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व्यक्तित्व विकास : सैल्फहैल्प - Jaipal Singh : Ek Romanchak Ankahi Kahani

व्यक्तित्व विकास : सैल्फहैल्प - Jaipal Singh : Ek Romanchak Ankahi Kahani
झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता और विवादास्पद शख्सियत के धनी जयपाल सिंह के बारे में आज तक कोई सर्वांगपूर्ण प्रामाणिक व तथ्यपरक पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है। जयपाल सिंह ने हमेशा अपने जीवन को रहस्यमय बनाए रखा, उनके नजदीकी लोग भी उनके जीवन के कई पहलुओं के बारे में नहीं जानते थे। अब तो जयपाल सिंह का देहांत हुए 45 वर्ष से भी अधिक हो चुके हैं। उस अतीत के चश्मदीद गवाह अब लुप्तप्राय होते जा रहे हैं, लेकिन किसी भी अवस्था में जयपाल सिंह को पुरातत्त्व की वस्तु बना देना उचित नहीं। जयपाल सिंह को मिथकों के रहस्यावरण से मुक्त करने की जरूरत है। झारखंड में 19वीं सदी में बिरसा मुंडा और 20वीं सदी में जयपाल सिंह मुंडा दो ऐसी हस्तियाँ हुईं, जो अपने जीवनकाल में ही लोकगाथा बन गईं। दोनों में कतिपय समानताएँ थीं, लेकिन उनमें असमानताएँ अधिक थीं, जिनका तुलनात्मक विवेचन रोचक और ज्ञानवर्धक है। ऐसा कई बार देखा गया है कि कोई शख्स किसी का हीरो या नायक होता है और किसी का विलेन या खलनायक, लेकिन किसी शख्स को हीरो मानने वाले व्यक्ति बाद में उसे विलेन मानने लगें, ऐसा कम ही होता है। दुर्भाग्य से जयपाल सिंह के साथ ऐसा ही हुआ। उन्हें इस अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा। जयपाल सिंह के जीवन के अंतिम वर्ष निराशा और हताशा में बीते। जयपाल सिंह के जीवन के उतार-चढ़ाव और सफलताओं-विफलताओं से हमारे वर्तमान राजनीतिज्ञ काफी कुछ सीख-समझ सकते हैं और सबक ले सकते हैं।अनुक्रमप्रस्तावना : एक जीनियस का दिशाहीन सफर—9खंड-11. बालक प्रमोद बन गया जयपाल सिंह—272. एक प्रतिभाशाली, साहसी व वाक्पटु छात्र—343. स्कूल कप्तान से ओलंपिक हॉकी कप्तान पद तक का रोमांच—384. यों नहीं बन सके आई.सी.एस. अफसर?—445. सदाकत आश्रम से सीधे गवर्नमेंट हाउस का रुख!—486. आदिवासी महासभा की कमान जयपाल सिंह के हाथ में—527. मुयमंत्री से तीखी तकरार—नतीजा सिफर—588. गांधीजी की राँची-यात्रा पर हड़ताल का विचित्र आह्वान—629. ‘सुभाष बाबू मुझे जेल जाने से डर लगता है’—6610. डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जयपाल सिंह की लंबी रंजिश—7311. द्वितीय विश्वयुद्ध—‘यह जिंदगी है मौज में, तू भरती हो जा फौज में’ —7612. युद्धकाल में चीफ वॉर्डन—वाद-विवाद और वादानुवाद—8013. कांग्रेस के ‘हिंदू राज’ के विरुद्ध मुसलिम लीग से गठजोड़—8614. मुसलिम लीग का खुफिया पैगाम जयपाल के नाम —9115. ‘आदिवासी पाकिस्तान’ के लिए भड़काने की लीगी साजिश नाकाम —9616. ‘डाइरेट एशन डे’ के कत्लेआम से जयपाल सिंह का मुसलिम लीग से मोहभंग —10217. मुसलिम लीग द्वारा दी गई आर्थिक सहायता का न हिसाब न किताब —10618. संविधान सभा में अपनी प्रतिभा व वतृत्व कला का प्रदर्शन—11019. आदिवासी महासभा का झारखंड पार्टी में रूप-बदलाव—11420. जयपाल ने जेपी का प्रस्ताव ठुकराया, बेहतरीन मौका गँवाया—11821. जय, जय, जय दरभंगा महाराज!—12222. राँची में जयपाल सिंह के विरुद्ध विशाल ‘भंडाफोड़ रैली’ —12723. आयोग की टीम राँची में : कहाँ अंतर्धान हो गए थे जयपाल सिंह?—13224. झारखंड के बजाय ‘पूर्व प्रदेश’ की वकालत—13825. विलयन की लंबी छटपटाहट और खरीद-फरोत की आशंका —14126. ‘मिस्टर जयपाल सिंह लोग हमको पीटेंगे’—14627. कांग्रेस-झारखंड विलयन—शर्तों के दस्तावेज—15028. कांग्रेस-झारखंड विलयन—चित भी कांग्रेस की, पट भी कांग्रेस की! —15429. कांग्रेस-झारखंड विलयन—या थे असली कारण?—15930. जयपाल सिंह हाजिर हों... 16331. चुनाव में हारते-हारते बचे जयपाल सिंह—16632. भूमि अधिग्रहण व विस्थापन—कहाँ थी झारखंड पार्टी?—17033. भूदान-ग्रामदान : जयपाल-कार्तिक आमने-सामने—17434. आई.एम. कांग्रेसमैन सेंट-परसेंट—17835. आखिर दे दिया इस्तीफा कांग्रेस से—या इस्तीफा, किसके लिए इस्तीफा? —18036. गांधी जन्मशती : विनोबाजी की मौजूदगी में हिंसा की वकालत —18637. अगले साल (1970) बन जाएगा झारखंड अलग प्रांत!—19038. अंतिम भाषण में कांग्रेस पर उतारा गुबार—19339. जयपाल सिंह का निधन : एक अहम राजनीतिक अध्याय का पटाक्षेप—19840. जयपाल सिंह के निधन पर श्रद्धांजलियाँ—20341. सब कुछ गँवा के होश में आए तो या हुआ!—207खंड-242. पादरी बनने से किया इनकार—22343. ‘झारखंड का सबसे बड़ा दिकू तो मैं हूँ!’—22844. होटल सम्राट् ओबराय से दोस्ती के श्रीगणेश का दिलचस्प किस्सा—23345. आदिवासी महासभा—झारखंड पार्टी के आजीवन अध्यक्ष!—23746. ‘नेहरू ने धोखा दिया’—कितना सच, कितना झूठ?—24247. पहली पत्नी तारा, दूसरी जहाँआरा—पॉलिटिस न और हाँ—24748. जहाँआरा की ‘आदिवासियत’ पर सुप्रीम कोर्ट में बहस—25449. जयपाल निवास बनाम बिशप बँगला विवाद सड़कों पर—261खंड-350. जयपाल सिंह का जीवन-क्रम—27151. जयपाल सिंह के समकालीन (सहयोगी, विरोधी एवं अन्य)—27352. जयपाल सिंह के जीवन के कतिपय रोचक प्रसंग—28753. ...ताकि सनद रहे—295खंड-454. Another Birsa Bhagwan, but from Oxford!—305एक और बिरसा भगवान् लेकिन ऑसफोर्ड से!55. चलकद से सदाकद आश्रम—30956. Adivasisthan—Hindusthan—Pakisthan—313आदिवासिस्थान—हिंदुस्थान-पाकिस्थान57. Prohibition and Adivasi Communities —318शराबबंदी और आदिवासी समुदाय58. जयपाल सिंह को चुनौती : कार्यकर्ताओं के नाम हरमन लकड़ा का खुला पत्र—32459. Jaipal will lead us to blind alley—333जयपाल हमें अंधी गली की ओर ले जाएँगे60. Betrayal of Jharkhand Movement —337झारखंड आंदोलन के साथ विश्वासघात61. Himalayan Political Blunders of Jaipal Singh—356जयपाल सिंह की हिमालयी राजनीतिक महागलतियाँ62. जयंत जयपाल सिंह का चुनाव घोषणा-पत्र—361संदर्भ सूत्र—364आभार ज्ञापन—366

