Menu
Your Cart

भक्ति साहित्य - Vivek-Choodamani

भक्ति साहित्य - Vivek-Choodamani
‘ब्रह्म सत्यं’ जगन्मिथ्येत्येवंरूपो विनिश्र्चयः, सोअयं नित्यानित्यवस्तुविवेकः समुदाहतः।  —20 काव्यानुवाद—चौपाई छंद में ब्रह्म सत्य और जगत है मिथ्या।  यहि दृढ़ अटल सत्य है तथ्या॥ अथ निश्चय दृढ़ अविचल एका। नित्यानित्यं वस्तु विवेका॥आत्म-अनात्म विवेक, नित्य-अनित्य विवेक, सत्य-असत्य विवेक सारा ज्ञान द्वैतात्मक है—विलोम की स्थिति के बिना कैसे दूसरे पक्ष को जाना जा सकता है। संसार, शरीर और अनात्म विषयों में उलझे मन यह भूल जाते हैं कि यथार्थ साधना अंतःकरण में संपन्न होती है। आत्मा नित्य है, अतः इसका कोई मूल तत्त्व या उपादान कारण नहीं है, आत्मा को आत्म-तत्त्व से ही जान पाना संभव है। परम तत्त्व का अनुसंधान, ब्रह्म विषयक ज्ञान, उस असीम को ससीम से जान पाना संभव नहीं। अंतर्वर्ती अंतश्चेतना का जागरण करते हुए, जीव-जगत्-जन्म में अनावश्यक आसक्ति के प्रति सजग रहते हुए, सर्वत्र शुद्ध भगवद्-दृष्टि पाकर सर्वथा जीवन्मुक्त अवस्था से कैवल्य पाना ही सर्वोत्तम सिद्धि है, जिसका ज्ञान और प्राप्ति ही ‘विवेक-चूड़ामणि’ का कथ्य विषय है।अनुक्रममंगलाचरण —Pgs. 23ब्रह्म‍निष्ठा का महत्त्व —Pgs. 24ज्ञानोपलब्धि का उपाय —Pgs. 28अधिकारिनिरुपण —Pgs. 31साधन-चतुष्टय —Pgs. 33गुरुपसत्ति और प्रश्नविधि —Pgs. 39उपदेश-विधि —Pgs. 44श्री गुरु उवाच —Pgs. 46प्रश्न निरूपण-शिष्य उवाच —Pgs. 49शिष्य-प्रशंसा —Pgs. 50स्व-प्रयत्न की प्रधानता —Pgs. 51आत्मज्ञान का महत्त्व —Pgs. 54अपरोक्षानुभव की आवश्यकता —Pgs. 57प्रश्न-विचार —Pgs. 60स्थूल शरीर का वर्णन —Pgs. 63विषय-निंदा —Pgs. 65देहासक्ति की निंदा —Pgs. 69दस इंद्रियाँ —Pgs. 73अंतःकरणचतुष्टय  —Pgs. 74पंचप्राण —Pgs. 76सूक्ष्म शरीर —Pgs. 77प्राण के धर्म  —Pgs. 81अहंकार  —Pgs. 82प्रेम की आत्मार्थता  —Pgs. 84माया-निरूपण —Pgs. 85रजोगुण  —Pgs. 87तमोगुण  —Pgs. 89सत्त्वगुण  —Pgs. 92कारण-शरीर —Pgs. 94अनात्म-निरूपण  —Pgs. 96आत्म-निरूपण  —Pgs. 97अध्यास (भ्रम मूलक बुद्धि ) —Pgs. 103आवरण और विक्षेप की शक्ति —Pgs. 107बंध-निरूपण —Pgs. 109आत्मानात्म -विवेक —Pgs. 111अन्नमय कोश —Pgs. 115प्राणमय कोष  —Pgs. 121मनोमय कोश —Pgs. 123विज्ञानमय कोष —Pgs. 133आत्मा की उपाधि से असंगता —Pgs. 136मुक्ति कैसे होगी? —Pgs. 139आत्मज्ञान ही मुक्ति का उपाय है —Pgs. 141आनंदमय कोष —Pgs. 148आत्म स्वरूप विषयक प्रश्न  —Pgs. 152आत्मस्वरूप-निरूपण —Pgs. 153ब्रह्म‍ और जगत् की एकता  —Pgs. 161ब्रह्म‍-निरूपण  —Pgs. 168महावाक्य-विचार  —Pgs. 171ब्रह्म‍-भावना —Pgs. 177वासना-त्याग —Pgs. 187अध्यास-निरास —Pgs. 193अहंपदार्थ-निरूपण —Pgs. 203अहंकार-निंदा  —Pgs. 207क्रिया, चिंता और वासना का त्याग  —Pgs. 215प्रमाद-निंदा  —Pgs. 221असत्-परिहार  —Pgs. 227आत्म निष्ठा का विधान  —Pgs. 232अधिष्ठान-निरूपण  —Pgs. 238समाधि-निरूपण  —Pgs. 241वैराग्य-निरूपण  —Pgs. 250ध्यान-विधि  —Pgs. 254आत्म-दृष्टि  —Pgs. 257प्रपंच का बाघ  —Pgs. 265आत्म-चिंतन का विधान  —Pgs. 270दृश्य की उपेक्षा  —Pgs. 274आत्मज्ञान का फल  —Pgs. 277जीवन्मुक्त के लक्षण  —Pgs. 281प्रारब्ध-विचार  —Pgs. 291नानात्व-निषेध  —Pgs. 300आत्मानुभव का उपदेश  —Pgs. 303बोधोपलब्धि  —Pgs. 307उपदेश का उपसंहार  —Pgs. 325शिष्य की विदा  —Pgs. 350अनुबंध चतुष्टय  —Pgs. 352ग्रंथ-प्रसंशा  —Pgs. 354अभ्यर्थना  —Pgs. 355तेरो बृहत् विराट् स्वरूप  —Pgs. 356कृतित्व  —Pgs. 357

