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Sanchayan - Shrilal Shukla Sanchayita

Sanchayan - Shrilal Shukla Sanchayita
स्वातंत्र्योत्तर भारतीय समाज को समझने के लिए जिन रचनाकारों ने अपने तर्क निर्मित किए हैं, उनमें श्रीलाल शुक्ल का महत्त्व अद्वितीय है। विलक्षण गद्यकार श्रीलाल शुक्ल वस्तुतः हमारे समय का विदग्ध भाष्य रचते हैं। उनकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि वह जटिल और संश्लिष्ट जीवन के प्रति पूर्ण सचेत दिखते हैं। उनका लेखन किसी आन्दोलन या विचारधारा से प्रभावित नहीं रहा, वह भारतीय समाज के आलोचनात्मक परीक्षण का रचनात्मक परिणाम है। राग दरबारी उनकी ऐसी अमर कृति है जिसने हिन्दी रचनाशीलता को राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय सुयश दिलाया। इस संचयिता के छह भाग हैं, जिनमें उनके उपन्यास, कहानी, व्यंग्य, निबन्ध, विनिबन्ध और आलोचनात्मक रचनाएँ समाहित हैं। उन तमाम चीज़ों को इस पुस्तक में शामिल करने का प्रयास किया गया है, जिनकी सार्थकता सार्वकालिक है।

Sanchayan - Shrilal Shukla Sanchayita

Shrilal Shukla Sanchayita - by - Rajkamal Prakashan

Shrilal Shukla Sanchayita -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP2155
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP2155
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 448p
  • Edition: 2008, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2008
₹ 550.00
Ex Tax: ₹ 550.00