लेख : निबंध : पत्र - Shabda-Shabda Manush Gandh
मनुष्यता का क्षय सूर्यबाला के रचना-संसार की मुख्य चिंता है और दुर्लभ मानुषगंध को सहज लेना उसका सहज स्वभाव है।
किसी 'विमर्श’ , 'आंदोलन’ , 'शिविर’ की जकडऩ से मुक्त उनकी सर्जना का सही मूल्यांकन पूर्वनिश्चित और पूर्वग्रह-प्रेरित समीक्षा-दृष्टि के वश की बात नहीं है। यह कृति सूर्यबाला की रचनाशीलता के स्रोत, सोच, सरोकार और संप्रेषण-कौशल पर खुले मन से विचार करनेवाले सहृदय समीक्षकों का समवेत प्रयास है। बिना किसी हड़बड़ी या अतिरंजना के रचनाओं के 'मर्म’ और 'विजन’ को समझने का विवेक इन मंतव्यों के अतिरिक्त दीप्ति दे सका है। ध्यानाकर्षक है कि समीक्षकों की दृष्टि रचनाओं की अंतर्वस्तु तक सीमित नहीं है। इसमें वस्तु और अभिव्यंजना का संश्लिष्ट अनुशीलन जितना वस्तुनिष्ठ है, उतना ही प्रासंगिक भी।
इस दौर की महत्त्वपूर्ण लेखिका के वैशिष्टय को उद्घाटित करने में सक्षम एक सार्थक समीक्षा-संवाद है यह कृति।
लेख : निबंध : पत्र - Shabda-Shabda Manush Gandh
Shabda-Shabda Manush Gandh - by - Prabhat Prakashan
Shabda-Shabda Manush Gandh -
- Stock: 10
- Model: PP2419
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2419
- ISBN: 9789380183640
- ISBN: 9789380183640
- Total Pages: 184
- Edition: Edition 1
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2012
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00