Menu
Your Cart

कहानी - Amar Bal Kahaniyan

कहानी - Amar Bal Kahaniyan
“देवी बलिदान माँग रही है, जो सिर देना चाहे वह आगे बढ़े! बढ़ो!! बढ़ो!!” एक सिख बढ़ता है! यह कौन? अरे-यह तो वह आदमी है, जिसे कल तक हम छोटी जाति का होने के कारण अपने से छोटा समझ रहे थे। वह आगे बढ़ा, तंबू के भीतर गया। तलवार का ‘छप’ सा शब्द हुआ, फिर खून की धारा तंबू के भीतर से निकलकर बाहर की जमीन को सींचने लगी। “हाँ-हाँ, देवी बलिदान माँग रही है, दूसरा कौन है,—वह आगे बढ़े—बढ़ो! बढ़ो!!” एक दूसरा बढ़ा, उसी की तरह का मामूली आदमी। फिर तंबू में ‘छप-छप’ शब्द, फिर खून की लाल धारा। फिर गुरु की ललकार—तीसरा बढ़ा, चौथा बढ़ा, पाँचवाँ बढ़ा, छठा बढ़ा, सातवाँ बढ़ा—तंबू से निकली खून की धारा मोटी होती जा रही है—सामने की जमीन लाल-लाल हो रही है। “बस अब नहीं—देवी खुश हो गई। बोलो—सत्य श्री अकाल। वाहे गुरुजी का खालसा, वाह गुरुजी की फतह!” और यह क्या, वे सातों शहीद वीर भी तंबू से बाहर खड़े मुसकरा रहे हैं। क्या ये जी उठे? हाँ, जी उठे! आओ, सभी अमृत पीओ। शहादत का अमृत पीओ, सिंह बनो, सिंह। आज से सभी सिंह कहलाएँगे! सिंह-सिंह के सामने कोई आदमी क्या खाकर टिक सकता है। —इसी संकलन सेप्रसिद्ध लेखक श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी की प्रभावशाली बाल रचनाओं का संकलन, जो बालमन को गुदगुदाए व हँसाए बिना न रहेगा।

कहानी - Amar Bal Kahaniyan

Amar Bal Kahaniyan - by - Prabhat Prakashan

Amar Bal Kahaniyan - “देवी बलिदान माँग रही है, जो सिर देना चाहे वह आगे बढ़े!

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: PP937
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP937
  • ISBN: 9789380186986
  • ISBN: 9789380186986
  • Total Pages: 136
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2019
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00