1000 भारतीय संस्कृति प्रश्नोत्तरी’ पाठकों को भारतीय संस्कृति से संबद्ध—प्राचीन एवं नवीन—विभिन्न जानकारियों, वस्तुनिष्ठ तथ्यों व महत्त्वपूर्ण संदर्भों से परिचित कराएगी। इसे पढ़कर पाठकगण भारतीय संस्कृति से संबद्ध ग्रंथों व उनके रचनाकारों; महत्त्वपूर्ण तिथियों, दिवसों, पक्षों, माहों व व्रतों; विभिन्न..
‘1000 भारतीय संस्कृति प्रश्नोत्तरी’ पाठकों को भारतीय संस्कृति से संबद्ध—प्राचीन एवं नवीन—विभिन्न जानकारियों, वस्तुनिष्ठ तथ्यों व महत्वपूर्ण संदर्भों से परिचित कराएगी। इसे पढ़कर पाठकगण भारतीय संस्कृति से संबद्ध ग्रंथों व उनके रचनाकारों; महत्त्वपूर्ण तिथियों, दिवसों, पक्षों, माहों व व्रतों; विभिन्न अं..
'हम भयावह रूप से हिंसक समय में रह रहे हैं। हिंसा, हत्या, आतंक, मारपीट, असहिष्णुता, घृणा आदि भीषण दुर्भाग्य से एक नई नागरिक शैली ही बन गए हैं। असहमति की जगह समाज और सार्वजनिक संवाद में तेज़ी से सिकुड़ रही है। हमारे युग में अहिंसा के सबसे बड़े सार्वजनिक प्रयोक्ता महात्मा गाँधी का 150वाँ वर्ष हमने हाल ..
यह पुस्तक आर्य एवं हड़प्पा सभ्यता का एक गहन अध्ययन है। इसमें प्रो. शर्मा ने आर्यों के मूल स्थान की खोज की कोशिश के साथ-साथ ज़्यादा ज़ोर इन सभ्यताओं के सांस्कृतिक पहलू पर दिया है।लेखक ने अपने अध्ययन के दौरान इस पुस्तक में आर्य एवं हड़प्पा संस्कृतियों की भिन्नता को दर्शाया है। लेखक का मानना है कि हड़प्..
आयुर्वेद आयु का विज्ञान है जो जीवन के प्रत्येक पहलू से जुड़ा है। ‘आयुर्वेदिक भोजन’ आयुर्वेदिक जीवन-शैली का अंग है और भोजन बनाने के अन्य अंगों को अपनाए बिना यह प्रयास अपूर्ण है।आयुर्वेदिक भोजन क्या है? आयुर्वेदिक भोजन संस्कृति के प्रमुख तत्त्व, बुनियादी ज्ञान एवंआधारभूत बातें, रसों का व्यावहारिक स..
पिछले चार-पाँच दशकों से नए स्वस्थ दृष्टिकोण से भारतीय इतिहास व संस्कृति का अध्ययन करने के प्रयास हो रहे हैं। ऐसे प्रयासों में अग्रणी रहे डॉ. दामोदर कोसंबी। अनेक विद्वानों ने भारतीय इतिहास व संस्कृति के विविध अंगों को आधुनिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। लेकिन वे पुस्तके..
ऋग्वेद में उल्लेख है ‘भद्रं इच्छन्ति ऋषयः’, ऋषि लोककल्याण की कामना से जीवन जीते हैं। लोकहित के लिए सोचना और कर्म करना यही ऋषि की पहचान है। इसीलिए भारत को ऋषि-परंपरा का देश कहा जाता है। यह उन्हीं ऋषियों का उद्घोष है—सर्वे भवन्तु सुखिनः/सर्वे सन्तु निरामया/सर्वे भद्राणि पश्यन्तु/मा कश्चिद् दुखभाग्भ..
हिन्दी के सुविख्यात प्रगतिशील रचनाकार गजानन माधव मुक्तिबोध की बहुचर्चित और विवादित कृति। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश शासन द्वारा ‘भद्रता और नैतिकता’ के विरुद्ध ठहराई गई इस पुस्तक पर मध्य प्रदेश न्यायालय में मुक़दमा चला था, जिसका निर्णय था कि इसके 10 आपत्तिजनक अंशों को हटाकर ही इसे पुनः प्रकाशित किया..
प्रस्तुत पुस्तक भारत की लोक-संस्कृति के विविध पक्षों को उद्घाटित करती है। इसमें भारत के राज्यों/क्षेत्रों की लोक-संस्कृति का सूक्ष्म व विश्लेषणपरक विवरण प्रस्तुत किया गया है। सर्वविदित है कि भारतीय संस्कृति बहुरंगी, बहुरूपी और बहुपक्षीय है। इसलिए यह पुस्तक विभिन्न लोक-संस्कृतियों का सतरंगी समुच्चय ह..