Menu
Your Cart

व्यक्तित्व विकास : सैल्फहैल्प - 365 Din Khush Kaise Rahen (Pb)

व्यक्तित्व विकास : सैल्फहैल्प - 365 Din Khush Kaise Rahen (Pb)
चेहरे पर हँसी और मुसकान को देखकर खुशी को परिभाषित नहीं किया जा सकता है। खुशी चेहरे पर नहीं, अंतर की गहराई में होती है, जो चेहरे पर झलके, यह जरूरी नहीं है। वैसे खुश रहने का कोई फॉर्मूला नहीं होता। लोग अपने आप में खुश रहते हैं। किसे किस बात में खुशी मिलेगी, यह कहा नहीं जा सकता। वे खुद भी सही-सही नहीं बता सकते हैं कि उन्हें किस बात में खुशी मिलेगी। हर कोई अपने आप में खुश रहता है या अपने आप में दुःखी रहता है। खुश रहने का लोगों का अपना-अपना सिद्धांत है, अपना-अपना तरीका है, अपना-अपना विचार है। निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि खुश रहना अपने हाथ में है। किसी को बड़ी उपलब्धि पर खुशी मिलती है तो किसी को छोटी उपलब्धि पर बड़ी खुशी मिलती है। कोई छोटी बात पर बहुत खुश हो जाता है, कोई बड़ी बात पर भी खुश नहीं हो पाता है। यानी जो जिस बात में अधिक खुशी ढूँढ़ता है, वह उतना ही अधिक खुश होता है। जो कम खुशी ढूँढ़ता है, वह कम खुश रहता है। प्रस्तुत पुस्तक में यही बताया गया है कि खुशियाँ दिखाई नहीं देतीं, महसूस की जाती हैं। खुशियाँ हमारे आस-पास ही बिखरी पड़ी हैं। बस, उन्हें समेटने की जरूरत है, सुनहरे पलों में कैद करने की जरूरत है। हम अगर छोटे-छोटे पहलुओं में खुशियाँ ढूँढ़ें तो हमारे पास दुःख नाम की चीज नहीं रह जाएगी।अनुक्रम अपनी बात — Pgs. 7 1. खुशी आती कहाँ से है — Pgs. 13 2. खुश रहने का फॉर्मूला — Pgs. 19 3. जीवन को खुशनुमा बनाएँ — Pgs. 24 4. आत्मविश्वास बढ़ाएँ, खुशियाँ पाएँ — Pgs. 45 5. दिल और दिमाग को दें मुकम्मल सुकून — Pgs. 58 6. स्वस्थ जीवन-शैली बनाएँ — Pgs. 78 7. खुश लोगों की स्वस्थ आदतें — Pgs. 94 8. मूड बनानेवाले फूड — Pgs. 114 9. मूड बनाने के लिए व्यायाम — Pgs. 14  

व्यक्तित्व विकास : सैल्फहैल्प - 365 Din Khush Kaise Rahen (Pb)

365 Din Khush Kaise Rahen (Pb) - by - Prabhat Prakashan

365 Din Khush Kaise Rahen (Pb) - चेहरे पर हँसी और मुसकान को देखकर खुशी को परिभाषित नहीं किया जा सकता है। खुशी चेहरे पर नहीं, अंतर की गहराई में होती है, जो चेहरे पर झलके, यह जरूरी नहीं है। वैसे खुश रहने का कोई फॉर्मूला नहीं होता। लोग अपने आप में खुश रहते हैं। किसे किस बात में खुशी मिलेगी, यह कहा नहीं जा सकता। वे खुद भी सही-सही नहीं बता सकते हैं कि उन्हें किस बात में खुशी मिलेगी। हर कोई अपने आप में खुश रहता है या अपने आप में दुःखी रहता है। खुश रहने का लोगों का अपना-अपना सिद्धांत है, अपना-अपना तरीका है, अपना-अपना विचार है। निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि खुश रहना अपने हाथ में है। किसी को बड़ी उपलब्धि पर खुशी मिलती है तो किसी को छोटी उपलब्धि पर बड़ी खुशी मिलती है। कोई छोटी बात पर बहुत खुश हो जाता है, कोई बड़ी बात पर भी खुश नहीं हो पाता है। यानी जो जिस बात में अधिक खुशी ढूँढ़ता है, वह उतना ही अधिक खुश होता है। जो कम खुशी ढूँढ़ता है, वह कम खुश रहता है। प्रस्तुत पुस्तक में यही बताया गया है कि खुशियाँ दिखाई नहीं देतीं, महसूस की जाती हैं। खुशियाँ हमारे आस-पास ही बिखरी पड़ी हैं। बस, उन्हें समेटने की जरूरत है, सुनहरे पलों में कैद करने की जरूरत है। हम अगर छोटे-छोटे पहलुओं में खुशियाँ ढूँढ़ें तो हमारे पास दुःख नाम की चीज नहीं रह जाएगी।अनुक्रम अपनी बात — Pgs.

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: PP2587
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2587
  • ISBN: 9789351865315
  • ISBN: 9789351865315
  • Total Pages: 160
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Soft Cover
  • Year: 2019
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00