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उपन्यास - Gharvaas

उपन्यास - Gharvaas
जेब की अमावस्या आकाश की अमावस्या से अधिक दर्द देनेवाली। आँखों के आगे सूर्य के प्रकाश में भी अँधेरा लानेवाली। वे भाग्यवान हैं, जिनकी जेब ही नहीं होती।एक बार चाँदनी रात की लत पड़ जाए तो अँधेरी रातें काटने को दौड़ती हैं।सच है, जिसके घर लक्ष्मी विराजती हो, प्रतिदिन दीपावली है। वैसे लक्ष्मी कभी अकेली नहीं आती। अपनी दोनों बहनों को भी न्योत लाती है। सरस्वती बहुत आनाकानी करती है, पर उन्हें भी आना ही पड़ता है। दुर्गा की शक्ति भी उस घर में शोभायमान होती है। तीनों बहनों में से किसी एक का भी अनादर हुआ, धीरे से एक के बाद एक, तीनों खिसक लेती हैं।जीवन में अर्थ की प्रधानता ने सारे पुरातन जीवन-मूल्यों को पीछे धकेला है। इसलिए दीपावली का रूप तो बदल गया, पर आडंबर बढ़ता जा रहा है।व्यक्ति अंदर से जितना अकेला और कमजोर होता जा रहा है, उतना ही पर्व-त्योहारों पर धूम-धड़ाका करने की उसकी लालसा बलवती होती जा रही है।गरीब-बेबस आदमी तो पैसेवाले के रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज को ही अपना आदर्श मानने लगता है। सदा से उसी आदर्श तक पहुँचने  के असफल भगीरथ प्रयत्न में अपनी हड्डियाँ गलाता आया है। —इसी पुस्तक सेदूसरे शहर में जाकर दो वक्त की रोटी और जीवनयापन के लिए अस्थायी विस्थापन का दंश झेलते श्रमिकों को केंद्र में रखकर लिखा गया पठनीयता से भरपूर उपन्यास।

उपन्यास - Gharvaas

Gharvaas - by - Prabhat Prakashan

Gharvaas -

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  • Stock: 10
  • Model: PP646
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP646
  • ISBN: 9789386054166
  • ISBN: 9789386054166
  • Total Pages: 240
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2016
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00