रामशरण जोशी का लेखन-संसार एक आयामी नहीं, विविध आयामी है। मूलतः पत्रकार होने के बावजूद लेखक जोशी ने अपनी चिन्तन व लेखन-परिधि को निरन्तर विस्तार दिया है। वे पत्रकार होने के साथ-साथ समाजविज्ञानी, सक्रिय समाजकर्मी, मीडिया शिक्षक और सतत हस्तक्षेपधर्मी हैं। सातवें दशक में आदिवासियों, बन्धक श्रमिकों जैसी उ..
विश्वभर में गुरुदेव के नाम से विख्यात रवीन्द्रनाथ टैगोर कवि, लेखक और चित्रकार होने के साथ-साथ दार्शनिक और विचारक भी थे। वह सही मायनों में पूर्वी और पश्चिमी संस्कृति के अद्भुत संगम थे। अपने काव्य-संग्रह ‘गीतांजलि’ के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले वह पहले भारतीय थे। इस प्रेरणात्मक पुस्तक में दिए गए टैग..
महात्मा गाँधी की गिनती बीसवीं सदी के दस सबसे प्रभावशाली लोगों में होती है। संसार को सत्याग्रह और अहिंसा के क्रांतिकारी विचार देने के साथ ही गाँधीजी ने राजनीति से धर्म तक और यौन शिक्षा से बच्चों के उचित लालन-पालन जैसे विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। आप भी ‘‘प्रेरणात्मक विचार’’ पढ़िये और स्वय..
‘प्रो. बाल आपटे : व्यक्तित्व एवं विचार’ पुस्तक के निमित्त से उनकी स्मृतियों को हृदयगत करने का सुअवसर पाकर संपादक मंडल धन्यता का अनुभव कर रहा है। दीर्घकाल तक उनके साथ रहते हुए जिस रूप में हम उन्हें देख पाए, बिल्कुल उसी रूप में सभी आप्त-मित्रों ने भी उन्हें पाया है। वही अपनापन, वही निष्ठा, वही लगन सभी..
शोध ग्रंथ ‘समाज और राज्य : भारतीय विचार’ लंबे अंतराल के बाद पुनः प्रकाशित हो रहा है। इस विषय पर यह अकेला ग्रंथ है, जो मूल संस्कृत स्रोतों पर आधारित है। यहाँ लेखक ने अधिकांश आधुनिक विद्वानों की खंडन-मंडन शैली का अनुकरण न करके भारतीय सामाजिक संस्थाओं और व्यवस्थाओं को प्रत्येक बात के लिए मूल ग्रंथों क..
‘शब्दार्थ-विचार कोश’ में महान् भाषा-तत्वज्ञ आचार्य रामचन्द्र वर्मा ने समानार्थक शब्दों का विवेचन अत्यंत वैज्ञानिक ढंग से किया है। समानार्थक शब्दों के अर्थों में मूलतः समानता रहने पर भी उनके अर्थ या आशय में जो कम-अधिक भिन्नताएं होती हैं उन्हीं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस अपूर्व ग्रंथ की रचना की..
जीवन तनावों से भरा हुआ है। काम और घर में पिसते हुए व्यक्ति के लिए शांति की तलाश बहुत ही अहम है। मोक्ष के लिए प्रार्थनाएँ और ईश्वर को प्राप्त करने का मार्ग अति आवश्यक है। इस पुस्तक में ब्रिगेडियर चितरंजन सावंत (सेवानिवृत्त) ने अपनी 50 वर्षों की सार्वजनिक वार्त्ताओं के माध्यम से समाज के अंधविश्वासों ए..
जीवन तनावों से भरा हुआ है। काम और घर में पिसते हुए व्यक्ति के लिए शांति की तलाश बहुत ही अहम है। मोक्ष के लिए प्रार्थनाएँ और ईश्वर को प्राप्त करने का मार्ग अति आवश्यक है। इस पुस्तक में ब्रिगेडियर चितरंजन सावंत (सेवानिवृत्त) ने अपनी 50 वर्षों की सार्वजनिक वार्त्ताओं के माध्यम से समाज के अंधविश्वासों ए..
‘विचार जो कामयाब रहे’ भारत के बीस अग्रणी उद्योगपतियों, राजनेताओं, अधिकारियों और समाजसेवियों के रोचक और ज्ञानवर्द्धक लेखों का संकलन है। इन लेखों में इन प्रबुद्ध हस्तियों ने बताया है कि कैसे उन्होंने अपने सामने आई चुनौतियों का सामना किया और देशी व नवीन प्रौद्योगिकियों का विकास किया, जिनसे राष्ट्र..
वर्तमान समय के केन्द्रीय किन्तु अवरुद्ध प्रश्नों के साथ पुरुषोत्तम अग्रवाल के टकराव और आत्ममन्थन की फलश्रुति है—‘विचार का अनंत’। एकेश्वरवाद को स्वयंसिद्ध और इतिहास का लक्ष्य मानने की सर्वस्वीकृत मान्यता का तर्कसंगत विरोध करते हुए इस पुस्तक में एकेश्वरवादी आस्था-तन्त्र और ज्ञान-मीमांसा की गहरी पड़ताल..
हिन्दी गद्य का स्वरूप साठ के दशक में बदलना शुरू हो चुका था। सत्तर के दशक में यह बदलाव कई विधाओं में प्रकट हुआ। लोकतांत्रिक चेतना के फैलाव से पैदा हुए तनावों के अलावा शिक्षा और संचार के आधुनिक माध्यमों का विस्तार गद्य को जिज्ञासा और समझ की नई ज़मीनें तोड़ने के लिए तैयार कर रहा था। इस विकास को कुंठित ..
‘‘क़ायदे से अनुपम मिश्र न लेखक थे, न पत्रकार। वे साफ़ माथे के एक आदमी थे जो हर हालत में माथा ऊँचा और साफ़ रखना चाहते थे। उनकी निराकांक्षा उनकी बुनियादी बेचैनियों को ढाँप नहीं पाती थी। ये बेचैनियाँ ही उन्हें कई बार ऐसे प्रसंगों, व्यक्तियों, घटनाओं, वृत्तियों को खुली नज़र देखने-समझने की ओर ले जाती थीं..