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राजनीति : सामाजिक - Mahatma Gandhi Ki Prerak Gathayen

राजनीति : सामाजिक - Mahatma Gandhi Ki Prerak Gathayen
पृथ्वी पर कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जो एक मिसाल बन जाते हैं। सदियाँ गुजर जाती हैं, लेकिन ऐसे महान् व्यक्तियों की गाथाएँ और उनके प्रेरक विचार दिन-प्रतिदिन सूरज की रोशनी की तरह पूरे विश्व में चमकते रहते हैं। मनुष्य को गलतियों का पुतला कहा जाता है। लेकिन कई मनुष्य जीवन में गलतियों से लगातार सीख लेते हुए कामयाबी की ओर बढ़ते रहते हैं और पूरे विश्व के सामने एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। महात्मा गांधी का व्यक्तित्व ऐसा ही है, जिनके बारे में मात्र कुछ शब्द कहना उसी प्रकार होगा, जिस प्रकार सूरज को दीपक दिखाना। उनकी अनेक ऐसी घटनाएँ और प्रसंग हैं, जो बच्चों और बड़ों को समान रूप से शिक्षा देते हैं। गांधीजी के जीवन से जुडे़ अनेक प्रसंग पढ़कर जहाँ रोमांच होता है, वहीं उन्हें श्रध्दावश नमन करने को हाथ स्वतः ही जुड़ जाते हैं। जाने कितने बरसों में गांधीजी जैसी शख्सियत का जन्म होता है। वर्तमान समय में तो उनके विचारों और अहिंसक नीति का बच्चों और बड़ों तक पहुँचना और भी जरूरी है, क्योंकि आज स्वार्थ की भावना इस कदर बढ़ गई है कि लोगों के हृदयों से संवेदनाएँ समाप्त हो गई हैं। उन संवेदनाओं और अहिंसात्मक नीति को बचाए रखना आवश्यक है, तभी देश दिन-प्रतिदिन प्रगति की ओर बढ़ पाएगा। गांधीजी के अनुकरणीय जीवन की घटनाएँ अवश्य ही पाठकों को प्रेरित करेंगी और उनमें जीवन-मूल्यों को स्थापित करेंगी। इसलिए उनके जीवन की चुनिंदा घटनाएँ यहाँ पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं।अनुक्रम     प्राक्कथन — Pgs. 7 50. आरामदायक यात्रा — Pgs. 62 101. सत्य का खून — Pgs. 114 1. कर्तव्यनिष्ठा की भावना — Pgs. 13 51. चालीस करोड़ के 102. श्रम का लाभ — Pgs. 116 2. समय की कीमत — Pgs. 14 लिए कुरता — Pgs. 63 103. स्वयं के प्रति ईमानदार — Pgs. 118 3. गांधीजी की मूर्तिपूजा — Pgs. 15 52. नियम का पालन — Pgs. 64 104. वस्तु का पूर्ण उपयोग — Pgs. 120 4. भारतीय संस्कृति 53. अंधविश्वास का विरोध — Pgs. 65 105. अंग्रेज का विरोध — Pgs. 121 की महानता — Pgs. 16 54. हम-तुम एक समान — Pgs. 66 106. सत्य का गुण — Pgs. 122 5. सत्य की जीत — Pgs. 17 55. हिंदी में पत्र-लेखन — Pgs. 67 107. खद्दर के वस्त्र — Pgs. 123 6. सेवा की भावना — Pgs. 18 56. सुंदर लिखाई — Pgs. 68 108. हरिजनों की हजामत — Pgs. 124 7. संन्यासी की सेवा — Pgs. 19 57. समय का पालन — Pgs. 69 109. कर्तव्य का पालन — Pgs. 125 8. गांधीजी का व्यवहार — Pgs. 20 58. व्रत का मूल्य — Pgs. 70 110. गिरमिटियों की मुक्ति — Pgs. 126 9. बलि पर रोक — Pgs. 21 59. एक पंथ दो काज — Pgs. 71 111. गिरमिटियों के मसीहा — Pgs. 127 10. गांधीजी की विनम्रता — Pgs. 22 60. वह सुंदर बगीचा — Pgs. 72 112. ‘महात्मा’ की उपाधि — Pgs. 128 11. गांधीजी की रजाई — Pgs. 23 61. पानी का सदुपयोग — Pgs. 73 113. धर्म का आडंबर — Pgs. 129 12. गांधीजी का भोजन — Pgs. 24 62. नींद पर नियंत्रण — Pgs. 74 114. जिम्मेदारी को समझो — Pgs. 130 13. ‘गीता’ का रहस्य — Pgs. 25 63. देश की सुरक्षा — Pgs. 75 115. मैले की सफाई — Pgs. 131 14. अहिंसा की शक्ति — Pgs. 26 64. व्यवस्थित सामान — Pgs. 76 116. व्यायाम का प्रताप — Pgs. 132 15. बापू का सत्य — Pgs. 27 65. पहले लड़की का नाम — Pgs. 77 117. हिंसक व्यवहार — Pgs. 133 16. गरीबों के प्रति आत्मीयता — Pgs. 28 66. सेवा ही धर्म है — Pgs. 78 118. कार्य को पूरा करो — Pgs. 134 17. समाजसेवी के सिद्धांत — Pgs. 29 67. गांधीजी का आकर्षण — Pgs. 