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Literary Criticism - Mahadevi Varma Ke Kavya Mein Saundarya-Bhavana

Literary Criticism - Mahadevi Varma Ke Kavya Mein Saundarya-Bhavana
छायावादी काव्य के विकास में महादेवी वर्मा का योगदान अप्रतिम है। वे अपने समय के कवियों में एक अलौकिक भावजगत का सृजन कर छायावादी काव्य-धारा को एक नई सौन्दर्य-दृष्टि प्रदान करती हैं। यही कारण है कि उन्हें छायावादी काव्य-धारा में रहस्यवादी भाव-धारा का प्रमुख कवि माना जाता है। सर्वथा नए उपमान, अमूर्तन, लाक्षणिकता, प्रतीक, बिम्ब उनके काव्य को लालित्य-योजना की दृष्टि से एक ऐसा आयाम प्रदान करते हैं जो छायावादी कवियों में उनकी अपनी अलग पहचान बनाता है।प्रस्तुत ग्रन्थ में लेखक ने महादेवी वर्मा की सौन्दर्य-दृष्टि से बचकर लेखक ने भारतीय और पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र के ज्ञान का गम्भीर उपयोग किया है। यही कारण है कि प्रस्तुत पुस्तक महादेवी वर्मा के काव्य-विवेचन में नई दृष्टि का समावेश कर सकी है। शास्त्रीय और समसामयिक काव्यालोचन में प्रस्तुत पुस्तक का सुनिश्चित योगदान है। 

Literary Criticism - Mahadevi Varma Ke Kavya Mein Saundarya-Bhavana

Mahadevi Varma Ke Kavya Mein Saundarya-Bhavana - by - Lokbharti Prakashan

Mahadevi Varma Ke Kavya Mein Saundarya-Bhavana -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP3852
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP3852
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 272p
  • Edition: 2013, Ed. 2nd
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 1989
₹ 500.00
Ex Tax: ₹ 500.00