कहानी - Kedarnath Aapda Ki Sachi Kahaniyan
गत वर्ष उत्तराखंड के केदारनाथ सहित अन्य जगहों पर अतिवृष्टि के कारण आई भीषण आपदा ने उत्तराखंड की केदारघाटी को पूरी तरह तबाह कर पूरे विश्व को झकझोरकर रख दिया। देश-विदेश के हजारों-हजार श्रद्धालुओं को इस आपदा में अपनी जान गँवानी पड़ी। परिवार के परिवार इस आपदा के शिकार हो गए, कई परिवारों का तो एक भी सदस्य जिंदा नहीं रहा।
सिर्फ केदारनाथ ही नहीं अपितु बदरीनाथ, गंगोत्तरी, हेमकुंड साहिब सहित उत्तराखंड के अनेक स्थानों पर भारी तबाही हुई। शायद चारधाम की यात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा, जब एक साथ चारों धामों के रास्ते बुरी तरह तहस-नहस होकर महीनों तक के लिए बंद हो गए; किंतु केदारनाथ में जन और धन दोनों प्रकार की भारी क्षति हुई, जिसकी भरपाई शायद कभी भी नहीं हो पाएगी।
आपदा को आए पूरा एक वर्ष बीत गया है। जिंदगी रुकती नहीं है, इसलिए आपदा पीडि़तों ने भी किसी तरह से खुद को सँभालकर नए ढंग से जीवन की शुरुआत कर दी है। हालाँकि उन अपनों की यादें, जो इस आपदा में सदा के लिए बिछुड़ गए हैं, भुलाई नहीं जा सकती हैं।
इस आपदा में मानवीयता के कई उजले तो कई श्याम पक्ष भी सामने आए हैं। कुछ एक घटनाओं को छोड़कर मानवीयता इस आपदा के पश्चात् एकजुट दिखी।अनुक्रमदो शब्द — Pgs. 71. और मैं कुछ नहीं कर सका — Pgs. 132. वो देख रहा है... 213. मुआवजा — Pgs. 284. अपने ही जाल में — Pgs. 345. पानी और पानी — Pgs. 386. लौट आया हूँ — Pgs. 467. सब उसका है... 538. सब एक जैसे नहीं होते — Pgs. 589. घर वापसी — Pgs. 7210. जिंदगी रुकती नहीं — Pgs. 7711. नोटिस — Pgs. 8312. जिंदा हूँ किसी और के लिए — Pgs. 8813. पीड़ा से भी ऊपर — Pgs. 9414. अनजान — Pgs. 9915. इक रिश्ता दिल का — Pgs. 10316. तलाश अपनों की — Pgs. 11317. कितना खुद्दार — Pgs. 11918. लौटकर आएगा — Pgs. 12519. रिश्तों का भमजाल — Pgs. 13020. झगड़े का समाधान — Pgs. 13521. भीड़ के बीच — Pgs. 140
कहानी - Kedarnath Aapda Ki Sachi Kahaniyan
Kedarnath Aapda Ki Sachi Kahaniyan - by - Prabhat Prakashan
Kedarnath Aapda Ki Sachi Kahaniyan - गत वर्ष उत्तराखंड के केदारनाथ सहित अन्य जगहों पर अतिवृष्टि के कारण आई भीषण आपदा ने उत्तराखंड की केदारघाटी को पूरी तरह तबाह कर पूरे विश्व को झकझोरकर रख दिया। देश-विदेश के हजारों-हजार श्रद्धालुओं को इस आपदा में अपनी जान गँवानी पड़ी। परिवार के परिवार इस आपदा के शिकार हो गए, कई परिवारों का तो एक भी सदस्य जिंदा नहीं रहा। सिर्फ केदारनाथ ही नहीं अपितु बदरीनाथ, गंगोत्तरी, हेमकुंड साहिब सहित उत्तराखंड के अनेक स्थानों पर भारी तबाही हुई। शायद चारधाम की यात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा, जब एक साथ चारों धामों के रास्ते बुरी तरह तहस-नहस होकर महीनों तक के लिए बंद हो गए; किंतु केदारनाथ में जन और धन दोनों प्रकार की भारी क्षति हुई, जिसकी भरपाई शायद कभी भी नहीं हो पाएगी। आपदा को आए पूरा एक वर्ष बीत गया है। जिंदगी रुकती नहीं है, इसलिए आपदा पीडि़तों ने भी किसी तरह से खुद को सँभालकर नए ढंग से जीवन की शुरुआत कर दी है। हालाँकि उन अपनों की यादें, जो इस आपदा में सदा के लिए बिछुड़ गए हैं, भुलाई नहीं जा सकती हैं। इस आपदा में मानवीयता के कई उजले तो कई श्याम पक्ष भी सामने आए हैं। कुछ एक घटनाओं को छोड़कर मानवीयता इस आपदा के पश्चात् एकजुट दिखी।अनुक्रमदो शब्द — Pgs.
- Stock: 10
- Model: PP904
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP904
- ISBN: 9789350488706
- ISBN: 9789350488706
- Total Pages: 144
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2019
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00