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Culture - Aaj Ki Kala

Culture - Aaj Ki Kala
देखते हम सब हैं, लेकिन देखने की कला सीखने और अभ्यास का विषय है। आज का जीवन कुछ ऐसा है कि वस्तुएँ, रंग और स्थितियाँ एक भागमभाग में हमारी आँखों के सामने आती हैं, और इससे पहले कि हम उन्हें 'देख' सकें, लुप्त भी हो जाती हैं; न तो हम उन चीजों से, उनके फैलाव से, उनकी वास्तविकता से परिचित हो पाते हैं, और न ही उन छवियों से अपने अनुभव-कोश को समृद्ध कर पाते हैं, जो वे चीज़ें हमारे सामने प्रस्तुत करती हैं। यह कैसी विडम्बना है कि इतनी आँखें एक अजीब-सी अजनबीयत के बोझ तले दबी रहती हैं।वरिष्ठ कला चिन्तक और कवि प्रयाग शुक्ल एक अरसे से कला और कला के आसपास बसे संसार को बहुत ग़ौर से, बहुत बारीकी और बहुविध कोणों से देखते रहे हैं, और लगातार हमें अपने देखे हुए से तथा देखने के अपने अनुभव और कलाओं के भीतर आने-जाने की अपनी पूरी प्रक्रिया से भी परिचित कराते रहे हैं। समकालीन कला-जगत की गतिविधियों, उपलब्धियों और कला-परिदृश्य में हो रहे प्रयोगों आदि पर उनकी बराबर नज़र रही है। और, सम्भवतः इस समय हिन्दी में वे ही अकेले हैं जिनके पास आज की कला-प्रवृत्तियों के विषय में कहने के लिए बहुत कुछ हमेशा रहता है। यह पुस्तक उसकी एक बानगी है, जिसमें उन्होंने कला के एक अहम् पक्ष यानी 'देखने के हुनर' के अलावा समकालीन कला के दूसरे अनेक पक्षों पर भी प्रकाश डाला है।कहने की आवश्यकता नहीं कि उनके गद्य की आत्मीयता अपने आप में एक अलग आकर्षण है, जिसके लिए इस पुस्तक को पढ़ा जाना चाहिए ।

Culture - Aaj Ki Kala

Aaj Ki Kala - by - Rajkamal Prakashan

Aaj Ki Kala -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP1187
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP1187
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 180p
  • Edition: 2019, Ed. 2nd
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2007
₹ 695.00
Ex Tax: ₹ 695.00
Tags: aaj , ki , kala , culture , hindi , gagan , notebook