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Sanchayan - Shrikant Verma Sanchayita

Sanchayan - Shrikant Verma Sanchayita
श्रीकान्त वर्मा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी के सम्भवत: सबसे ऊर्जस्वित लेखकों में हैं। वे मूर्धन्य कवि हैं, सटीक कहानीकार हैं, और अनोखे उपन्यासकार। वे उन विरले कवियों में हैं जिन्होंने अपने भीतर से होकर बहती पिघलते लोहे-सी काव्य-धारा को पूरे धीरज से सहा और उसे बिल्कुल नए काव्य-विन्यासों में ढाला। यह भी सच है कि कई बार इस पिघले लोहे के-से काव्य-आवेग ने उन्हें धीरज बरत सकने का अवकाश नहीं दिया या शायद अपने घुमड़ते काव्य-आवेग के आगे कवि का धीरज निष्फल हो गया लेकिन तब यह काव्य-आवेग या काव्य-संवेदन उन्हीं की कविताओं के सुघड़ विन्यासों में आसपास, यहाँ-वहाँ चिनगारियों की तरह बिखर गया। शायद इसीलिए उनकी कविताएँ उनके काव्य-संयम और काव्य-असंयम का विलक्षण साक्ष्य और फलन हैं। उनके धीरज और उनकी हड़बड़ी दोनों का पारदर्शी अंकन। ऊर्जस्वित कवि होने के साथ-साथ श्रीकान्त वर्मा पक्के गद्यकार भी हैं। उनका गद्य गद्य की सारी शर्तों पर खरा उतरता गद्य है। उसमें वाक्य-सौन्दर्य है पर ‘कवितायी’ नहीं, उसमें विवरण हैं पर फिजूल ढीलापन नहीं। शायद इतना कसा हुआ गद्य बहुत कम लेखकों ने लिखा होगा। उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास, यात्रा-वृत्तान्त और निबन्ध लिखे हैं। श्रीकान्त वर्मा शायद हिन्दी में कविता के सर्वश्रेष्ठ अनुवादक भी रहे हैं। उन्होंने कई रूसी, जर्मन, जापानी, फ्रांसीसी, हंगारी और मैक्सिकन कविताओं के अनुवाद किए। इस संकलन में उनमें से कुछ अनुवादों को भी शामिल किया जा रहा है।

Sanchayan - Shrikant Verma Sanchayita

Shrikant Verma Sanchayita - by - Rajkamal Prakashan

Shrikant Verma Sanchayita -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP1986
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP1986
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 399p
  • Edition: 2019, Ed. 2nd
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2003
₹ 995.00
Ex Tax: ₹ 995.00