Menu
Your Cart

राजनीति : सामाजिक - Bharat Mein Angrezi Raj

राजनीति : सामाजिक - Bharat Mein Angrezi Raj
भारत के स्वतंत्रता-संग्राम में बौद्धिक प्रेरणा  देने  का  श्रेय  पंडित सुंदरलाल, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक और प्रथम उप कुलपति और ऑल इंडिया पीस काउंसिल के अध्यक्ष इलाहाबाद के सुप्रसिद्ध वकील जैसे उन कुछ साहसी लेखकों को भी है, जिन्होंने पद या परिणामों की चिंता किए बिना भारतीय स्वाधीनता का इतिहास नए सिरे से लिखा। ‘भारत में अंग्रेजी राज’ में गरम दल और नरम दल दोनों तरह के स्वाधीनता संग्राम योद्धाओं को अदम्य प्रेरणा दी। सर्वज्ञात है कि 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम को सैनिक विद्रोह कहकर दबाने के बाद अंग्रेजों ने योजनाबद्ध तरीके से हिंदू और मुसलिमों में मतभेद पैदा किया। ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के तहत उन्होंने बंगाल का दो हिस्सों पूर्वी और पश्चिमी में, विभाजन कर दिया। पंडित सुंदरलाल ने इस सांप्रदायिक विद्रोह के पीछे छिपी अंग्रेजों की कूटनीति तक पहुँचने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने प्रामाणिक दस्तावेजों तथा विश्व इतिहास का गहन अध्ययन किया; उनके सामने भारतीय इतिहास के अनेक अनजाने तथ्य खुलते चले गए। इसके बाद वे तीन साल तक क्रांतिकारी बाबू नित्यानंद चटर्जी के घर पर रहकर दत्तचित्त होकर लेखन और पठन-पाठन में लगे रहे। इसी साधना के फलस्वरूप एक हजार पृष्ठों का ‘भारत में अंग्रेजी राज’ नामक ग्रंथ स्वरूप ले पाया।------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------अनुक्रमदूसरा संस्करण — Pgs. 7स्वीकृति — Pgs. 9पुस्तक परिचय — Pgs. 11आभार — Pgs. 13लेखक की कठिनाइयाँ — Pgs. 17-------------------------------------------1. भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश — Pgs. 1302. सिराजुद्दौला — Pgs. 1453. मीर जाफर — Pgs. 1864. मीर कासिम — Pgs. 2075. फिर मीर जाफर — Pgs. 2336. मीर जाफर की मृत्यु के बाद — Pgs. 2447. वॉरेन हेस्टिंग्स — Pgs. 2548. पहला मराठा युद्ध — Pgs. 2669. हैदरअली — Pgs. 28910. सर जॉन मैक्फरसन — Pgs. 31911. लॉर्ड कॉर्नवालिस — Pgs. 32212. सर जॉन शोर — Pgs. 33613. अंग्रेजों की साम्राज्य पिपासा — Pgs. 34914. वेल्सली और निजाम — Pgs. 355

राजनीति : सामाजिक - Bharat Mein Angrezi Raj

Bharat Mein Angrezi Raj - by - Prabhat Prakashan

Bharat Mein Angrezi Raj - भारत के स्वतंत्रता-संग्राम में बौद्धिक प्रेरणा  देने  का  श्रेय  पंडित सुंदरलाल, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक और प्रथम उप कुलपति और ऑल इंडिया पीस काउंसिल के अध्यक्ष इलाहाबाद के सुप्रसिद्ध वकील जैसे उन कुछ साहसी लेखकों को भी है, जिन्होंने पद या परिणामों की चिंता किए बिना भारतीय स्वाधीनता का इतिहास नए सिरे से लिखा। ‘भारत में अंग्रेजी राज’ में गरम दल और नरम दल दोनों तरह के स्वाधीनता संग्राम योद्धाओं को अदम्य प्रेरणा दी। सर्वज्ञात है कि 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम को सैनिक विद्रोह कहकर दबाने के बाद अंग्रेजों ने योजनाबद्ध तरीके से हिंदू और मुसलिमों में मतभेद पैदा किया। ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के तहत उन्होंने बंगाल का दो हिस्सों पूर्वी और पश्चिमी में, विभाजन कर दिया। पंडित सुंदरलाल ने इस सांप्रदायिक विद्रोह के पीछे छिपी अंग्रेजों की कूटनीति तक पहुँचने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने प्रामाणिक दस्तावेजों तथा विश्व इतिहास का गहन अध्ययन किया; उनके सामने भारतीय इतिहास के अनेक अनजाने तथ्य खुलते चले गए। इसके बाद वे तीन साल तक क्रांतिकारी बाबू नित्यानंद चटर्जी के घर पर रहकर दत्तचित्त होकर लेखन और पठन-पाठन में लगे रहे। इसी साधना के फलस्वरूप एक हजार पृष्ठों का ‘भारत में अंग्रेजी राज’ नामक ग्रंथ स्वरूप ले पाया।------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------अनुक्रमदूसरा संस्करण — Pgs.

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: PP2303
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2303
  • ISBN: 9789386871459
  • ISBN: 9789386871459
  • Total Pages: 360
  • Edition: Edition Ist
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 700.00
Ex Tax: ₹ 700.00