भक्ति साहित्य - Vivek-Choodamani

Vivek-Choodamani - by - Prabhat Prakashan

Vivek-Choodamani - ‘ब्रह्म सत्यं’ जगन्मिथ्येत्येवंरूपो विनिश्र्चयः, सोअयं नित्यानित्यवस्तुविवेकः समुदाहतः।  —20 काव्यानुवाद—चौपाई छंद में ब्रह्म सत्य और जगत है मिथ्या।  यहि दृढ़ अटल सत्य है तथ्या॥ अथ निश्चय दृढ़ अविचल एका। नित्यानित्यं वस्तु विवेका॥आत्म-अनात्म विवेक, नित्य-अनित्य विवेक, सत्य-असत्य विवेक सारा ज्ञान द्वैतात्मक है—विलोम की स्थिति के बिना कैसे दूसरे पक्ष को जाना जा सकता है। संसार, शरीर और अनात्म विषयों में उलझे मन यह भूल जाते हैं कि यथार्थ साधना अंतःकरण में संपन्न होती है। आत्मा नित्य है, अतः इसका कोई मूल तत्त्व या उपादान कारण नहीं है, आत्मा को आत्म-तत्त्व से ही जान पाना संभव है। परम तत्त्व का अनुसंधान, ब्रह्म विषयक ज्ञान, उस असीम को ससीम से जान पाना संभव नहीं। अंतर्वर्ती अंतश्चेतना का जागरण करते हुए, जीव-जगत्-जन्म में अनावश्यक आसक्ति के प्रति सजग रहते हुए, सर्वत्र शुद्ध भगवद्-दृष्टि पाकर सर्वथा जीवन्मुक्त अवस्था से कैवल्य पाना ही सर्वोत्तम सिद्धि है, जिसका ज्ञान और प्राप्ति ही ‘विवेक-चूड़ामणि’ का कथ्य विषय है।अनुक्रममंगलाचरण —Pgs.

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: PP1894
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1894
  • ISBN: 9789353221461
  • ISBN: 9789353221461
  • Total Pages: 360
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2019
₹ 700.00
Ex Tax: ₹ 700.00