राजनीति : सामाजिक - Hamari Prarthna (Pb)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में स्वयंसेवक जो प्रार्थना करते हैं, वह तो मंत्र है। सभी इस मंत्र का सामूहिक रूप से गान करते हैं। प्रार्थना तो संस्कृत में है। इस कारण प्रार्थना के शब्द समझ में नहीं आने के कारण उच्चारण में कठिनाई होती है। कई बार तो अशुद्ध उच्चारण भी होता है। प्रार्थना का शुद्ध उच्चारण होना चाहिए। इसके लिए एक-एक स्वयंसेवक का उच्चारण सुनना और उसे ठीक करवाना यह पद्धति ही उत्तम है। एक-एक पंक्ति के शब्द समझ में आएँ, इसलिए जहाँ संयुक्ताक्षर हैं, उनको संधि विच्छेद करके उनका उच्चारण करवाना और उन शब्दों का अर्थ भी बताना आवश्यक है। बाद में इन शब्दों को गद्य के रूप में व्यवस्थित करके वाक्य बनाना सरल हो जाता है।
सभी स्वयंसेवकों को सरल पद्धति और सरल भाषा में समझने लायक प्रार्थना का शब्दशः उच्चारण, संधि विच्छेद, अन्वय, भावार्थ आदि संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री जगरामजी ने परिश्रमपूर्वक इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का अच्छा प्रयास किया है। इस पुस्तक के माध्यम से शाखाओं, अभ्यास वर्गों आदि में प्रार्थना पर अच्छी प्रकार से चर्चा लेने वालों को भी सुगमता होगी।
विश्वास है, सभी स्वयंसेवक ही नहीं, संघ के प्रति जिज्ञासु सुधी पाठक भी इसका लाभ उठाएँगे।अनुक्रमउपक्षेप —Pgs. 5आभार —Pgs. 71. संघ-प्रार्थना —Pgs. 112. प्रार्थना का विकास क्रम —Pgs. 133. संघ प्रार्थना में व्याकरण —Pgs. 164. संघ की प्रार्थना लय हेतु —Pgs. 235. प्रार्थना वर्ण गणना हेतु —Pgs. 256. प्रार्थना —Pgs. 287. संघ की प्रार्थना का सरलार्थ —Pgs. 308. प्रार्थनेचा अर्थ —Pgs. 329. संघ प्रार्थना—हिंदी पद्य रूप —Pgs. 3310. English Version —Pgs. 3511. Meaning —Pgs. 3612. शुद्ध भावार्थ —Pgs. 3913. विशेष शब्दों के भावार्थ —Pgs. 4214. संघ की प्रार्थना की अभ्यासिका —Pgs. 4315. प्रार्थना की महत्ता —Pgs. 58• प्रार्थना सामूहिक ही —Pgs. 58• मंत्ररूप संघ-प्रार्थना —Pgs. 59• मंत्र का मनन-अनुसरण —Pgs. 60• श्रद्धा और प्रेम का संगम भक्ति —Pgs. 61• प्रार्थना के तीन अर्थ होते हैं —Pgs. 72• अपने लिए कुछ भी नहीं —Pgs. 6316. संघ-प्रार्थना पर प्रश्नोत्तरी —Pgs. 6517. अनुलेख —Pgs. 68
राजनीति : सामाजिक - Hamari Prarthna (Pb)
Hamari Prarthna (Pb) - by - Prabhat Prakashan
Hamari Prarthna (Pb) - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में स्वयंसेवक जो प्रार्थना करते हैं, वह तो मंत्र है। सभी इस मंत्र का सामूहिक रूप से गान करते हैं। प्रार्थना तो संस्कृत में है। इस कारण प्रार्थना के शब्द समझ में नहीं आने के कारण उच्चारण में कठिनाई होती है। कई बार तो अशुद्ध उच्चारण भी होता है। प्रार्थना का शुद्ध उच्चारण होना चाहिए। इसके लिए एक-एक स्वयंसेवक का उच्चारण सुनना और उसे ठीक करवाना यह पद्धति ही उत्तम है। एक-एक पंक्ति के शब्द समझ में आएँ, इसलिए जहाँ संयुक्ताक्षर हैं, उनको संधि विच्छेद करके उनका उच्चारण करवाना और उन शब्दों का अर्थ भी बताना आवश्यक है। बाद में इन शब्दों को गद्य के रूप में व्यवस्थित करके वाक्य बनाना सरल हो जाता है। सभी स्वयंसेवकों को सरल पद्धति और सरल भाषा में समझने लायक प्रार्थना का शब्दशः उच्चारण, संधि विच्छेद, अन्वय, भावार्थ आदि संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री जगरामजी ने परिश्रमपूर्वक इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का अच्छा प्रयास किया है। इस पुस्तक के माध्यम से शाखाओं, अभ्यास वर्गों आदि में प्रार्थना पर अच्छी प्रकार से चर्चा लेने वालों को भी सुगमता होगी। विश्वास है, सभी स्वयंसेवक ही नहीं, संघ के प्रति जिज्ञासु सुधी पाठक भी इसका लाभ उठाएँगे।अनुक्रमउपक्षेप —Pgs.
- Stock: 10
- Model: PP2163
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2163
- ISBN: 9789353225926
- ISBN: 9789353225926
- Total Pages: 72
- Edition: Edition 1
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Soft Cover
- Year: 2019
₹ 75.00
Ex Tax: ₹ 75.00