79 119. गांधी की चप्पल — Pgs. 135 18. चोर और इनसानियत — Pgs. 30 68. पुराने कपड़े का प्रयोग — Pgs. 80 120. सफाई से काम करो — Pgs. 136 19. दान का गुणगान — Pgs. 31 69. वास्तविक हकदार — Pgs. 81 121. व्यर्थ का क्रोध — Pgs. 137 20. विचारों का सम्मान — Pgs. 32 70. नाश्ते के पात्र — Pgs. 82 122. गांधीजी की मूक क्षमा — Pgs. 138 21. भाषा का सम्मान — Pgs. 33 71. कार्य के प्रति समर्पण — Pgs. 83 123. शारीरिक श्रम का अभाव — Pgs. 139 22. जनहित के लिए उपहार — Pgs. 34 72. स्वच्छता का संदेश — Pgs. 84 124. सभ्य युवा — Pgs. 140 23. मेरा नाम महात्मा नहीं है — Pgs. 35 73. चिंता का उत्तम इलाज — Pgs. 85 125. निर्भय गांधी — Pgs. 141 24. अंधविश्वास की धारणा — Pgs. 36 74. कस्तूरबा का इलाज — Pgs. 86 126. शिक्षा का उद्देश्य — Pgs. 142 25. गांधीजी का स्वाभिमान — Pgs. 37 75. नमक और दाल का त्याग — Pgs. 87 127. अहिंसक शांतिपूर्वक 26. नमक कानून का उल्लंघन — Pgs. 38 76. सोने की थाली में भोजन — Pgs. 88 हड़ताल — Pgs. 143 27. अहिंसक सत्याग्रह — Pgs. 39 77. अपने-पराए का भेद — Pgs. 89 128. निर्दोष जीव — Pgs. 144 28. उपवास की शक्ति — Pgs. 40 78. व्रत के लाभ — Pgs. 90 129. गांधीजी और लँगोटी — Pgs. 145 29. बकरी का दूध — Pgs. 41 79. फिजूलखर्ची क्यों — Pgs. 91 130. गांधीजी के बंदर — Pgs. 146 30. पत्नी-सेवा की मिसाल — Pgs. 42 80. स्वच्छता का प्रतीक — Pgs. 92 131. जिम्मेदारी का अहसास — Pgs. 147 31. सेगाँव से ‘सेवाग्राम’ 81. शिक्षक बापू — Pgs. 93 132. कीमती समय — Pgs. 148 का निर्माण — Pgs. 43 82. होल्डर का प्रयोग — Pgs. 94 133. आम का रस — Pgs. 149 32. राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रयोग — Pgs. 44 83. अहिंसा का अर्थ — Pgs. 95 134. देशी शब्दों का अर्थ — Pgs. 150 33. गौवंश की रक्षा — Pgs. 45 84. अनोखा सादगीपूर्ण विवाह — Pgs. 96 135. चप्पलों का त्याग — Pgs. 151 34. सत्य का पाठ — Pgs. 46 85. धमकी और हिंसा — Pgs. 97 136. धन का प्रयोग — Pgs. 152 35. सादगी की शुरुआत — Pgs. 47 86. जनता का नेता — Pgs. 98 137. पाखानों की सफाई — Pgs. 153 36. मांसाहार से परहेज — Pgs. 48 87. वे चालीस योद्धा — Pgs. 99 138. स्वयं वस्त्र बुनो — Pgs. 154 37. प्लेग का प्रकोप — Pgs. 49 88. हिंदू-मुसलिम एकता — Pgs. 100 139. गांधीजी का विरोध — Pgs. 155 38. बचपन से अहिंसक नीति — Pgs. 50 89. रक्तचाप पर नियंत्रण — Pgs. 101 140. गांधीजी की प्रतिज्ञा — Pgs. 156 39. रोगियों की सेवा — Pgs. 51 90. अंग्रेजी का कार्ड — Pgs. 103 141. गांधीजी की उदारता — Pgs. 157 40. अच्छा वकील — Pgs. 52 91. वास्तविक शिक्षा — Pgs. 104 142. पत्रकार का लेखन — Pgs. 158 41. भानुबापा को मिले जूते — Pgs. 53 92. बड़ों का आदर — Pgs. 105 143. दरी का मालिक — Pgs. 159 42. श्रम का महत्त्व — Pgs. 54 93. अपना काम स्वयं करो — Pgs. 106 144. निडरता और अनुशासन — Pgs. 160 43. सब जन एक समान — Pgs. 55 94. मातृभूमि की सेवा — Pgs. 107 145. आत्मबल जाग्रत् करो — Pgs. 161 44. बेशकीमती भेंट — Pgs. 56 95. गांधीजी का निर्णय — Pgs. 108 146. अहिंसा के पुजारी — Pgs. 162 45. मैला ढोने का काम — Pgs. 57 96. बेशकीमती समय — Pgs. 109 147. मजदूर का शोषण — Pgs. 163 46. सच्चा व्यक्ति — Pgs. 58 97. वह एक वाक्य — Pgs. 110 148. झूठ-मूठ की बातें — Pgs. 164 47. सत्य को डर नहीं — Pgs. 59 98. वह अद्भुत स्पर्श — Pgs. 111 149. स्वच्छता का ध्यान — Pgs. 165 48. अपने-पराए का भेद नहीं — Pgs. 60 99. वस्तु का सदुपयोग — Pgs. 112 150. रणछोड़दास का उपकार — Pgs. 166 49. संदेश का प्रसारण — Pgs. 61 100. गांधीजी का स्वागत — Pgs. 113 151. गांधीजी के अंतिम शब्द — Pgs. 167

