Menu
Your Cart

भक्ति साहित्य - Manas Mein Nari

भक्ति साहित्य - Manas Mein Nari
‘रामचरितमानस’ में नारी पात्रों की भूमिका संक्षिप्त होते हुए भी बड़ी महत्त्वपूर्ण है। सती का संशय, पार्वती की श्रद्धा, कौसल्या और सुमित्रा का पारिवारिक मूल्यों के प्रति समर्पण, सीता का राम के कंटकाकीर्ण मार्ग का निःशब्द अनुसरण, कैकेयी की ईर्ष्या, मन्थरा की कुटिलता, अनसूया की आन्तरिक पति निष्ठा, शूर्पणखा की कामलोलुपता, शबरी की असंशयी भक्ति, तारा और मन्दोदरी की बुद्धिमत्ता और नीति-कुशलता रामचरित-मानस के अमूल्य आभूषण हैं। इनके कारण रामकथा को गरिमा और गति प्राप्त होती है। रामचरितमानस के अन्य नारी पात्रों पर स्वतन्त्र पुस्तक लिख पाना सम्भव नहीं हुआ। इसीलिए शेष पात्रों को एक साथ एक पुस्तक में समेटा गया है। कौसल्या, सुमित्रा, मन्थरा, अनसूया, शूर्पणखा, शबरी, तारा और मन्दोदरी के चरित्र को इस पुस्तक में अंकित किया गया है। ये सभी पात्र अपनी विशिष्ट भूमिका के कारण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। नारी पुरुष की जननी है, संगिनी है। नारी की उपेक्षा जीवन के सहज धर्म की उपेक्षा है। इसलिए गृहस्थ धर्म के निर्वाह के लिए नारी को परम आवश्यक माना गया है। ‘घर गृहिणी से बनता है’ और ‘जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं’ कहकर गृहस्थ जीवन में नारी को बड़ी गरिमा के साथ प्रतिष्ठित किया गया है। मानस की नारी के जीवन, व्यक्तित्व, कृतित्व एवं भावनाओं को विश्लेषित करनेवाली एक पठनीय पुस्तक। 

भक्ति साहित्य - Manas Mein Nari

Manas Mein Nari - by - Prabhat Prakashan

Manas Mein Nari -

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: PP1962
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1962
  • ISBN: 9789350486030
  • ISBN: 9789350486030
  • Total Pages: 216
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2016
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00