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जीवनी - Ramkrishna Paramhans Ke 101 Prerak Prasang

जीवनी - Ramkrishna Paramhans Ke 101 Prerak Prasang
स्वामी राम कृष्ण परमहंस एक महान संत, समाज-सुधारक और हिंदू धर्म के प्रणेता थे। उनका मानना था कि यदि मनुष्य के हृदय में सच्ची श्रद्धा और लगन जग जाए तो ईश्वर का साक्षात्कार कतई मुश्किल नहीं है। वे कहते कि ईश्वर एक ही है, मनुष्यों ने उस तक पहुँचने के मार्ग अलग-अलग बना लिये हैं। वे स्वयं माँ काली के अनन्य भक्त थे और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन उन्हीं की आराधना में व्यतीत किया। उन्होंने हिंदू धर्म की प्रतिष्ठा का कार्य अपने तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि युवा नरेंद्र के रूप में हिंदुत्व की प्रतिष्ठा को विश्वमंच पर प्रस्थापित करने का पुरुषार्थ कर दिखाया। वे स्वयं पढ़े-लिखे नहीं थे, किंतु उन्होंने विश्व को विवेकानंद  जैसा  सार्वकालिक  धर्म-प्रवर्तक दिया। परमहंस के जीवन काल में ही उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई थी। फलस्वरूप मैक्समूलर और रोम्याँ रोलाँ जैसे सुप्रसिद्ध पाश्चात्य विद्वानों ने उनकी जीवनी लिखकर अपने को धन्य माना।इस पुस्तक में स्वामी रामकृष्ण परमहंस के जीवन से जुड़े रोचक एवं प्रेरक प्रसंगों का संकलन किया गया है। इसकी सामग्री रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद पर उपलब्ध साहित्य से प्राप्त की गई। यह पुस्तक स्वामीजी के जीवन को समझने की दिशा में एक विनम्र प्रयास है। आशा है, हमारे प्रबुद्ध पाठक इस पुस्तक को पढ़कर स्वामीजी के जीवन और जीवन-दर्शन को समझ पाएँगे।अनुक्रम   संदेश  —Pgs 7 51. विद्या का क्षीरसागर —Pgs 96 अपनी बात —Pgs 9 52. साधना से बड़ी सेवा —Pgs 97 1. ...और आगे बढ़ो —Pgs 15 53. सर्वत्र माँ —Pgs 99 2. उत्तरदायित्व का निर्वाह —Pgs 17 54. ईश्वर का ध्यान —Pgs 100 3. जल और बर्फ —Pgs 18 55. भगवद्-भक्ति   का तेल —Pgs 102 4. संत और संन्यासी   के आचरण —Pgs 20 56. रुपया :  जीवन का   लक्ष्य नहीं —Pgs 104 5. मनुष्य की अज्ञानता —Pgs 21 57. सब में ईश्वर हैं —Pgs 105 6. नाम की महिमा —Pgs 23 58. गुरु की परख —Pgs 107 7. ईश्वरीय आनंद —Pgs 24 59. अंतर्दृष्टि —Pgs 109 8. राहें अनेक,   पर लक्ष्य एक —Pgs 26 60. आंतरिक सत्य   को देखो —Pgs 111 9. ज्ञान का प्रकाश —Pgs 28 61. गतिशील बनो —Pgs 113 10. सरल भाव से प्राप्ति —Pgs 30 62. मन और मछली   एक समान —Pgs 114 11. ईश्वर की कृपा कैसे   प्राप्त हो —Pgs 32 63. मानव स्वभाव —Pgs 116 12. सकाम भक्ति और   निष्काम भक्ति —Pgs 34 64. सत्संग का महत्त्व —Pgs 118 13. भाव-भक्ति की शक्ति —Pgs 36 65. संसार की विविधता —Pgs 120 14. ईश्वर को कैसे पुकारें? —Pgs 38 66. ध्यान लक्ष्य की ओर —Pgs 122 15. विश्वास परम आवश्यक —Pgs 40 67. सत्संग और प्रार्थना —Pgs 124 16. त्याग के बिना ईश्वर   को पाना असंभव —Pgs 42 68. सच्चा गुरु —Pgs 126 17. ईश्वर और भक्त   का प्रेम —Pgs 44 69. ज्ञान और शांति —Pgs 128 18. ईश्वर को पाने   की जिद —Pgs 45 70. सुपात्र —Pgs 130 19. विवेक और वैराग्य —Pgs 47 71. ईश्वर ही कर्ता है —Pgs 131 20. ईश्वर पर हो   पूर्ण आस्था —Pgs 48 72. चाहे जैसे भी पुकारो —Pgs 133 21. तर्क-विचार :  सबसे   बड़ी बाधा —Pgs 49 73. सब धर्मों का   सार एक —Pgs 135 22. ईश्वर को पाने का  दीवानापन —Pgs 51 74. सदुपयोग —Pgs 136 23. कर्ता ईश्वर :  मनुष्य  माध्यम —Pgs 52 75. ईश्वरमय —Pgs 138 24. ज्ञान व कर्म —Pgs 54 76. विद्या अविद्या से परे —Pgs 140 25. सांसारिक कर्म और   ईश्वर-ध्यान —Pgs 55 77. शिष्य की परख   सच्चे गुरु को ही —Pgs 142 26. शास्त्रों का   सार क्या है? —Pgs 56 78. गृहस्थों के लिए   साधना —Pgs 144 27. धन का महत्त्व और  उसको कमाने का ढंग —Pgs 58 79. पहचान —Pgs 146 28. ज्ञान-अज्ञान से परे रहो —Pgs 60 80. दुष्ट को डपटना   बुरा नहीं —Pgs 147 29. दान-धर्म की महिमा —Pgs 61 81. सच्चा प्रेम —Pgs 148 30. मनोयोग और कर्मयोग —Pgs 63 82. ईश्वर से कुछ   न माँगो —Pgs 149 31. सरल और सुंदर   स्वभाव —Pgs 65 83. अटूट विश्वास —Pgs 151 32. संसार के कर्मों से   छुटकारा कठिन —Pgs 67 84. छोटी बात —Pgs 152 33. ईश्वर से कुछ न माँगो —Pgs 68 85. आनंदमयी —Pgs 154 34. सब ईश्वर को समर्पित —Pgs 69 86. दर्शन का भी महत्त्व —Pgs 156 35. संसार का मोह —Pgs 71 87. सुपात्र को ही ज्ञान —Pgs 158 36. राधा का कृष्ण-प्रेम —Pgs 72 88. ज्ञान अंतहीन है —Pgs 159 37. संसार विमाता है —Pgs 74 89. हरि नाम —Pgs 161 38. चेतना —Pgs 75 90. धर्म और मानवता   की सेवा —Pgs 163 39. ईश्वर का रसपान —Pgs 77 91. मन का भ्रम —Pgs 165 40. दैवी तत्त्व —Pgs 78 92. ब्रह्म क्या है? —Pgs 166 41. जिम्मेदारी का पालन —Pgs 80 93. समस्त सृष्टि :  उसका  परिवार —Pgs 168 42. ईश्वर साधना और   बंधनों का त्याग —Pgs 81 94. अपनी क्षमताओं   को जानें —Pgs 169 43. सभी में ईश्वर का   स्वरूप —Pgs 83 95. सहृदयता —Pgs 171 44. संस्कार —Pgs 85 96. सब में परमात्मा —Pgs 173 45. प्रेमीभक्त —Pgs 87 97. हिंसा से बचो —Pgs 175 46. ईश्वर ही सुंदर —Pgs 88 98. भक्त की दशा —Pgs 178 47. दोषों का निवारण —Pgs 90 99. सब में नारायण —Pgs 179 48. हृदय की शुद्धता   और तन्मयता —Pgs 91 100. गुरु-शिष्य भेद —Pgs 181 49. ब्रह्म में लीन —Pgs 93 101. ‘भक्ति’ परीक्षा है —Pgs 183 50. ईश्वर समुद्र,   जीव बुलबुला —Pgs 95  

