भक्ति साहित्य - Vrat-Upvas Ke Dharmik Aur Vaigyanik Adhar
भले ही व्रत-उपवास का वास्तविक अर्थ कुछ भी हो, लेकिन ये जनमानस में धर्म, आस्था एवं श्रद्धा का प्रतीक हैं। कुछ लोग इसे धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं तो कुछ ज्योतिषीय उपायों की तरह लेते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से इनके अलग लाभ हैं तो मनोविज्ञान की दृष्टि से इनका अपना महत्त्व है। शायद यही कारण है कि व्रत-उपवास का चलन सदियों नहीं, युगों पुराना है। एक तरफ हिंदू शास्त्र व्रत-उपवास जैसे धार्मिक कर्मकांडों की पैरवी करते नजर आते हैं तो दूसरी ओर खुद ही इसी बात पर जोर देते हैं कि भूखे भजन न होय गोपाला, अर्थात् भूखे पेट तो भगवान् का भजन भी नहीं हो पाता।
व्रत-उपवास हमारे आत्मिक बल और स्व-नियंत्रण को बढ़ाते हैं; इंद्रियों को वश में रखने की शक्ति देते हैं।
कुछ लोग व्रत-उपवास श्रद्धा से रखते हैं तो कुछ लोग भय से, कुछ लोग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए रखते हैं तो कुछ लोग मानसिक शांति के लिए। कारण भले ही कोई हो, लेकिन लोगों के जीवन में व्रत-उपवास का विशेष स्थान है। यह पुस्तक व्रत-उपवासों की महत्ता और उनकी वैज्ञानिकता प्रस्तुत करती है।अनुक्रमयह पुस्तक क्यों? —Pgs. 7क्यों चला व्रतों का चलन? —Pgs. 13क्या है व्रत, क्या है उपवास, कितने भिन्न, कितने समान? —Pgs. 18व्रतों से जुड़े लाभ, दान, मंत्र और सावधानियाँ —Pgs. 22व्रत रखने से पहले जरा सोचें —Pgs. 30तन का नहीं, मन का होता है व्रत —Pgs. 33व्रत-उपवास का बिगड़ता स्वरूप —Pgs. 35भारतीय संस्कृति में व्रती जीवन —Pgs. 40व्रतों के भेद —Pgs. 46माह एवं ऋतु अनुसार व्रत-उपवास —Pgs. 50कामनाओं से संबंधित व्रत —Pgs. 53उपवास के समान कोई तप नहीं —Pgs. 58उपवास करें, स्वस्थ रहें —Pgs. 61कैसे और क्यों रखें ‘उपवास’? —Pgs. 64व्रत और डॉक्टरी हिदायत —Pgs. 68आखिर निष्फल क्यों हो जाते हैं व्रत और उपवास? —Pgs. 70व्रत भी हो सकते हैं दुःखदायी —Pgs. 73कुंडली के अनुसार कौन सा व्रत करें? —Pgs. 77किस देवता के व्रत से क्या लाभ है? —Pgs. 81क्या हैं नवरात्र? —Pgs. 84जानें नवरात्र व्रत की पूजन विधि —Pgs. 90क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि? —Pgs. 96कैसे करें भगवान् गणेशजी को प्रसन्न? —Pgs. 109जन्माष्टमी मनाने के परंपरागत रूप —Pgs. 117हनुमान जयंती और पूजन —Pgs. 124कैसे करें रामनवमी का व्रत —Pgs. 136श्री सत्यनारायण व्रत का रहस्य —Pgs. 140साईं बाबा व्रत पूजा —Pgs. 148साधना का पर्व : निर्जला एकादशी —Pgs. 153लंबे सुहाग की कामना का पर्व —Pgs. 159पुत्रों पर कृपा करती हैं—अहोई माता —Pgs. 164सूर्योपासना का लोकपर्व छठ —Pgs. 167कामनाओं को पूरा करें महालक्ष्मी व्रत से —Pgs. 175संतोषी माता व्रत की विधि —Pgs. 179ईसाई धर्म और व्रत —Pgs. 182जैन धर्म और व्रत —Pgs. 186रोजे और रमजान : इनसानियत के पैगाम —Pgs. 190वार अनुसार व्रतों को रखने की विधि —Pgs. 196प्रदोष व्रत —Pgs. 215
भक्ति साहित्य - Vrat-Upvas Ke Dharmik Aur Vaigyanik Adhar
Vrat-Upvas Ke Dharmik Aur Vaigyanik Adhar - by - Prabhat Prakashan
Vrat-Upvas Ke Dharmik Aur Vaigyanik Adhar - भले ही व्रत-उपवास का वास्तविक अर्थ कुछ भी हो, लेकिन ये जनमानस में धर्म, आस्था एवं श्रद्धा का प्रतीक हैं। कुछ लोग इसे धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं तो कुछ ज्योतिषीय उपायों की तरह लेते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से इनके अलग लाभ हैं तो मनोविज्ञान की दृष्टि से इनका अपना महत्त्व है। शायद यही कारण है कि व्रत-उपवास का चलन सदियों नहीं, युगों पुराना है। एक तरफ हिंदू शास्त्र व्रत-उपवास जैसे धार्मिक कर्मकांडों की पैरवी करते नजर आते हैं तो दूसरी ओर खुद ही इसी बात पर जोर देते हैं कि भूखे भजन न होय गोपाला, अर्थात् भूखे पेट तो भगवान् का भजन भी नहीं हो पाता। व्रत-उपवास हमारे आत्मिक बल और स्व-नियंत्रण को बढ़ाते हैं; इंद्रियों को वश में रखने की शक्ति देते हैं। कुछ लोग व्रत-उपवास श्रद्धा से रखते हैं तो कुछ लोग भय से, कुछ लोग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए रखते हैं तो कुछ लोग मानसिक शांति के लिए। कारण भले ही कोई हो, लेकिन लोगों के जीवन में व्रत-उपवास का विशेष स्थान है। यह पुस्तक व्रत-उपवासों की महत्ता और उनकी वैज्ञानिकता प्रस्तुत करती है।अनुक्रमयह पुस्तक क्यों?
- Stock: 10
- Model: PP1991
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1991
- ISBN: 9789387980556
- ISBN: 9789387980556
- Total Pages: 216
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2019
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00