Grammar - Navshati Hindi Vyakaran
हमारी भाषा की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि इसमें भाषा को निर्मित और विकसित करनेवाले देशज तत्त्वों की घोर उपेक्षा की जाती है। रचनात्मक साहित्य का एक हिस्सा भले ही ऐसा नहीं हो, लेकिन शेष लेखन पर तो अंग्रेज़ी भाषा का प्रभाव साफ़ दिखलाई पड़ता है। कहन और शैली ही नहीं, भाषा के स्वरूप का ज्ञान करानेवाला हमारा व्याकरण भी अंग्रेज़ी भाषा के व्याकरणिक ढाँचे से आवश्यकता से अधिक जकड़ा हुआ है। हालाँकि, पिछले कुछ दशकों से हिन्दी की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुरूप व्याकरण प्रस्तुत करने के प्रयास होने लगे हैं। लेखक की इस पुस्तक को इसी प्रयास के क्रम में देखा जाना चाहिए।भाषाविद् तथा कोशकार के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके बदरीनाथ कपूर ने हिन्दी की स्वाभाविक प्रकृति के अनुरूप व्याकरण की रचना करके यह प्रमाणित किया है कि हिन्दी दुनिया की अन्य विकसित भाषाओं की तुलना में अधिक व्यवस्थित होने के साथ-साथ सरल और लचीली भी है। यह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं।इस पुस्तक से गुज़रते हुए सहज ही यह एहसास होता है कि व्याकरण नियमों का पुलिन्दा-भर नहीं होता, वह भाषा-भाषियों की ज्ञान-गरिमा, बुद्धि-वैभव, रचना-कौशल, सन्दर्भबोध और सर्जनक्षमता का भी परिचायक होता है।हिन्दी का यह सर्वथा नवीन व्याकरण सिर्फ़ छात्रों के लिए ही उपयोगी नहीं होगा, यह उन जिज्ञासुओं को भी राह दिखाएगा जो भाषा की आत्मा तक पहुँचना चाहते हैं।
Grammar - Navshati Hindi Vyakaran
Navshati Hindi Vyakaran - by - Rajkamal Prakashan
Navshati Hindi Vyakaran -
- Stock: 10
- Model: RKP2172
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP2172
- ISBN: 0
- Total Pages: 235p
- Edition: 2018, Ed. 2nd
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2006
₹ 495.00
Ex Tax: ₹ 495.00