श्री अशोक सिंहल जी ने जीवन के अंतिम दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत को अपने जीवन के दो प्रकल्पों के बारे में बताया; एक—अयोध्या में भगवान् श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण और वेदों का प्रचार। इससे माननीय अशोक सिंहलजी के स्पष्ट उद्देश्य और उनके जीवन के उद्देश्य-प्राप्ति ..
श्री अशोक सिंहल जी ने जीवन के अंतिम दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत को अपने जीवन के दो प्रकल्पों के बारे में बताया; एक—अयोध्या में भगवान् श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण और वेदों का प्रचार। इससे माननीय अशोक सिंहलजी के स्पष्ट उद्देश्य और उनके जीवन के उद्देश्य-प्राप्ति ..
पिछले सात दशक की राजनीति में भारत में एक व्यक्तित्व उभरा और देश ने उसे सहज स्वीकार किया। जिस तरह इतिहास घटता है, रचा नहीं जाता; उसी तरह नेता प्रकृति प्रदत्त प्रसाद होता है, वह बनाया नहीं जाता बल्कि पैदा होता है। प्रकृति की ऐसी ही एक रचना का नाम है पं. अटल बिहारी वाजपेयी। अटलजी के जीवन पर, विचार पर, ..
बहादुर बच्चों की ये सच्ची कहानियाँ खुद में एक दस्तावेज हैं व इतिहास भी, और वे मानो घोषणा करती हैं कि आज जब हमारा देश और समाज नैतिक मूल्यों के क्षरण की समस्या से जूझ रहा है, तब हमारे देश के ये दिलेर और बहादुर बच्चे ही हैं, जिनसे बच्चे तो सीख लेंगे ही, बड़ों को भी सीख लेनी चाहिए, तभी हमारा देश सच में ..
बालासाहब देवरसजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे सरसंघचालक थे। उनका जीवन अत्यंत सरल था तथा वे मिलनसार प्रवृत्ति के थे, परंतु प्रसिद्धि से कोसों दूर रहने के साथ-साथ वे कुशल संगठक और दूरदृष्टा थे। बालासाहबजी के जीवन को समझने हेतु पाठकों के लिए इस पुस्तक में बाबू राव चौथाई वालेजी का संस्मरण उल्लेखनीय ..
मैं क्या हूँ और क्या बन सकता हूँ? वे कौन लोग थे जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपना-अपना विशिष्ट योगदान देकर मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा की? कैसे मैं इस मायावी संसार में दिग्भ्रमित हुए बिना अग्रसर हो सकता हूँ? कैसे मैं दैनिक जीवन में होनेवाले तनाव पर काबू पा सकता हूँ?
ऐसे अनेक प्रश्न छात्र तथा विभि..
मैं क्या हूँ और क्या बन सकता हूँ? वे कौन लोग थे जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपना-अपना विशिष्ट योगदान देकर मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा की? कैसे मैं इस मायावी संसार में दिग्भ्रमित हुए बिना अग्रसर हो सकता हूँ? कैसे मैं दैनिक जीवन में होनेवाले तनाव पर काबू पा सकता हूँ?
ऐसे अनेक प्रश्न छात्र तथा विभि..
प्रयाग विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध अक्तूबर 1942 में आरंभ हुआ। विश्वविद्यालय के मेधावी छात्रों में उनकी गणना होती थी। विश्वविद्यालय ने उन्हें शिक्षक के रूप में अपनाया और राष्ट्रीय..
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन् 1925 में डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी, लेकिन इसे वैचारिक आधार द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘श्रीगुरुजी’ ने प्रदान किया था।
संघ निर्माण के मात्र पंद्रह साल बाद ही डॉ. हेडगेवार गुजर गए, लेकिन अवसान से पहले उन्होंने श्रीगुरुजी को संघ का द्..
संघ के पंचम सरसंघचालक पूज्य सुदर्शनजी का ऋषितुल्य जीवन भौगोलिक व मत-पंथ की सीमाएँ लाँघकर देश-विदेश के लक्षावधि अंतःकरणों में एक प्रेरणापुंज के रूप में बसा है। हमारे ऋषियों ने कहा, ‘यानि अस्माकं सुचरितानि तानि त्वया सेवितम्’ यानी उनके जीवन के जो आदर्श हैं, सुचरितरूप श्रेष्ठ जीवन-मूल्य जिन्हें उन्होंन..