जीवनी - Ramkrishna Paramhans Ke 101 Prerak Prasang

Ramkrishna Paramhans Ke 101 Prerak Prasang - by - Prabhat Prakashan

Ramkrishna Paramhans Ke 101 Prerak Prasang - स्वामी राम कृष्ण परमहंस एक महान संत, समाज-सुधारक और हिंदू धर्म के प्रणेता थे। उनका मानना था कि यदि मनुष्य के हृदय में सच्ची श्रद्धा और लगन जग जाए तो ईश्वर का साक्षात्कार कतई मुश्किल नहीं है। वे कहते कि ईश्वर एक ही है, मनुष्यों ने उस तक पहुँचने के मार्ग अलग-अलग बना लिये हैं। वे स्वयं माँ काली के अनन्य भक्त थे और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन उन्हीं की आराधना में व्यतीत किया। उन्होंने हिंदू धर्म की प्रतिष्ठा का कार्य अपने तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि युवा नरेंद्र के रूप में हिंदुत्व की प्रतिष्ठा को विश्वमंच पर प्रस्थापित करने का पुरुषार्थ कर दिखाया। वे स्वयं पढ़े-लिखे नहीं थे, किंतु उन्होंने विश्व को विवेकानंद  जैसा  सार्वकालिक  धर्म-प्रवर्तक दिया। परमहंस के जीवन काल में ही उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई थी। फलस्वरूप मैक्समूलर और रोम्याँ रोलाँ जैसे सुप्रसिद्ध पाश्चात्य विद्वानों ने उनकी जीवनी लिखकर अपने को धन्य माना।इस पुस्तक में स्वामी रामकृष्ण परमहंस के जीवन से जुड़े रोचक एवं प्रेरक प्रसंगों का संकलन किया गया है। इसकी सामग्री रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद पर उपलब्ध साहित्य से प्राप्त की गई। यह पुस्तक स्वामीजी के जीवन को समझने की दिशा में एक विनम्र प्रयास है। आशा है, हमारे प्रबुद्ध पाठक इस पुस्तक को पढ़कर स्वामीजी के जीवन और जीवन-दर्शन को समझ पाएँगे।अनुक्रम   संदेश  —Pgs 7 51.

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  • Stock: 10
  • Model: PP1251
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1251
  • ISBN: 9788177212402
  • ISBN: 9788177212402
  • Total Pages: 184
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2020
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00