उपन्यास - Nahin Kathin Hai Dagar Panghat Ki
सफलता के मंदिर तक पहुँचने के लिए सतर्कता और एकाग्रता की महती आवश्यकता है, जैसे पनिहारिन सिर पर गगरी रखकर सतर्क और एकाग्रचित्त होकर ही तो पनघट तक पहुँचती है, धीरे-धीरे कदम रखकर। जब चलोगे, तभी तो मंजिल मिलेगी, उसके लिए सुनिश्चित लक्ष्य जरूरी है।
लक्ष्य प्राप्त करने या मंजिल तक पहुँचने में गरीबी, अभाव, हीनता और विकलांगता जैसी मुसीबतें बाधक नहीं हैं। अनेक घातों-प्रतिघातों और ठोकर खाकर ही व्यक्ति मंजिल पर पहुँच पाता है। पत्थर पर घिसे जाने के बाद ही तो रंग लाती है मेहँदी। अरे! चलो तो सही, राह के शूल आल्थस फूल बन जाएँगे। चट्टानें मोम हो जाएँगी। नेपोलियन के सामने आल्प्स पर्वत भी हिम्मत हार गया था।
इस पुस्तक का उद्देश्य आपके अंदर प्रसुप्त अनेक आत्मिक शक्तियों को जगाना है; ऐसी योग्यता को संप्रेरित करना है, जिससे आप सचेतन प्रयास से सितारों की दुनिया से आगे जा सकें।
उपन्यास - Nahin Kathin Hai Dagar Panghat Ki
Nahin Kathin Hai Dagar Panghat Ki - by - Prabhat Prakashan
Nahin Kathin Hai Dagar Panghat Ki - सफलता के मंदिर तक पहुँचने के लिए सतर्कता और एकाग्रता की महती आवश्यकता है, जैसे पनिहारिन सिर पर गगरी रखकर सतर्क और एकाग्रचित्त होकर ही तो पनघट तक पहुँचती है, धीरे-धीरे कदम रखकर। जब चलोगे, तभी तो मंजिल मिलेगी, उसके लिए सुनिश्चित लक्ष्य जरूरी है। लक्ष्य प्राप्त करने या मंजिल तक पहुँचने में गरीबी, अभाव, हीनता और विकलांगता जैसी मुसीबतें बाधक नहीं हैं। अनेक घातों-प्रतिघातों और ठोकर खाकर ही व्यक्ति मंजिल पर पहुँच पाता है। पत्थर पर घिसे जाने के बाद ही तो रंग लाती है मेहँदी। अरे!
- Stock: 10
- Model: PP682
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP682
- ISBN: 9789382901921
- ISBN: 9789382901921
- Total Pages: 104
- Edition: Edition 1
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2017
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00