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राजनीति : सामाजिक - Delhi Ki Anusuchit Jatiyan Va Aarakshan Vyavastha

राजनीति : सामाजिक - Delhi Ki Anusuchit Jatiyan Va Aarakshan Vyavastha
संविधान निर्मात्री सभा को स्पष्ट था कि यदि हिंदू समाज और देश चाहता है कि देश का प्रत्येक नागरिक सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक व शैक्षणिक विकास करे तो इन अनुसूचित जातियों के लिए विशेष विकासपरक प्रावधान करने होंगे और इसी विकास की आकांक्षा में संविधान में अनुसूचित जातियों के लिए राजनैतिक, नौकरियों इत्यादि क्षेत्रों में आरक्षण की व्यवस्था की गई। प्रस्तुत लघु पुस्तक में उन परिस्थितियों की संक्षेप में चर्चा की गई है, जिसने हमारे संविधान निर्माताओं को आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रेरित किया। इसी प्रकार पुस्तक में अभागे अछूतों (जो आज दलित या अनुसूचित जातियाँ कहलाते हैं) के प्रति अमानवीय परंपराओं व भेदभावपूर्ण नीतियों की चर्चा की गई है, जिसके चलते समाज का एक बड़ा हिस्सा गर्त में चला  गया था। पुस्तक को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है कि समाज के सभी वर्गों (कर्मचारी, अधिकारी, प्रमाण-पत्र प्रार्थी व अन्य सभी) को दिल्ली की अनुसूचित जातियों के बारे में सही मूलभूत जानकारी मिले, जिससे आरक्षण नीति के औचित्य एवं इसे सही ढंग से लागू करने व समाज को समझने में मदद मिले। ऐसी अनेकों जातियाँ हैं, जिनसे हम अनभिज्ञ हैं। विश्वास है कि इस पुस्तक से इन जातियों के बारे में यह अनभिज्ञता दूर होगी।अनुक्रमप्राकथन—Pgs 7भूमिका—Pgs 111. Pgs भारत में जाति-व्यवस्था—Pgs 172. Pgs वर्ण-व्यवस्था व अनुसूचित जातियाँ—Pgs 223. Pgs भारत का संविधान व अनुसूचित जातियाँ —Pgs 264. Pgs अनुसूचित जातियों को आरक्षण का औचित्य—Pgs 375. Pgs दिल्ली राज्य व अनुसूचित जातियाँ—Pgs 43• आदि धर्मी—Pgs 46• आगरिया—Pgs 47• अहेरिया—Pgs 48• बाजीगर—Pgs 50• बलाई—Pgs 52• बंजारा—Pgs 54• बावरिया—Pgs 56• भील—Pgs 58• भंगी—Pgs 60• चमार—Pgs 63• चामड़/चंवर—Pgs 66• चूहड़ा (वाल्मिकी)—Pgs 67• चूहड़ा (स्वीपर)—Pgs 68• धानक (धाणक) या धानुक—Pgs 69• धोबी—Pgs 71• डोम—Pgs 73• घरामी—Pgs 74• जटिया/जाटव चमार—Pgs 75• जुलाहा (बुनकर)—Pgs 76• कबीरपंथी—Pgs 79• कछंदा—Pgs 80• कंजर या गिहारा—Pgs 84• खटीक—Pgs 86• कोली—Pgs 88• लाल बेगी—Pgs 90• मदारी—Pgs 91• मल्लाह—Pgs 93• मोची—Pgs 95• मजहबी या मजबी—Pgs 96• मेघवाल—Pgs 98• नरीबट—Pgs 100• नट (राणा), बदी—Pgs 102• पासी—Pgs 104• पेरना—Pgs 106• रामदासिया—Pgs 108• रविदासी या रैदासी—Pgs 110• रैगर या रैहगर या रैगड़—Pgs 111• साँसी या भेदकुट—Pgs 113• सपेरा—Pgs 115• सिकलीगर—Pgs 117• सिंगीवाला या कालबेलिया—Pgs 119• सिरकीबंद—Pgs 1216. Pgs उपसंहार—Pgs 123परिशिष्ट-1THE GOVERNMENT OF INDIA (SCHEDULED CASTES)—Pgs 128परिशिष्ट-2संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1951—Pgs 140परिशिष्ट-3संशोधनों उपरांत दिल्ली की अनुसूचित जातियों की वर्तमान सूची व वर्ष 2011 में आबादी—Pgs 144 

राजनीति : सामाजिक - Delhi Ki Anusuchit Jatiyan Va Aarakshan Vyavastha

Delhi Ki Anusuchit Jatiyan Va Aarakshan Vyavastha - by - Prabhat Prakashan

Delhi Ki Anusuchit Jatiyan Va Aarakshan Vyavastha - संविधान निर्मात्री सभा को स्पष्ट था कि यदि हिंदू समाज और देश चाहता है कि देश का प्रत्येक नागरिक सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक व शैक्षणिक विकास करे तो इन अनुसूचित जातियों के लिए विशेष विकासपरक प्रावधान करने होंगे और इसी विकास की आकांक्षा में संविधान में अनुसूचित जातियों के लिए राजनैतिक, नौकरियों इत्यादि क्षेत्रों में आरक्षण की व्यवस्था की गई। प्रस्तुत लघु पुस्तक में उन परिस्थितियों की संक्षेप में चर्चा की गई है, जिसने हमारे संविधान निर्माताओं को आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रेरित किया। इसी प्रकार पुस्तक में अभागे अछूतों (जो आज दलित या अनुसूचित जातियाँ कहलाते हैं) के प्रति अमानवीय परंपराओं व भेदभावपूर्ण नीतियों की चर्चा की गई है, जिसके चलते समाज का एक बड़ा हिस्सा गर्त में चला  गया था। पुस्तक को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है कि समाज के सभी वर्गों (कर्मचारी, अधिकारी, प्रमाण-पत्र प्रार्थी व अन्य सभी) को दिल्ली की अनुसूचित जातियों के बारे में सही मूलभूत जानकारी मिले, जिससे आरक्षण नीति के औचित्य एवं इसे सही ढंग से लागू करने व समाज को समझने में मदद मिले। ऐसी अनेकों जातियाँ हैं, जिनसे हम अनभिज्ञ हैं। विश्वास है कि इस पुस्तक से इन जातियों के बारे में यह अनभिज्ञता दूर होगी।अनुक्रमप्राकथन—Pgs 7भूमिका—Pgs 111.

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  • Stock: 10
  • Model: PP2251
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2251
  • ISBN: 9789384343422
  • ISBN: 9789384343422
  • Total Pages: 144
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2016
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00