Memoirs - Aisi laagi Lagan
विज्ञान के इस युग में नई तकनीक और भौतिकवाद भले ही अब आम जीवन का आधार हो चला है, लेकिन विज्ञान भी चमत्कार को स्वीकार करता है। ऐसे ही कुछ चमत्कार होते हैं जो अनायास ही छोटी-छोटी घटनाओं के माध्यम से होकर, कई बार नियति को भी बदल देते हैं और ईश्वर में विश्वास को हर बार और दृढ़ करते जाते हैं।‘ऐसी लागी लगन’ ऐसी ही कुछ सूक्ष्म और वृहद् चमत्कारिक घटनाओं को आम जनमानस के सामने रखती है, जो ब्रम्हांड का संचालन करनेवाले उस परमात्मा की उपस्थिति में दृढ़ विश्वास रखने के लिए प्रोत्साहित नहीं बल्कि बाध्य करती हैं। डॉ. पी. राजेश माहेश्वरी द्वारा लिखी गई यह किताब अपने आप में विज्ञान और विश्वास का संगम है—''सांईं के साथ मेरी लगन कुछ ऐसी लगी कि मुझे अनुभव हुआ, यह सिलसिला अभी से शुरू नहीं हो रहा, वाक़ई कोई बेहद पुराना नाता है। जैसे कोई भूला-बिसरा अत्यन्त आत्मीय कहीं अचानक नज़रों के सामने आ जाए।''एक डॉक्टर, जो विज्ञान के आधार पर लोगों के जीवन की रक्षा करता है, उसका इन र्ईश्वर के चमत्कारों में इस क़दर दृढ़ विश्वास होना आश्चर्यचकित तो करता ही है, साथ ही पाठक के मन में भी एक ललक और अगाध विश्वास पैदा करता है। लेखक ने इस किताब के माध्यम से अपने निजी तथा सच्चे अनुभवों को साझा किया है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं लगते। सांईं लीलाओं में विश्वास करनेवाले लोगों का भारत में एक बड़ा प्रतिशत है। यह किताब उन सभी लोगों के सांईं बाबा से जुड़े आत्मिक और भौतिक अनुभवों से जोड़ने और सांईं बाबा के प्रति सहज ही आकर्षित करने का काम करती है। ''व्यावसायिक दृष्टि से डॉक्टरी जैसे निष्ठुर पेशे में रहकर अब साल-भर में तीन-चार बार मुझे शिरडी पहुँचने की ललक होने लगी और फिर धीरे-धीरे हर महीने जाने की तलब। जैसे कोई परिन्दा लौट-लौटकर अपने नीड़ में आए...बाबा के समक्ष हमेशा ही मैंने ख़ुद को एक नई ऊर्जा से सराबोर पाया है। इसे व्यक्त करने योग्य शब्द तलाशना अत्यन्त कठिन है। शायद अविश्वसनीय-सा भी लगे...!''इस किताब में डॉ. माहेश्वरी ने अपने निजी जीवन के अनुभवों को भी साझा किया, और बताया कि, ''बेशक, एक बाबा के प्रति एक डॉक्टर के भीतर जागी इस भक्ति के कारण मेरी अर्धांगिनी डॉ. कल्पना माहेश्वरी को भारी समस्या हुई। उन्होंने मेरी क्षणिक भावना को पागलपन तक कहा, लेकिन समय के साथ उन्हें मेरे भीतर हुए परिवर्तन और अनुभूतियों का अहसास हुआ और उन्होंने शिरडी के प्रति मेरे अनुराग को स्वीकार लिया।''‘ऐसी लागी लगन’ किताब पूर्णत: सांईं बाबा से जुड़े चमत्कारिक और सकारात्मक अनुभवों पर आधारित है। इसे लिखने में अपने अनुभवों को न केवल डॉ. माहेश्वरी बल्कि उनके कुछ साथियों और अन्य परिचित सांईं भक्तों ने भी साझा किए हैं, जिनमें आमजन से लेकर डॉक्टर्स, पत्रकार, शिक्षक आदि शामिल हैं। किताब पढ़ते समय सांईं बाबा के प्रति श्रद्धा का बढ़ना स्वाभाविक है। कहीं-कहीं पर वृत्तान्तों का विस्तृत विवरण पाठक की दिलचस्पी कम भी करता है, लेकिन प्रमुख घटनाओं के प्रति श्रद्धा और उत्सुकता बरकरार रहती है। सच्चे अनुभवों पर आधारित यह किताब, विश्वास के आधार पर एक बेहतर प्रेरणास्रोत बन सकती है।
Memoirs - Aisi laagi Lagan
Aisi laagi Lagan - by - Radhakrishna Prakashan
Aisi laagi Lagan - विज्ञान के इस युग में नई तकनीक और भौतिकवाद भले ही अब आम जीवन का आधार हो चला है, लेकिन विज्ञान भी चमत्कार को स्वीकार करता है। ऐसे ही कुछ चमत्कार होते हैं जो अनायास ही छोटी-छोटी घटनाओं के माध्यम से होकर, कई बार नियति को भी बदल देते हैं और ईश्वर में विश्वास को हर बार और दृढ़ करते जाते हैं।‘ऐसी लागी लगन’ ऐसी ही कुछ सूक्ष्म और वृहद् चमत्कारिक घटनाओं को आम जनमानस के सामने रखती है, जो ब्रम्हांड का संचालन करनेवाले उस परमात्मा की उपस्थिति में दृढ़ विश्वास रखने के लिए प्रोत्साहित नहीं बल्कि बाध्य करती हैं। डॉ.
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- Model: RKP2357
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP2357
- ISBN: 0
- Total Pages: 240p
- Edition: 2016, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Paper Back
- Year: 2016
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00