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Jaipal Singh : Ek Romanchak Ankahi Kahani - by - Prabhat Prakashan

Jaipal Singh : Ek Romanchak Ankahi Kahani - झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता और विवादास्पद शख्सियत के धनी जयपाल सिंह के बारे में आज तक कोई सर्वांगपूर्ण प्रामाणिक व तथ्यपरक पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है। जयपाल सिंह ने हमेशा अपने जीवन को रहस्यमय बनाए रखा, उनके नजदीकी लोग भी उनके जीवन के कई पहलुओं के बारे में नहीं जानते थे। अब तो जयपाल सिंह का देहांत हुए 45 वर्ष से भी अधिक हो चुके हैं। उस अतीत के चश्मदीद गवाह अब लुप्तप्राय होते जा रहे हैं, लेकिन किसी भी अवस्था में जयपाल सिंह को पुरातत्त्व की वस्तु बना देना उचित नहीं। जयपाल सिंह को मिथकों के रहस्यावरण से मुक्त करने की जरूरत है। झारखंड में 19वीं सदी में बिरसा मुंडा और 20वीं सदी में जयपाल सिंह मुंडा दो ऐसी हस्तियाँ हुईं, जो अपने जीवनकाल में ही लोकगाथा बन गईं। दोनों में कतिपय समानताएँ थीं, लेकिन उनमें असमानताएँ अधिक थीं, जिनका तुलनात्मक विवेचन रोचक और ज्ञानवर्धक है। ऐसा कई बार देखा गया है कि कोई शख्स किसी का हीरो या नायक होता है और किसी का विलेन या खलनायक, लेकिन किसी शख्स को हीरो मानने वाले व्यक्ति बाद में उसे विलेन मानने लगें, ऐसा कम ही होता है। दुर्भाग्य से जयपाल सिंह के साथ ऐसा ही हुआ। उन्हें इस अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा। जयपाल सिंह के जीवन के अंतिम वर्ष निराशा और हताशा में बीते। जयपाल सिंह के जीवन के उतार-चढ़ाव और सफलताओं-विफलताओं से हमारे वर्तमान राजनीतिज्ञ काफी कुछ सीख-समझ सकते हैं और सबक ले सकते हैं।अनुक्रमप्रस्तावना : एक जीनियस का दिशाहीन सफर—9खंड-11.

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  • Stock: 10
  • Model: PP2509
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2509
  • ISBN: 9789352660285
  • ISBN: 9789352660285
  • Total Pages: 368
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2017
₹ 600.00
Ex Tax: ₹ 600.00