मैंने अपने कहानी-संग्रह में रोजाना के जीवन की लगभग हर समस्या को छूने का प्रयास किया है। यह कहानी-संग्रह साधारण शब्दों में लिखा गया है व इसकी हर घटना की कथावस्तु बहुत ही रोचक है। मैंने बाहर रहने वाले उन बच्चों के बारे में लिखा है, जो पढ़ाई के चक्कर में अपने माँ-बाप को छोड़कर विदेशों में चले जाते हैं।..
तुम जानते ही हो कि बर्फ पानी का ठोस रूप होती है, अतः उसे भारी होकर पानी में डूब जाना चाहिए थाः परंतु वह तरल पदार्थ ठोस बनते हैं तो उनका आयतन घट जाता है और वे भारी हो जाते हैं लेकिन पानी के साथ ऐसा नहीं होता। जब पानी ठोस अवस्था के लिए जमकर बर्फ बनता है तो उसका आयतन घटने के बजाय बढ़ जाता है और वह पानी..
लोकप्रिय कथा-मासिक ‘हंस’ ने विगत सदी के अन्तिम दशक में ‘औरत उत्तरकथा’ और ‘अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य’ नाम से विशेषांकों का आयोजन किया था। इस किताब की आधार सामग्री ‘अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य’ विशेषांक से ली गई है। उपरोक्त विशेषांकों की अपार लोकप्रियता और अनुपलब्धता के मद्देनज़र कुल सा..
पाश की कविता हमारी क्रान्तिकारी काव्य-परम्परा की अत्यन्त प्रभावी और सार्थक अभिव्यक्ति है। मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण पर आधारित व्यवस्था के नाश और एक वर्गविहीन समाज की स्थापना के लिए जारी जनसंघर्षों में इसकी पक्षधरता बेहद स्पष्ट है। साथ ही यह न तो एकायामी है और न एकपक्षीय, बल्कि इसकी चिन्ताओं में..
"छोटे शहर की लड़की कहानी-संग्रह में स्त्री को उसके 'सम्पूर्णता' के आइने में देखा गया है। पुरुष मानसिकता के बीच से स्त्री के अस्तित्व की तलाश की गयी है। प्रकृति ने जिस नर और नारी की संरचना की थी वह एक-दूसरे के पूरक के रूप में हैं। नैसर्गिक नियमों की वास्तविकता को आज नये परिवेश में तमाम सच्चाइयों से र..
छोटे-छोटे सवाल—यानी हमारे शैक्षिक ढाँचे पर, और कहीं भी बैठ उसे बनाते, बिगाड़ते चन्द दकियानूस दिमाग़ों की भ्रष्ट कारगुज़ारियों पर लगे बड़े-बड़े प्रश्नचिह्न। ऐसे प्रश्नचिह्न, जो दिन-ब-दिन फंदे की तरह कसते जा रहे हैं और न सिर्फ़ क़स्बाई स्कूल-कॉलेज, बल्कि नगरीय-महानगरीय विद्यालय-महाविद्यालय तक जिनकी गिरफ़..
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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 511p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3..
लोग असली जीवन भूल गए हैं, वे डुप्लीकेटी से ही काम चलाते हैं। जैसे एक इनसान गलती से अपने घर की चाभी निगल गया, लेकिन एक महीने के बाद डॉक्टर के पास गया और कहा, ‘मैं अपने घर की चाभी निगल गया हूँ, उसे निकलवाना है।’ डॉक्टर ने पूछा, ‘आपने चाभी कब निगली थी?’ उसने जवाब दिया, ‘एक महीना पहले।’उस इनसान का यह ..
जिनकी जेब में सिक्के थे,
वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ...
जिनकी जेब में नोट थे,
वो छत तलाशते रहे ...ये लाइनें जब लिखी थीं, तब जानता नहीं था कि इतनी पसंद की जाएँगी कि सोशल मीडिया के ज़रिए हर मोबाइल तक पहुँच जाएँगी।
मैंने सोशल साइट ट्विटर का हाथ तब थामा था, जब ज़िंदगी में बहुत कुछ पीछे छूट गया ..
हिन्दी कथा-साहित्य की यथार्थवादी परम्परा में निराला की कथाकृतियों का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। उनकी प्रायः हर कथाकृति का परिवेश सामाजिक यथार्थ से अनुप्राणित है। यही कारण है कि उनके कतिपय ऐतिहासिक पात्रों को भी हम एक सुस्पष्ट सामाजिक भूमिका में देखते हैं।‘चोटी की पकड़’ यद्यपि ऐतिहासिक उपन्यास नहीं ह..