 195.00
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मानव की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आदि सभी चेतनाओं का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप लोकगीतों में समाहित रहता है। दरअसल ये लोकगीत हमारे वे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं जिनमें साधारण से साधारण घटना को आम लोगों ने लोकगीतों के अन्दाज़ में सहजता से दर्ज किया है। अवधी, भोजपुरी, ब्रज, बुन..
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