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अर्थशास्त्र : बिजनेस : मैनेजमेंट - Prayog Ki Kahani Prabhat Khabar

अर्थशास्त्र : बिजनेस : मैनेजमेंट - Prayog Ki Kahani Prabhat Khabar
इस पुस्तक के जरिए यह बताने का प्रयास किया गया है कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। अगर टीमवर्क हो, वर्क कल्चर हो, विजन हो, बेहतर लीडरशिप हो और लोगों में काम करने का जज्बा हो तो मृतप्राय संस्था को भी पुनर्जीवित किया जा सकता है, उसे एक बेहतरीन संस्था बनाया जा सकता है। ‘प्रभातखबर’अखबार की 30 वर्षों की यात्रा के संदर्भ में लिखी इस पुस्तक में इसी बात का उल्लेख है कि वे कौन से कारण हैं, जिनके बल पर एक समय बंद होता प्रभात खबर (स्थानीय/क्षेत्रीय अखबार) देश के शीर्ष हिंदी अखबारों में शामिल हो गया। पुस्तक में इस बात का जिक्र है कि कैसे एक संस्था को खड़ा किया जा सकता है। इसके लिए प्रभात खबर में क्या-क्या प्रयोग किए गए। चाहे वह संपादकीय प्रयोग हो या गैर-संपादकीय प्रयोग। प्रभात खबर की यात्रा में साधन के अभाव में अनेक मौके आए, जब लगा कि अखबार आज बंद हो गया कल, लेकिन ये सभी आशंकाएँ गलत निकलीं। पूरी किताब में उदाहरणों के बल पर यह बताने का प्रयास किया गया है कि एक स्थानीय और क्षेत्रीय अखबार भी अपने कंटेंट और अनूठे प्रयोग केबल पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो सकता है।

अर्थशास्त्र : बिजनेस : मैनेजमेंट - Prayog Ki Kahani Prabhat Khabar

Prayog Ki Kahani Prabhat Khabar - by - Prabhat Prakashan

Prayog Ki Kahani Prabhat Khabar -

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  • Stock: 10
  • Model: PP426
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP426
  • ISBN: 9789351861676
  • ISBN: 9789351861676
  • Total Pages: 368
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2016
₹ 700.00
Ex Tax: ₹ 700.00