राजनीति : सामाजिक - Mahatma Gandhi Ki Prerak Gathayen

Mahatma Gandhi Ki Prerak Gathayen - by - Prabhat Prakashan

Mahatma Gandhi Ki Prerak Gathayen - पृथ्वी पर कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जो एक मिसाल बन जाते हैं। सदियाँ गुजर जाती हैं, लेकिन ऐसे महान् व्यक्तियों की गाथाएँ और उनके प्रेरक विचार दिन-प्रतिदिन सूरज की रोशनी की तरह पूरे विश्व में चमकते रहते हैं। मनुष्य को गलतियों का पुतला कहा जाता है। लेकिन कई मनुष्य जीवन में गलतियों से लगातार सीख लेते हुए कामयाबी की ओर बढ़ते रहते हैं और पूरे विश्व के सामने एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। महात्मा गांधी का व्यक्तित्व ऐसा ही है, जिनके बारे में मात्र कुछ शब्द कहना उसी प्रकार होगा, जिस प्रकार सूरज को दीपक दिखाना। उनकी अनेक ऐसी घटनाएँ और प्रसंग हैं, जो बच्चों और बड़ों को समान रूप से शिक्षा देते हैं। गांधीजी के जीवन से जुडे़ अनेक प्रसंग पढ़कर जहाँ रोमांच होता है, वहीं उन्हें श्रध्दावश नमन करने को हाथ स्वतः ही जुड़ जाते हैं। जाने कितने बरसों में गांधीजी जैसी शख्सियत का जन्म होता है। वर्तमान समय में तो उनके विचारों और अहिंसक नीति का बच्चों और बड़ों तक पहुँचना और भी जरूरी है, क्योंकि आज स्वार्थ की भावना इस कदर बढ़ गई है कि लोगों के हृदयों से संवेदनाएँ समाप्त हो गई हैं। उन संवेदनाओं और अहिंसात्मक नीति को बचाए रखना आवश्यक है, तभी देश दिन-प्रतिदिन प्रगति की ओर बढ़ पाएगा। गांधीजी के अनुकरणीय जीवन की घटनाएँ अवश्य ही पाठकों को प्रेरित करेंगी और उनमें जीवन-मूल्यों को स्थापित करेंगी। इसलिए उनके जीवन की चुनिंदा घटनाएँ यहाँ पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं।अनुक्रम     प्राक्कथन — Pgs.

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  • Stock: 10
  • Model: PP2299
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2299
  • ISBN: 9788189573768
  • ISBN: 9788189573768
  • Total Pages: 168
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2021
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00