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विवेकानंद साहित्य - Vishwa-Vandya Vivekananda

विवेकानंद साहित्य - Vishwa-Vandya Vivekananda
स्वामी विवेकानंदजी ने विश्‍व धर्म संसद् में अपने उद‍्बोधन से प्रतिनिधियों सहित सभी श्रोताओं की हृद्तंत्री को ऐसा झनझनाया कि वहाँ 17 दिन की सभा में आयोजकों को उन्हें 5 दिन बोलने का अवसर देना पड़ा। भारत के उस अंधकारपूर्ण युग में स्वामी विवेकानंदजी ने भारत की प्रतिष्‍ठा बढ़ाने व सम्मान दिलाने का अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने इस संपूर्ण भूमंडल में भारत की श्रेष्‍ठता की पहचान सर्वत्र करा दी। उन्होंने अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंसजी के दिव्य संदेश को विश्‍व में प्रचारित करने के साथ ही ‘नर सेवा—नारायण सेवा’ का एक अभिनव सूत्र धर्मप्रिय लोगों व संन्यासियों को देकर श्रीरामकृष्ण आश्रम की स्थापना करके उस सूत्र को व्यवहार में लाने का माध्यम प्रस्तुत कर दिया। स्वामी विवेकानंदजी के जीवन तथा विचारों से संबंधित विपुल साहित्य प्रकाशित हो चुका है, तथापि उनका विस्तृत समस्त विवरण इस छोटी सी पुस्तक के रूप में भारत के समाज-बंधुओं, विशेषकर नवयुवकों एवं विद्यार्थियों के लिए सुलभ कराने का प्रयत्‍न किया गया है। उनके विचारों को अधिकाधिक उन्हीं के शब्दों में उद‍्धृत करने का भरसक प्रयास किया गया है, जो उनकी उपलब्ध जीवनियों, पुस्तकालयों, पत्रिकाओं एवं विद्वानों के उद्धरणों से प्रयत्‍नपूर्वक ढूँढ़कर निकाले गए हैं। विश्‍व के जनमानस को उद्वेलित करनेवाले तथा दरिद्र नारायण की सेवा का मार्ग प्रशस्त करनेवाले स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायी जीवनी।

विवेकानंद साहित्य - Vishwa-Vandya Vivekananda

Vishwa-Vandya Vivekananda - by - Prabhat Prakashan

Vishwa-Vandya Vivekananda -

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  • Stock: 10
  • Model: PP2485
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2485
  • ISBN: 9788177212266
  • ISBN: 9788177212266
  • Total Pages: 144
  • Edition: Edition 2013
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00