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उपन्यास

उपन्यास
जीवन तो कोरा कागज है। चाहें तो इसमें खुशियों की कविता लिखें या लिख दें दुःखों के गीत। और अकसर ऐसा भी होता है कि एक अधूरी कविता को पूरा करने के लिए बस जरूरत होती है तो उस एक शख्स की, जो पन्ना पलटने की काबिलियत रखता हो। घर वह एक ही था, पर उसके एक सिरे में प्रेम-बंधन आखिरी साँसें ले रहा था तो दूसरे सि..
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इन खुले केशों को देखो । मेरे ये केश दुःशासन के रक्‍त की प्रतीक्षा में खुले हैं । दुःशासन के रक्‍त से इनका श्रृंगार संभव है । मेरे पति भीम की ओर देखो । वे दुःशासन का रक्‍त पीने के लिए अपनी जिह्वा को आश्‍वासन देते आ रहे हैं । दुःशासन के तप्‍त रक्‍त से ही वे मेरे खुले केशों को बाँधेंगे । '' मेरी केश न..
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कृष्ण विचलित नहीं हुए । अपने खुद के वचन की यथार्थता मानो सहजभाव से प्रकट होती है । नाश तो सहज कर्म है । यादव तो अति समर्थ है; फिर कृष्ण- बलराम जैसे प्रचंड व्यक्‍त‌ियों से रक्षित हैं- उनका सहज नाश किस प्रकार हो? उनका नाश कोई बाह्य शक्‍त‌ि तो कर ही नहीं सकती । कृष्ण इस सत्य को समझते हैं और इसलिए माता ..
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अनुवाद : डॉ. अंजना संधीर कृष्ण एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिन्हें आप ‘विराट्’ कह सकते हैं। ‘महाभारत’ में कृष्ण एक राजनीतिज्ञ के रूप में प्रकट होते हैं तो ‘भागवत’ में उनका दैवी स्वरूप दिखाई देता है। ‘गीता’ में वे गुरु हैं, ज्ञान का भंडार हैं। ईश्वर होते हुए भी उन्होंने मानव का ही जीवन जीया। वे एक ऐसे इन..
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व्यक्ति में जब समाज के लिए कुछ कर गुजरने की ललक उठती है तो वह बिना किसी की चिंता किए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है। लेकिन हमारे ही समाज का एक तबका ऐसा भी है, जो हर चीज के प्रति हमेशा नकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखता है। खासकर अच्छा करनेवालों के मार्ग पर अनेक तरह की बाधाएँ खड़ी करके उन्हें विचलित..
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क्रोध, विद्वेष और असंतोष विनाशकारी तथा आत्म-पराजयकारी हैं। हम दूसरों के विरुद्ध इन नकारात्मक भावनाओं का वहन करते हैं; लेकिन वास्तव में ये हमारे जीवन को विषाक्त कर देती हैं। जब हम अपनी प्रतिक्रियाओं के लिए दूसरों को दोषी ठहराते हैं, हम यह विश्वास करते हैं कि वे हमारी नकारात्मक भावनाओं के लिए उत्तरदाय..
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कुंभ भारतीय समाज का ऐसा पर्व है, जिसमें हमें एक ही स्थान पर पूरे भारत के दर्शन होते हैं—लघु भारत एक स्थान पर आकर जुटता है और हम सगर्व कहते हैं कि महाकुंभ विश्व का सबसे विशाल पर्व है। कुंभ की ऐतिहासिक परंपरा में देश व समाज को सन्मार्ग पर लाने के लिए ऋषियों, महर्षियों के विचार सदैव आदरणीय और उपयोगी रह..
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इस रोमांचक उपन्यास की शुरुआत जंगलों में जोंगा की ऊबड़-खाबड़ सवारी से होती है, जिसमें आठ साल का कार्तिकेय कुकरेजा अपने बचपन के दिनों में अपने पिता के बॉस के डिनर के लिए पुलिस अधिकारियों के साथ तीतर और काले हिरन के अवैध शिकार के लिए जाता था। उस दिन उसने दृढ़ संकल्प लिया कि एक दिन वह भी आईएएस बनेगा।  ..
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‘लाजो’ उपन्यास में एक भारतीय संस्कृति में पली-बढ़ी मध्यम परिवार में रहनेवाली लड़की की जीवन-कथा है। इसकी कथावस्तु में यह भी प्रमुखता से दरशाया गया है कि किस तरह भारतीय लड़कियाँ अपने माँ-बाप द्वारा चुने लड़के से ही शादी करती हैं, बाद में कैसी भी परेशानी आने पर उनके विचारों में किसी दूसरे के प्रति रुझा..
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हर फरिश्ते में, एक शैतान छिपा होता है, और हर शैतान के भीतर, एक फरिश्ता पलता है। पहली बार जब उसने अपनी नई मकान-मालिकन पर नजर गड़ाई, जो एक विधवा और उससे ग्यारह साल बड़ी है, तो उसे एक मौका दिखाई पड़ा। उसके पास अमीर बनने का एक प्लान है और वह उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता है, जब तक कि उसकी मुलाक..
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‘‘आपको  लंबे  जूते  पहनने चाहिए।’’ कुछ पल रुककर वह फिर बाेले, ‘‘लंबे जूते पहनने से एडि़याँ एकदम साफ रहती हैं। काले के साथ लंबे जूते बहुत अच्छे लगते हैं। या आपको लंबे जूते पसंद नहीं हैं?’’  ‘‘हाँ, पर अगर वे इतने मजबूत हों कि वे आपके पैरों के सौंदर्य को नष्ट न होने दें। वे इस तरह देहात में घूमने के ल..
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कहानी के चरित नायक देवसिंह का असली नाम नंदलाल था। यह बड़ा शक्तिशाली पुरुष था। अस्सी वर्ष की अवस्था में इसको दमरू नामक लोधी ने देखा है, जो सुल्तानपुरा में (चिरगाँव से डेढ़ मील उत्तर) रहता है। इसकी आयु इस समय नब्बे वर्ष की है। वह नंदलाल के बल की बहुत-सी आँखोंदेखी घटनाएँ बतलाता है। नंदलाल का भीषण पराक्..
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