Screenplay - Nirmala : Patkatha
‘निर्मला' प्रेमचन्द का सुपरिचित उपन्यास है जिस पर एकाधिक बार टीवी धारावाहिक और फ़िल्मों का निर्माण हो चुका है। मन्नू भंडारी लिखित इस उपन्यास की यह पटकथा हिन्दी टेलीविज़न के दर्शकों को दूरदर्शन के उन दिनों में वापस ले जाएगी जब इस सरकारी चैनल ने एक से एक क्लासिक धारावाहिक प्रस्तुत किए थे। यह वह दौर था जब हिन्दी के नामचीन लेखकों ने दूरदर्शन के स्तरीय धारावाहिकों के लेखन में बड़ा योगदान दिया और हमारे सामने ‘तमस’, ‘मालगुडी डेज़’, ‘कक्काजी कहिन’, ‘राग दरबारी’ और ‘निर्मला’ जैसे धारावाहिक आए। यह दूरदर्शन और भारतीय टेलीविज़न का मनोरंजन के क्षेत्र में स्वर्णकाल था।‘निर्मला’ उसी समय का धारावाहिक है जिसका स्क्रीनप्ले हिन्दी की लोकप्रिय और बहुपठित कहानीकार मन्नू भंडारी ने लिखा। ‘निर्मला' एक मध्यवर्गीय युवती की कथा है जो दुर्दैव के चलते आजीवन कष्ट में रही और अन्ततः कष्ट के अतिरेक में ही इस दुनिया को विदा कह गई। लेकिन उसके जीवन की दारुण यात्रा का आरम्भ और अन्त पारम्परिक भारतीय समाज में प्रचलित स्त्री-जीवन के प्रति नज़रिए में है, जहाँ माना जाता रहा है कि लड़की सयानी हो गई है तो उसका समय रहते विवाह सबसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक कार्य है जिसे हर हाल में हो जाना है। इसी के चलते निर्मला को पहले दहेज का और फिर बेमेल विवाह का शिकार होना पड़ता है। विवाह उससे कहीं बड़ी आयु के जिस व्यक्ति से होता है, उसके तीन बच्चे हैं। परिणाम क़िस्म-क़िस्म की मानसिक जटिलताएँ और संघर्ष पैदा होते हैं और अन्ततः पूरा परिवार बिखर जाता है। बचे रह जाते हैं विधुर तोताराम।मन्नू जी ने एक स्त्री की निगाह से देखते हुए जिस तरह इस कहानी को कहा, उसने उनके नज़रिए को अत्यन्त परिपक्व रूप में परदे पर रूपायित किया था। मन्नू जी उन चुनिन्दा लेखकों में रही हैं जिन्हें शब्दों के साथ दृश्यों में भी अपनी बात कहने का हुनर आता है। ‘निर्मला’ उसका बेजोड़ उदाहरण है। यहाँ बता दें कि मन्नू जी ने इसके अलावा भी बड़े और छोटे पर्दे के लिए लेखन किया और उनकी कहानियों और उपन्यासों पर भी फ़िल्में और टी.वी. फ़िल्में बनती रही हैं।
Screenplay - Nirmala : Patkatha
Nirmala : Patkatha - by - Radhakrishna Prakashan
Nirmala : Patkatha - ‘निर्मला' प्रेमचन्द का सुपरिचित उपन्यास है जिस पर एकाधिक बार टीवी धारावाहिक और फ़िल्मों का निर्माण हो चुका है। मन्नू भंडारी लिखित इस उपन्यास की यह पटकथा हिन्दी टेलीविज़न के दर्शकों को दूरदर्शन के उन दिनों में वापस ले जाएगी जब इस सरकारी चैनल ने एक से एक क्लासिक धारावाहिक प्रस्तुत किए थे। यह वह दौर था जब हिन्दी के नामचीन लेखकों ने दूरदर्शन के स्तरीय धारावाहिकों के लेखन में बड़ा योगदान दिया और हमारे सामने ‘तमस’, ‘मालगुडी डेज़’, ‘कक्काजी कहिन’, ‘राग दरबारी’ और ‘निर्मला’ जैसे धारावाहिक आए। यह दूरदर्शन और भारतीय टेलीविज़न का मनोरंजन के क्षेत्र में स्वर्णकाल था।‘निर्मला’ उसी समय का धारावाहिक है जिसका स्क्रीनप्ले हिन्दी की लोकप्रिय और बहुपठित कहानीकार मन्नू भंडारी ने लिखा। ‘निर्मला' एक मध्यवर्गीय युवती की कथा है जो दुर्दैव के चलते आजीवन कष्ट में रही और अन्ततः कष्ट के अतिरेक में ही इस दुनिया को विदा कह गई। लेकिन उसके जीवन की दारुण यात्रा का आरम्भ और अन्त पारम्परिक भारतीय समाज में प्रचलित स्त्री-जीवन के प्रति नज़रिए में है, जहाँ माना जाता रहा है कि लड़की सयानी हो गई है तो उसका समय रहते विवाह सबसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक कार्य है जिसे हर हाल में हो जाना है। इसी के चलते निर्मला को पहले दहेज का और फिर बेमेल विवाह का शिकार होना पड़ता है। विवाह उससे कहीं बड़ी आयु के जिस व्यक्ति से होता है, उसके तीन बच्चे हैं। परिणाम क़िस्म-क़िस्म की मानसिक जटिलताएँ और संघर्ष पैदा होते हैं और अन्ततः पूरा परिवार बिखर जाता है। बचे रह जाते हैं विधुर तोताराम।मन्नू जी ने एक स्त्री की निगाह से देखते हुए जिस तरह इस कहानी को कहा, उसने उनके नज़रिए को अत्यन्त परिपक्व रूप में परदे पर रूपायित किया था। मन्नू जी उन चुनिन्दा लेखकों में रही हैं जिन्हें शब्दों के साथ दृश्यों में भी अपनी बात कहने का हुनर आता है। ‘निर्मला’ उसका बेजोड़ उदाहरण है। यहाँ बता दें कि मन्नू जी ने इसके अलावा भी बड़े और छोटे पर्दे के लिए लेखन किया और उनकी कहानियों और उपन्यासों पर भी फ़िल्में और टी.
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- Model: RKP2999
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP2999
- ISBN: 0
- Total Pages: 159p
- Edition: 2018, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2018
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Ex Tax: ₹ 0.00