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लेख : निबंध : पत्र - Jungnama

लेख : निबंध : पत्र - Jungnama
इतिहास साक्षी है कि भारत ने विदेशी आक्रांताओं से भारत का गौरव कभी भी ध्वस्त नहीं होने दिया, किंतु इस प्रयास में जाने कितने वीर सपूतों की बलि चढ़ानी पड़ी। राष्‍ट्र हेतु जिन वीरों ने अपना जीवन होम किया उनका स्मरण करना, उनकी कीर्तिगाथा को भावी पीढि़यों तक ले जाना राष्ट्र का कर्तव्य है। उन वीरों की शौर्यगाथा को सभी भारतीय भाषाओं ने और लोकभाषाओं ने स्वर दिया। इसी गौरवशाली परंपरा में अवध के एक अनमोल रत्न चहलारी नरेश राजा बलभद्र सिंह ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जिस वीरता के साथ युद्ध किया, उसकी प्रशंसा विदेशी इतिहासकारों ने भी की है। उनकी कीर्ति का बखान इस ‘जंगनामा’ में किया गया है। ‘गदर के फूल’ के लेखक श्री अमृतलाल नागर को अवधी लोकभाषा में रचित ‘जंगनामा’ की यह हस्तलिखित पांडुलिपि मिली थी। उनके यशस्वी पुत्र डॉ. शरद नागर ने पं. श्री उदय शंकर शास्त्री द्वारा संपादित, भारतीय साहित्य पत्रिका में प्रकाशित इस दुर्लभ पांडुलिपि के सरल भावांतर और संपादन का दायित्व डॉ. विद्या विंदु सिंह को दिया, जो इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत है। इसे प्रकाशित कराकर हुतात्मा पूर्वजों के ऋण से आंशिक निष्कृति का यह प्रयास किया जा रहा है। उस अभिनव अभिमन्यु की स्मृति जन-जन में राष्‍ट्र प्रेम की चेतना जगाती रहे, यही शुभकामना है। —डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह निदेशक, अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उ.प्र. शासन, लखनऊ

लेख : निबंध : पत्र - Jungnama

Jungnama - by - Prabhat Prakashan

Jungnama - इतिहास साक्षी है कि भारत ने विदेशी आक्रांताओं से भारत का गौरव कभी भी ध्वस्त नहीं होने दिया, किंतु इस प्रयास में जाने कितने वीर सपूतों की बलि चढ़ानी पड़ी। राष्‍ट्र हेतु जिन वीरों ने अपना जीवन होम किया उनका स्मरण करना, उनकी कीर्तिगाथा को भावी पीढि़यों तक ले जाना राष्ट्र का कर्तव्य है। उन वीरों की शौर्यगाथा को सभी भारतीय भाषाओं ने और लोकभाषाओं ने स्वर दिया। इसी गौरवशाली परंपरा में अवध के एक अनमोल रत्न चहलारी नरेश राजा बलभद्र सिंह ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जिस वीरता के साथ युद्ध किया, उसकी प्रशंसा विदेशी इतिहासकारों ने भी की है। उनकी कीर्ति का बखान इस ‘जंगनामा’ में किया गया है। ‘गदर के फूल’ के लेखक श्री अमृतलाल नागर को अवधी लोकभाषा में रचित ‘जंगनामा’ की यह हस्तलिखित पांडुलिपि मिली थी। उनके यशस्वी पुत्र डॉ.

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  • Stock: 10
  • Model: PP2421
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2421
  • ISBN: 9789382901501
  • ISBN: 9789382901501
  • Total Pages: 304
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 500.00
Ex Tax: ₹ 500.00